Last Updated on July 28, 2021 by admin
पीलिया के कारण : piliya ke karan in hindi
- जब रक्त में बिलिरुबिन की मात्रा 2.5 से अधिक हो जाती है तो लीवर के गंदगी साफ करने की प्रक्रिया रुक जाती है जो पीलिया का कारण बनती है।
- किसी को लम्बे समय तक मलेरिया, स्किल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, गिल्बर्ट सिंड्रोम या अन्य कई आनुवांशिक कारण होते हैं। इसमें लाल रक्त कोशिकाओं के जल्दी टूटने से बिलिरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है जो पीलिया होने का कारण होता है।
- शरीर में एसिडिटी के बढ़ जाने, ज्यादा शराब पीने, अधिक नमक और तीखे पदार्थों के सेवन आदि जैसे अनेक कारणों से जब लीवर की कोशिकाओं में नुकसान या लीवर में किसी भी तरह का संक्रमण हो जाता है। जो हेपैटोसेलुलर पीलिया का कारण बनता है।
- पित्ताशय की पथरी, लीवर में घाव, हेपेटाइटिस, किसी दवाई की अधिक मात्रा में सेवन आदि जैसे कारणों से पित्त नलिका में रुकावट उत्पन्न हो जाती है तो पोस्ट-हिपेटिक पीलिया का कारण बनता है।
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित अन्य कारण भी हैं जो पीलिया का कारण बनते हैं ।
- इंफेक्शन होने से ।
- लीवर कमज़ोर होने से ।
- शरीर में ब्लड की कमी होने से ।
- सड़क किनारे कटी, खुली और दूषित चीज़े खाने से ।
पीलिया के लक्षण : piliya ke lakshan in hindi
- इस रोग में शरीर की चमड़ी चर्म का रंग पीला नजर आने लगता है ।
- रोगी की आँखों तथा नाखूनों का रंग पीला पड़ जाता है ।
- मूत्र भी पीले रंग का आने लगता है ।
- यह रोग जब अत्यधिक बढ़ जाता है, तब रोगी को सब कुछ पीला ही पीला नजर आने लगता है। यहाँ तक कि रोगी को पसीना तक पीला ही निकलता है ।
- यही रोग पीलिया के नाम से जाना जाता है।
- लगातार थकान महसूस करना ।
पीलिया में क्या खाएं : piliya me kya khaye in hindi
- पीलिया में हलका, आसानी से पचने वाला ताजा भोजन जैसे-चावल, दलिया, खिचड़ी, बाजरे, जौ, गेहूं की चोकर युक्त (छिलके के साथ ) रोटी बिना घी लगाये खाना चाहिए ।
- कच्चे नारियल का पानी, मूली के पत्तों का रस, ताजा छाछ, मलाई रहित क्रीम निकला दूध, शहद, गन्ना, गन्ने का रस (शुद्धता का ध्यान रखते हुए) लेना चाहिए।
- बुखार की स्थिति में मीठे फलों का रस ग्लूकोज मिलाकर पिएं।
- पीलिया में हरी सब्जियों में कच्ची मूली, लौकी, करेला, प्याज, पुदीना, फूल गोभी, पालक, धनिया, धनिये का बीज, मेथी, परवल, गाजर, लहसुन, तुलसी, अंकुरित चने, चुकंदर, पत्ता गोभी खाना चाहिए ।
- फलों में पपीता, अनानास, आंवला, चीकू, खजूर, अंगूर, अनार, आडू, आंवला, मौसमी, सेब, टमाटर, संतरा, सिंघाड़ा, नीबू को खाना चाहिए ।
- पीलिया में हमेशा उबला, छना, क्लोरीन या वाटर प्योरीफायर से साफ़ किया हुआ पानी ही पिएं। पीलिया में ज्यादा-से-ज्यादा पानी पीएं। पर यह पानी साफ होना जरूरी है।
पीलिया में क्या नहीं खाएं : piliya me kya nahi khaye
- पीलिया में तला-भुना, मिर्च-मसाले वाला भोजन बहुत हानिकारक है, इसलिए ऐसी चीजों को कम से कम 20-25 दिन तक तो बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।
- वसायुक्त भोजन से बीमारी ठीक होने के बाद भी दूर रहना चाहिए।
