Last Updated on October 17, 2023 by admin
दमा या अस्थमा रोग के कारण :
दमा (dama / Asthma / Saans) आज के प्रदूषण भरे वातावरण की देन हैं। दमा वस्तुतः एलर्जी के कारण होता है। जब श्वसनी (bronchus) में हवा भर जाता है तब फेफड़ों में सूजन होने लगता है जिसके फलस्वरूप साँस लेने में मुश्किल होने लगती हैं। फेंफड़ो के अंदर जाने वाला वायु मार्ग छोटा या संकीर्ण हो जाने के कारण दमा का एटैक होता है। तब लोग सामान्य साँस भी जोर-जोर से लेने लगते हैं और नाक से जब साँस लेना दूभर हो जाता है तब मुँह से साँस लेने लगते हैं। दमा के रोगी को साँस लेने से ज़्यादा साँस छोड़ने में मुश्किल होती है। एलर्जी के कारण श्वसनी में बलगम पैदा हो जाता है जो कष्ट को और भी बढ़ा देता है। एलर्जी के कारण दमा होने के बहुत से कारणों में से कुछ इस प्रकार है-
- घर के धूल भरे वातावरण के कारण ।
- घर के पालतू जानवरों के कारण ।
- रास्ते के धुँए और धूल के कारण ।
- सुगंधित सौन्दर्य (perfumed cosmetics) प्रसाधनों के कारण ।
- सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और साइनसाइटिस (sinusitis) के संक्रमण के कारण।
- ध्रूमपान करने के कारण।
- अधिक मात्रा में शराब पीने के कारण।
- व्यक्ति विशेष के कुछ विशेष खाद्द-पदार्थों से एलर्जी के कारण।
- महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण।
- कुछ विशेष प्रकार के दवाओं के कारण।
- सर्दी के मौसम में ज़्यादा ठंड पड़ जाने के कारण एलर्जी के बिना भी दमा का रोग शुरू हो सकता हैं।
- तनाव या भय के कारण।
- अतिरिक्त मात्रा में प्रोसेस्ड या जंक फूड खाने के कारण।
- ज़्यादा नमक खाने के कारण।
- आनुवांशिकता (heredity) के कारण आदि।
दमा या अस्थमा रोग के लक्षण : Dama Rog ke Lakshan in Hindi
- दमा (dama / Asthma / Saans) के लक्षण की बारे में बात करते ही पहली बात जो मन में आती है, वह है साँस लेने में कठिनाई। दमा का रोग या तो अचानक शुरू होता है या खाँसी, छींक या सर्दी जैसे एलर्जी वाले लक्षणों से शुरू होता है।
- साँस लेने में कठिनाई होती है ।
- सीने में जकड़न जैसा महसूस होता है ।
- दमा का रोगी जब साँस लेता है तब एक घरघराहट जैसा आवाज होती है ।
- साँस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है।
- बेचैनी-जैसी महसूस होती है।
- सिर भारी-भारी जैसा लगता है।
- जोर-जोर से साँस लेने के कारण थकावट महसूस होती है।
- स्थिति बिगड़ जाने पर उल्टी भी हो सकती है आदि।
दमा या अस्थमा रोग का घरेलू उपचार : Dama ka Desi Ilaj
1. सरसों के तेल में नमक डालकर दमा के रोगी के छाती की मालिश करनी चाहिए। रोगी को खुली हवा तथा पंखें की हवा से बचना चाहिए। प्रतिदिन काली मिर्च, हल्दी में उड़द के पाउडर की धूनी नाक से लेने तथा भस्रिका प्राणायाम करने से बहुत लाभ होता है।
2. बहेड़े की 1 से 2 ग्राम छाल को 2 से 10 ग्राम शहद के साथ लेने से श्वास रोग में तथा हरड़ एवं सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण रोज लेने से दमा, श्वास, खाँसी एवं कमरदर्द में लाभ होता है।
3. कलई किये हुए बर्तन में तीन अंजीर 24 घण्टे अथवा 36 घण्टे तक पानी में भिगोये रखें। प्रातः उठकर उबाल लें। सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नान, शौचादि से निपटकर उगते सूर्य के सामने बैठें। 10 से 15 प्राणायाम करें। गहरे श्वास लें। पहले जोर से श्वास लेकर फेफड़ों में भरें। जितना अधिक श्वास भर सकें उतना लाभदायक होगा। पूरक करते समय यह भावना करें कि , मैं श्वास के साथ सूर्य की ओजस्वी किरणों को अन्दर भर रहा हूँ। फिर बहुत धीरे-धीरे श्वास बाहर निकालते समय यह भावना करें कि मैं रोग के किटाणुओं को बाहर फेंक रहा हूँ।
विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि श्वास अन्दर लेते समय जोर से लेनी है और छोड़ते समय बहुत धीरे- धीरे । इसे एक प्राणायाम कहेगें। इस प्रकार के 10 से 15 प्राणायाम करने चाहिए। इस क्रिया के साथ ॐ अथवा अपना इष्टमंत्र मन जपने से बहुत लाभ होता है।
इतनी क्रिया के पश्चात् उबाले हुए अंजीर खूब चबाकर खा लें और वही पानी पी जायें। इससे दमे के रोग में अवश्य लाभ होता है।
4. एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण, 4 बूँद शहद एवं थोड़ा सा घी मिलाकर लेने से श्वास रोग में लाभ होता है।
5. भटकटैया (कंटकारि, कंटकारिका), जीरा और आँवले का चूर्ण सम भाग में लेकर शहद में मिलाकर चाटने से श्वास रोग में शीघ्र लाभ होता है।
6. एक लीटर पानी में दो बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें, उसके बाद इसको छान लें। दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उस रस निकाल कर मेथी के पानी में डालें। उसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए।
7. दो छोटे चम्मच आंवला का पावडर एक कटोरी में ले और उसमें एक छोटा चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें। हर रोज सुबह इस मिश्रण का सेवन करें।
8. एक कटोरी में शहद लें और उसको सूंघने से दमा के रोगी को साँस लेने में आसानी होती है।
9. ज़रूरत के अनुसार सरसों के तेल में कपूर(या अच्युताय हरिओम अमृत द्रव्य) डालकर अच्छी तरह से गर्म करें। उसको एक कटोरी में डालें। फिर वह मिश्रण थोड़ा-सा ठंडा हो जाने के बाद सीने और पीठ में मालिश करें। दिन में कई बार से इस तेल से मालिश करने पर दमा के लक्षणों से कुछ हद तक आराम मिलता है।
10. लहसुन फेफड़ो के कंजेस्चन को कम करने में बहुत मदद करता है। दस-पंद्रह लहसुन का फाँक दूध में डालकर कुछ देर तक उबालें। उसके बाद एक गिलास में डालकर गुनगुना गर्म ही पीने की कोशिश करें। इस दूध का सेवन दिन में एक बार करना चाहिए।
11. गरमागरम “अच्युताय हरिओम ओजस्वी पेय ” पीने से भी दमा के रोगी को आराम मिलता है। क्योंकि यह श्वसनी के मार्ग को साफ करके साँस लेने की प्रक्रिया को आसान करता है।
12. एक कटोरी में एक छोटा चम्मच अदरक का रस, अनार का रस और शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें। उसके बाद एक बड़ा चम्मच इस मिश्रण का सेवन दिन में चार से पाँच बार करने से दमा के लक्षणों से राहत मिलती है।
13. अर्जुन की छाल का चूर्ण एक छोटा चम्मच गाय के दूध में या पानी में इतना उबाले के पानी आधा रह जाए, और इस को हर रोज़ रात को सोते समय पिए। इसमें एक चुटकी भर दाल चीनी भी डाल दे।
14. जब भी दूध पिए देसी गाय का ही पिए और इसमें अम्बा हल्दी एक चुटकी डाल कर पिए।
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इस समय इन घरेलु उपचारों के सहायता से दमा रोग(dama / Asthma / Saans) काबु में किया जा सकता है, साथ ही कुछ बातों पर ध्यान से दमा रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है-
घर को हमेशा साफ रखें ताकि धूल से एलर्जी की संभावना न हो।
योग-व्यायाम और ध्यान (meditation) के द्वारा खुद को शांत रखें।
मुँह से साँस न लें क्योंकि मुँह से साँस लेने पर ठंड भीतर चला जाता है जो रोग को बढ़ाने में मदद करता है।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
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