Last Updated on August 26, 2022 by admin
ज्यादा गरम एवं अम्लीय वस्तुओं के सेवन से पेशाब करते समय जलन होती है। आयुर्वेद में इसे मूत्रकृच्छ्र एवं अंग्रेजी में डिस्यूरिया (Dysuria) कहते हैं। साधारण बोलचाल में इसे ‘दकोता पड़ना’ कहते हैं।
पेशाब में जलन के कारण : peshab me jalan ke karan
पेशाब में जलन क्यों होता है ?
अत्यधिक चटपटा, रूखा एवं कच्चा अन्न खाने, पानी में रहनेवाले जीवों का मांस खाने से, जल्दी-जल्दी भोजन करने, अजीर्ण होने, परिश्रम करने, शराब पीने, नाचने, घोड़े आदि की सवारी करने धूप में, तेज़ गर्मी में काम करने या घूमने और उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय पर गर्मी का प्रभाव होता है।
पेशाब में जलन के लक्षण : peshab me jalan ke lakshan
- पेशाब में जलन पड़ने लगती है,
- पेशाब का रंग पीला हो जाता है और बड़ी जलन तथा पीड़ा के साथ बूंद-बूंद करके पेशाब होती है।
- कभी-कभी पेशाब में रुकावट भी हो जाती है और जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में, थोड़ी-थोड़ी देर से पेशाब होती है।
- इस व्याधि को आयुर्वेद ने ‘मूत्र कृच्छ’ कहा है।
पेशाब की जलन में क्या खाना चाहिए : pesab ki jalan me kya khana chahiye
शीतल पेय, ठण्डाई, फलों का रस, पतला सत्तु, हरी ककड़ी, सन्तरा, मीठे अंगूर, तरबूज, नींबू की मीठी शिकंजी आदि तरावटयुक्त खाद्य और पेय आहार लेना चाहिए ।
पेशाब की जलन में क्या नहीं खाना चाहिए : pesab ki jalan me kya nahi khana chahiye
लाल मिर्च, तेज़ मिर्च मसालेदार पदार्थ, शराब, तम्बाकू, चाय तथा उष्ण प्रकृति के पदार्थों का सेवन बन्द करें ।
आइये जाने पेशाब में जलन (मूत्रकृच्छ्र) का उपचार के बारे में ।
पेशाब में जलन के घरेलू उपाय : peshab me jalan ka ilaj in hindi
peshab me jalan ke gharelu upay
1. मुनक्का – 20 ग्राम दाख (मुनक्का), 40 ग्राम मिश्री और 40 ग्राम दही का मट्ठा-तीनों को मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होगी।
2. केला – केले का पानी पीने से मूत्र-दाह में लाभ होता है।
3. बेर – बेर के पत्ते को पीसकर पेडू पर लगाने से पेशाब की जलन और पीड़ा मिट जाती है। ( और पढ़ें –शरीर की गर्मी दूर करने के 16 देसी उपाय )
4. गोखरू – गोखरू, बंशलोचन और मिश्री का चूर्ण कच्चे दूध में मिलाकर पीने से जलन मिट जाती है।
5. दूब – दूब (बरघास) को पीसकर दूध में छानकर पीने से मूत्र-दाह में लाभ होता है। ( और पढ़ें – गर्मी मे स्वस्थ व निरोगी रहने के 14 उपाय )
6. गन्ना – गन्ना चूसने या गन्ने का रस पीने से पेशाब की जलन मिट जाती है।
7. भांगरा – एक तोला काले जल-भाँगरे की जड़ को पीसकर नमक मिलाकर पीने से मूत्रदाह में आराम मिलता है। ( और पढ़ें – शीतलता देने वाला आम पन्ना के फायदे)
8. ईसबगोल – ईसबगोल के चूर्ण का शर्बत बनाकर पीने से मूत्रदाह एवं मूत्राघात रोग मिट जाता है।
9. इमली – इमली के पत्तों का रस पीने से मूत्रदाह ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – इमली के 78 औषधीय गुण )
10. जवाखार – गोखरू के काढ़े में जवाखार डालकर पीने से मूत्रकृच्छ्र दूर होता है।
11. जीरा – 3 ग्राम जीरा और 3 ग्राम गुड़ नित्य खाने से पेशाब में जलन दूर होगी। ( और पढ़ें – जीरा के 83 बेमिसाल फायदे )
12. सौंफ – शक्कर और सौंफ को कूटकर रात में गलाएँ और प्रातः पिएँ। सुबह खाली पेट पंद्रह दिनों तक पीने से पेशाब में जलन बंद होती है।
13. गोखरू – गोखरू की पत्ती, शाखा, जड़, फल आदि को कूटकर आठ गुने पानी में औटाएँ। एक चौथाई पानी रहने पर छानकर उसमें मिश्री एवं शहद मिलाकर पिएँ तो मूत्र की जलन दूर होगी।