- पीलिया में भारी, गरिष्ठ, तेल, मक्खन, चिकनाई वाले पदार्थ, घी-तेल में तला, मिर्च-मसालेदार, अधिक नमकीन, खटाई युक्त अचार, सिरके से बने पदार्थ नहीं खाना चाहिए ।
- मिठाइयां, बेसन की चीजें, मैदे के व्यंजन, मांस, मीट और अंडे, मछली नहीं खाना चाहिए ।
- शराब का सेवन तो जहर की तरह काम करेगा, इसलिए शराब को छूना भी नहीं चाहिए।
- पीलिया में दूषित पानी और दूषित बासी भोजन को भी हर हाल में नहीं खाना चाहिए ।
- दूध और दूध के उत्पाद भी न लें। मट्ठा और दही लाभकारी है, पर उसमें मलाई या चिकनाई न हो।
- ठीक होने के बाद भी मक्खन और जैतून के तेल का कम मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
- पीलिया में ज्यादा नमक, अचार, मुरब्बा, चटनी, रबड़ी, खोया आदि से भी परहेज रखें ।
- पीलिया में फलों में केला और चीकू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- फास्ट फूड जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, मैगी, चाव्मीन, पानी-पूरी, टिक्की भी नहीं खाना चाहिए ।
- कचालू, अरवी, राई, हींग, गुड़, उड़द की दाल, फलियां और बींस, चीनी आदि से भी परहेज करें।
- चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक जैसे पेप्सी, कोला या एनर्जी ड्रिंक का भी परहेज रखें |
- पान, तंबाकू, गुटखा आदि का सेवन न करें।
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पीलिया का घरेलू इलाज : piliya ka gharelu ilaj
1 – फिटकरी से पीलिया का उपचार : फिटकरी को भूनकर बारीक पीसकर शीशी में सुरक्षित कर रख लें । इसे 1 से 3 ग्राम की मात्रा में 20 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करायें । दिन में कई बार केवल दही खिलाते रहें । यदि दही उपलब्ध न हो तो छाछ दें । एक सप्ताह में रोगी ठीक हो जायेगा । ( और पढ़ें –फिटकरी के फायदे )
2 – आँबा हल्दी से पीलिया का उपचार : सफेद चन्दन 5 ग्राम, आँबा हल्दी पिसी हुई 6 ग्राम, दोनों को शहद में मिलाकर सात दिन चटायें, लाभप्रद है। ( और पढ़ें –आंबा हल्दी के फायदे )
3 – कलमी शोरा से पीलिया का उपचार : कलमी शोरा 10 ग्राम, मिश्री 50 ग्राम, दोनों को खरल करके बारीक कर लें । इसे 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में दिन में 3 बार जल से सेवन करायें। इसके प्रयोग से पाण्डु रोग, मूत्र में जलन तथा पेशाब का रुक-रुककर आना ठीक हो जाता है।
4 – मूली से पीलिया का उपचार : मूली के पत्तों का रस 450 ग्राम में चीनी इतनी मिला लें कि मीठा हो जाये । तदुपरान्त मल-मल के कपड़े से छानकर रोगी को पिला दें । पीते ही लाभ मिलेगा । मात्र सात दिन में रोग जड़ मूल से नष्ट हो जायेगा ।
5 – गिलोय से पीलिया का उपचार : गिलोय की लता गले में लपेटने से पाण्डु व कामला दूर हो जाता है। ( और पढ़ें – गिलोय के फायदे )
6 – शहद से पीलिया का उपचार : गिलोय के अर्क 50 ग्राम में 20 ग्राम शहद मिलाकर पिलाना पाण्डु रोग में परम लाभकारी है।
7 – नीबू से पीलिया का उपचार : नीबू का रस 10 ग्राम, खाँड़ 20 ग्राम, खाने का सोड़ा 4 रत्ती (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम) , नौसादर 2 रत्ती का मिश्रण 10 ग्राम पानी में मिलाकर दिन में 2 बार (प्रात: सायं) पिलाने से पाण्डु रोग में लाभ होता है ।
