Last Updated on December 4, 2022 by admin
स्तनों में सूजन के लक्षण (stan me sujan ke lakshan)
- स्त्रियों के स्तनों में सूजन (शोथ) आ जाया करती है ऐसी परिस्थिति में उनको छूने या हाथ लगाने से तीव्र पीड़ा होती है।
- इसमें दर्द एवं ज्वर लगातार बना रहता है।
- यदि शोथ नया तथा बहुत अधिक हो तो वह स्थान लाल हो जाता है तथा उसमें सख्त दर्द, टीस, और जलन हुआ करती है।
- शोथ अधिक होने पर कभी-कभी पीप (Pus) भी पड़ जाती है, जब पीप पड़ने लगती है तब बार-बार कम्पन के साथ ज्वर तथा दर्द (कष्ट) अधिक बढ़ जाया जाते हैं।
स्तनों में सूजन के कारण (stan me sujan ke karan)
- अधिकतर यह रोग शिशुओं को दुग्धपान कराने वाली स्त्रियों के स्तनों पर बच्चा का सिर या हाथ जोर से लग जाने पर हुआ करता है।
- इसके अतिरिक्त रक्त-विकार,
- स्तनों में दूध का अधिक मात्रा में एकत्र हो जाना,
- शरीर में पित्त की अधिकता,
- चोट लग जाना,
- तथा स्तनों में दूध सड़ जाने आदि कारणों से भी हो जाया करता है।
स्तन में सूजन का इलाज (stan me sujan ka ilaj hindi me)
1. बोरिक एसिड – बोरिक एसिड 8 ग्राम को 1 किलोग्राम गरम पानी में मिलाकर रुई से स्थानीय सिंकाई करायें।
2. पलास्टर – स्तनों से ब्रेस्ट पम्प द्वारा रुका हुआ सभी दूध निकालकर दर्द और शोथ दूर करने के लिए इक्थयाल बेलोडोना पलास्टर चिपका दें।
3. नारियल तेल – स्तनों में घाव हो तो जिंक आक्साइड को नारियल के तेल में मिलाकर लगायें, या बोरो गिलेसरीन (Boro Glycerine) लगायें।
4. सिरका – स्तनों में चोट लगने पर यदि चोट के प्रभाव से चोट ग्रस्त स्थान के नीचे रक्त एकत्र हो गया हो तथा त्वचा का रंग नीला या काला हो गया हो तो मामूली चोट पर प्रारम्भ में ठन्डा पानी और सिरका बराबर मात्रा में मिलाकर मलने से लाभ होता है।
5. हल्दी – देशी साबुन 12 ग्राम, पिसी हुई हल्दी 24 ग्राम , पानी 240 ग्राम में मिलाकर आग पर पकाएँ। गाढ़ा हो जाने पर उतारकर गुनगुना लेप चोट पर लगायें। इससे दर्द, कष्ट दूर हो जाता है तथा जमा हुआ रक्त पिघल कर प्राकृतिक दशा में आ जाता है।
6. धतूरा का पत्ता – पीड़ा कम करने के लिए स्तन पर धतूरे के पत्तों की लुगदी बाँधनी चाहिए। पार्वतीविलास तेल या पोस्ट के डोडे के गर्म पानी से सिंकाई करना लाभप्रद है। यदि स्तन पकने की स्थिति में हो तो गर्म पानी की सेंक करनी चाहिए या ‘पुल्टिस’ बाँधनी चाहिए ।
7. अश्वगन्धादि चूर्ण – स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए प्रात:काल अश्वगन्धादि चूर्ण, केसरी जीवन या च्यवनप्राशे अवलेह का दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। खुराक में दूध अधिक मात्रा में दें। यदि अजीर्ण या मन्दाग्नि हो तो उसकी चिकित्सा करें। यदि स्तनों में दूध अधिक एकत्र हो जाने के कारण ज्वर आता हो तो-पित्तपापड़े के क्वाथ के साथ संशमनी वटी देनी चाहिए तथा ब्रेस्टपम्प से दूध निकालकर फेंक देना चाहिए।
8. तुलसी – स्तनों के जख्मों पर तुलसी के पत्ते पीसकर लगाना लाभप्रद है।
9. पीपल – पीपल के पत्ते को घी से चिकना कर उसे अग्नि पर गर्म कर सुहाता-सुहाता बाँधने से फोड़ा या तो बैठ जाता है या पककर फूट जाता है।
10. हरड – हरीतकी ‘पीली हरड़’ 25 ग्राम, मुनक्का 50 ग्राम दोनों को सिलपर बारीक पीसकर उसमें 75 ग्राम बहेड़े का चूर्ण मिला लें। फिर चने के बराबर गोलियाँ बनाकर प्रात:काल ताजा जल से सेवन करने से, समस्त ‘पित्त रोगों का शमन हो जाता है। हृदय रोग, रक्त के रोग, विषम ज्वर, पान्डु, अरुचि, उबकाई, कुष्ठ, प्रमेह, अफारा गुल्म आदि अनेकों रोग दूर भाग जाते हैं।