14. मिश्री – 5 ग्राम जवाखार एवं 5 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र की जलन मिटती है।
15. छाछ – 8 ग्राम जवाखार गाय की छाछ के साथ पीने से मूत्रकृच्छ्र दूर होता है। ( और पढ़ें – छाछ पिने के 32 जबरदस्त फायदे )
16. आँवला – गुर्च, सोंठ, आँवला, असगंध और गोखरू के 8 ग्राम चूर्ण को आठ गुने पानी में औटाकर एक चौथाई रहने पर उसको छानकर पीने से मूत्र की जलन खत्म होती है।
17. कद्दू – पके कुम्हड़े के रस में मिश्री डालकर पीने से मूत्रकृच्छ दूर होगा। ( और पढ़ें – कददू खाने के 8 बड़े फायदे)
18. खरेंटी – खरेंटी की जड़ का क्वाथ पीने से मूत्रकृच्छ्र दूर होता है।
19. दारुहलदी – तेवरसी के बीज, महुआ, दारुहलदी – इनका काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र की जलन शांत होती है।
20. धनिया – धनिया एवं गोखरू का काढ़ा बनाएँ, उसमें घी डालकर-पकाकर खाने से मूत्र की जलन दूर होगी। ( और पढ़ें – धनिया के 72 जबरदस्त औषधीय प्रयोग )
21. इलायची – इलायची, पाषाणभेद, शिलाजीत, पिप्पली, खीरा के बीज, केसर और सेंधा नमक के 8 ग्राम चूर्ण का सेवन चावल के पानी के साथ करने से मूत्र की जलन शांत होगी।
22. त्रिफला – 20 ग्राम त्रिफला और 20 ग्राम बेर की छाल को रात भर पानी में भिगोकर रखें, प्रात:काल दोनों को उसी पानी में ठंडाई के समान पीसकर छानें और सेंधा नमक के साथ पिएँ। इससे मूत्र की जलन दूर होगी।
23. चंद्रप्रभा वटी – चंद्रप्रभा वटी एवं गोक्षुरादि गुग्गुल की दो-दो गोली कच्चे दूध के साथ खाने से पेशाब की जलन बंद होगी और पेशाब खुलकर आएगा। ( और पढ़ें – चंद्रप्रभा वटी के 10 जबरदस्त फायदे )
24. धनिया – दानेदार साबुत धनिया को मोटा-मोटा पीसकर इसका छिलका अलग कर लें। फिर बीजों के अंदर की लगभग 300 ग्राम गिरी निकालकर (500 ग्राम धनिया में से तीन सौ ग्राम गिरी निकल आती है) 300 ग्राम मिश्री लें। दोनों को अलग-अलग पीसकर मिला लें।
मूत्राशय की समस्त प्रकार की जलन के लिए श्रेष्ठ औषधि है। 5 ग्राम एक गिलास ठंडे पानी से 3 दिन तक, दिन में दो बार लेने पर ही फायदा हो जाएगा।
25) सामग्री : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाई रहित ठण्डा किया हुआ दूध, ठण्डा पानी।
विधि-कलमी शोरा और बड़ी इलायची का महीन चूर्ण, समान मात्रा में मिलाकर, शीशी में भर लें । एक भाग दूध और दो भाग ठण्डा पानी एक गिलास में मिला कर फेंट लगा लें। इसकी मात्रा 300 मिली० होना चाहिए। दूध 100 मिली० और पानी 200 मिली० मिलाएं।
सुबह 8-9 बजे, दूसरी बार 1-2 बजे और तीसरी बार 5-6 बजे फेटा हुआ एक गिलास दूध-पानी पीना चाहिए। 2-3 दिन यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन और रुकावट दूर होती है तथा पेशाब खुलकर होने लगता है। ज़ोर लगा कर पेशाब करने पर 2-4 बूंद चिकना और सफेद सा पदार्थ भी गिरता है जिसे कुछ लोग अज्ञानवश वीर्य या धात समझ लेते है। यह वीर्य नहीं होता क्योंकि पेशाब और वीर्य एक साथ कभी भी नहीं निकलते। यह अनपचा अन्नांश या फास्फेट्स नामक तत्व होता है। लगातार 40 दिन तक इस प्रयोग को सेवन करने से कुछ दिनों में यह तत्व गिरना बन्द हो जाता है। ग्रीष्म ऋतु में दूध के साथ ठण्डा पानी मिलाना चाहिए और वर्षा या शीत ऋतु में उबाल कर ठण्डा किया हुआ गुनगुना गरम पानी मिलाना चाहिए। इस प्रयोग से मुंह के छाले भी ठीक होते हैं।
पेशाब में जलन की दवा : peshab me jalan ki dawa
पेशाब की जलन में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां।
- गुलकंद
- रसायन चूर्ण (Rasayan Churna)
- आँवला रस (Amla Juice)
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)