8 – आक से पीलिया का उपचार : आक के पत्ते 25 नग (वजन में जितने पत्ते हों उतनी ही मिश्री मिलाकर) । खरल में 3 दिनों तक इतना घोंटें कि दोनों बिल्कुल सुर्मे की भाँति हो जायें । इसे 2 ग्राम की मात्रा में जल से दें। ( और पढ़ें –आक के फायदे )
9 – टमाटर से पीलिया का उपचार : टमाटर के 100 ग्राम रस में 3 ग्राम काला नमक मिलाकर सुबह शाम खिलाने से पाण्डु रोग में लाभ होता जाता है ।
10 – तोरई से पीलिया का उपचार : कड़वी तोरई का रस 2-3 बूंद नाक में चढ़ा लें । दवा अन्दर जाते ही । पीले रंक का पानी निकलना प्रारंभ हो जायेगा । पानी निकलकर कर रोगी एक ही दिन में ठीक हो जाता है।
नोट:-यह दवा बहुत अधिक तेज (उग्र) है। कोमल प्रकृति वालों को सेवन कदापि न करायें। यदि नाक में अधिक जलन महसूस हो तो बाद में गौघृत की नस्य लें । यदि ताजा कड़वी तोरई । उपलब्ध न हो तो सूखी तोरई का टुकड़ा रातभर पानी में भिगोकर उस पानी का प्रयोग करें। ।
11 – मक्खन से पीलिया का उपचार : फिटकरी (एलम) कच्ची 20 ग्राम बारीक पीसकर 21 पुड़िया बनाकर प्रतिदिन एक पुड़िया मक्खन के साथ सेवन करायें । पुराने से पुराना पाण्डु रोग नष्ट हो जायेगा। ( और पढ़ें – मक्खन खाने के 20 लाजवाब फायदे)
12 – दही से पीलिया का उपचार : बढ़िया सफेद फिटकरी भूनकर बारीक (सूक्ष्म) पीसकर किसी साफ शीशी में सुरक्षित रख लें । यदि पाण्डु रोग 1 मास से अधिक समय का है तो प्रथम दिन 1 ग्राम, दूसरे दिन 2 ग्राम, तीसरे दिन 3 ग्राम तदुपरान्त 3 ग्राम नित्य दवा फाँककर ऊपर से दही का एक प्याला पिला दिया करें । मात्र 7 दिनों में ही पुराने से पुराना पाण्डु रोग जड़ से नष्ट हो जायेगा । ( और पढ़ें – दही खाने के फायदे )
13 – अरण्ड से पीलिया का उपचार : अरण्ड के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम (दिन में 2 बार) पिलायें । इसके सेवन से 3 से 7 दिनों में । पीलिया नष्ट हो जाता है।
नोट:- इस योग के प्रयोग से यदि किसी को दस्त आने लग जायें तब भी चिन्ता न करें। दही और चावल खाने को दें। जिसे दस्त साफ न होता हो उसे दूध अधिक मात्रा में दें। रोटी बिल्कुल ही न दें।
14 – हल्दी से पीलिया का उपचार : हल्दी के महीन चूर्ण 6 ग्राम को मट्ठा में मिलाकर सेवन कराये । पथ्य में दही भात (चावल) खिलायें । मात्र 4-5 दिनों में ही पीलिया नष्ट हो जायेगी।
15 – गौ-मूत्र से पीलिया का उपचार : गाय की बछिया का ताजा गौ-मूत्र ढाई तोला से चार तोला तक नित्य खाली पेट पीने से जलोदर, उदरशूल, कामला, पाण्डु, यकृत-वृद्धि, प्लीहा-वृद्धि, अण्डवृद्धि, खाज-खुजली, कब्जियत, मन्दाग्नि, अम्लपित्त इत्यादि रोग नष्ट हो जाते हैं। बच्चों को 1 तोला से 2 तोला तक ही सेवन करायें । ( और पढ़ें – गोमूत्र के फायदे )
16 – गुड़ से पीलिया का उपचार : नौसादर, सुहागे का फूला, पंचलवण 2-2 तोला तथा चित्रक-मूल, पीपलामूल, त्रिकटु, भुना जीरा, अजवायन, लोह भस्म प्रत्येक 1-1 तोला गुड़ एवं 15 तोला को परस्पर कूटकर मिलालें । फिर अमृतवान में भरकर सुरक्षित रख लें । 15 दिनों तक धूप में रखें । तदुपरान्त छानकर बोतलों में भर लें । मात्रा 6 माशे से 1 तोला तक दिन में 2 बार भोजन के बाद ढाई तोला जल के साथ दें । यह द्रव (पेय) उदर रोग, प्लीहा, यकृत दोष, पान्डु, स्त्रियों के गर्भाशय दोष, मन्दाग्नि, कब्ज और उदर शूल इत्यादि रोगों को थोड़े ही दिनों में नष्ट कर देता है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)