11. आंवला – 10 ग्राम आंवला रात्रि में भिगों दें, प्रातः आंवले को मसलकर छान लें। इस पानी में थोड़ी मिश्री और जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मात्र 15-20 दिनों में ही पित्त प्रकोप के कारण होने वाले समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं। यदि स्तन शोथ पित्त की अधिकता के कारण हो तो इन योगों का प्रयोग लाभदायक है।
12. सफेद जीरा – सफेद जीरे को शराब के साथ पीसकर स्तनों पर लगाने से स्तन का दर्द और सूजन समाप्त हो जाती है।
13. धतूरा –
- धतूरे के पत्तों को हरिद्रा के साथ मिलाकर छोटी-सी पोटली बनाकर स्तनों के निप्पल पर बांधने से स्तनों का दर्द और सूजन कम हो जाती हैं। परन्तु ध्यान रहे कि इसका प्रयोग करने से स्त्री के स्तनों में दूध कम हो जाता है और नवजात बच्चों के होने पर इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- धतूरा और नीम के पत्तों को मिलाकर हल्दी के साथ पीसकर रख लें। फिर इसी लेप को पट्टी की मदद से स्तनों पर बांधने से स्तनों की सूजन और दर्द समाप्त हो जाते हैं। ध्यान रहे कि इसके प्रयोग से मां का दूध कम हो जाता है इसलिए दूध पिलाने वाली माता को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- स्तनों में सूजन होने पर धतूरे के पत्तों को गर्म करके बांधने से आराम मिलता है।
- जिस स्त्री को स्तनों में दूध अधिक होने से, स्तनों में गांठे हो जाने का भय हो उसके दूध को कम करने के लिए स्तनों पर धतूरे के पत्ते बांधने चाहिए।
14. अड़ूसा – अड़ूसा के पत्तों और नारियल के रस को मिलाकर पीसकर स्तन पर लगाने और ऊपर से धतूरे के पत्तों को बांधने से दूध के कारण होने वाली स्तनों की सूजन समाप्त हो जाती है।
15. इन्द्रायण – इन्द्रायण की जड़ को पानी में पीसकर स्तनों पर लगाने से स्तनों की सूजन दूर हो जाती है।
16. घीकुआंर – घीकुआंर के रस या एलुवा को हरिद्रा के साथ मिलाकर स्तनों पर लेप करने से स्त्री के स्तनों में होने वाली सूजन और जलन मिट जाती है।
17. हुरहुर – सफेद फूलों वाली हुरहुर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर रख लें। फिर इसी लेप को स्तनों पर 2 से 4 घंटे के बाद लगाने के बाद हटा लें क्योंकि इस लेप के स्तनों पर लगातार लगे रहने से उनमें चेचक के दाने पैदा हो जाते हैं।
18. मेथी – मेथी की हरी पत्तियों को पीसकर स्तनों पर लेप करके 3 घंटे बाद धोने से स्तनों का दूध सूखना, स्तनों में सूजन या दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
19. गेंदा –
- अगर किसी औरत के स्तनों में अचानक सूजन हो जाए तो गेंदे की पत्ती के सत का मर्दन करना लाभकारी होता है।
- गेंदे के पत्तों को पीसकर उसका लेप स्तन पर लगाने और उस पर ब्रा पहनकर गर्म सिंकाई करने से सूजन उतर जाती है।
20. पान –
- जिन औरतों का बच्चा मर गया हो और उनके स्तनों में दूध जमा होने की वजह से सूजन आ गई हो तो उन औरतों के स्तनों पर पान को गर्म करके बांधने से स्तनों की सूजन कम हो जाती है और स्तनों में जमा हुआ दूध निकल जाता है।
- पान के पत्ते को हल्का-सा गुनगुना करके स्तनों पर बांधने से स्तनों का दर्द और सूजन नष्ट हो जाती है। परन्तु ध्यान रहें अगर आपका कोई छोटा दूध पीने वाला बच्चा है तो दूसरी चिकित्सा से अपना इलाज कराएं और इसका प्रयोग बिल्कुल भी न करें।
21. शीशम – शीशम के पत्तों को गर्म करके स्तनों पर बांधने से और इसके काढ़े से स्तनों को धोने से स्तनों की सूजन उतर जाती है।
22. खुरासानी – खुरासानी अजवायन को शराब के साथ पीसकर स्तनों पर लगाने से स्तनों में होने वाला दर्द और सूजन कम हो जाती है।
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(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)