राम भक्त हनुमान जी :
शास्त्रोंक्त मत के अनुसार हनुमान जी भगवान श्री राम की आज्ञा से कलयुग में धर्म की रक्षा के लिए पृथ्वी पर निवास करते हैं। हनुमान जी को श्रीराम जी से वरदान प्राप्त है। कि कलयुग में अन्य देवताओं की अपेक्षा वह अधिक प्रभावशाली होंगे। यहि कारण हैं की भारत देश के प्रायः हर छोटे-बड़े शहर या गांव में हनुमान जी के मंदिर अवश्य पाये जाते हैं।
ज्योतिष के जानकारों की माने तो हनुमान जी के पूजन से भक्तों को शनि और मंगल ग्रह के कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। जो भक्त हनुमानजी को सिंदूर अर्पित करता है । उससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और इच्छित मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
हनुमानजी को सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है : hanuman ji ko sindoor kyo chadhaya jata hai
हनुमान जी को सिंदूर अत्याधिक प्रिय है। इस संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन प्रमुख कथा माता सीता से जुडी हैं, जो इस प्रकार हैं..
रावण वध के पश्चात जब श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान एवं सेना अन्य सहित सभी अयोध्या वापस लौटे। श्रीराम जी के राज्याभिषेक के पश्चात एक दिन हनुमानजी ने देखा कि माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही हैं। उन्हें देख कर उत्सुकता से बजरंगबली ने माता सीता से सिंदूर लगाने का कारण पूछा। तब माता सीता ने बताया कि इस प्रकार सिंदूर लगाने से मेरे स्वामी दीर्घायु होंगे | और उन्हें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होगी।
सीता जी की बार सुनकर हनुमानजी सोचने लगे। कि, माता सीता के जरा सा सिंदूर लगाने से रामजी को दीर्धायु प्राप्त होगी तो, मैं भी अपने स्वामी की दिर्धायु की कामना से अपनी पूरे शरीर पर सिंदूर लगाऊ तो मेरे स्वामी की आयु और अधिक हो जाएगी, रामजी अजर अमर हो जायेगे और उनकी कृपा सदैव मुझ पर बनी रहेगी। यह सोंच कर श्रीराम का ध्यान करते हुए हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना प्रारंभ कर दिया। इसी घटना के कारण भगवान हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की प्रथा प्रारंभ हुई।
सरसों के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को लेप करने से शनि और मंगल की पीड़ा से मुक्ति मिलती हैं। तेल शनि और सिंदूर मंगल की वस्तु हैं। मंगल और शनि दोनों ही ग्रह हनुमान जी की कृपा के पात्र हैं इस लिए इन दोनो ग्रहो की पीड़ा से शांति मिलती हैं। (कुछ विद्वानों का मत हैं की तेल शनि की वस्तु हैं अतः चमेली, तिल का तेल या अन्य तेल भी प्रयोग में लिया जा सकता हैं।) ।
ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़ेसाती और छैय्या में अशुभ प्रभाव से रक्षा के लिए हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढाना चाहिए हैं।
हनुमान जी को सिंदूर का चोला कब चढ़ाएं :
हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार को तथा शनि महाराज की साढ़े साती, अढैया, दशा, अंतरदशा में कष्ट कम करने के लिए शनिवार को चोला चढ़ाया जाता है। मान्यता इन्हीं दिनों की है, लेकिन दूसरे दिनों में रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्र को चढ़ाने का निषेध नहीं है। चोले में चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन करें ।
हनुमान जी को चोला चढ़ाने का मन्त्र : hanuman ji ko chola chadhane ka mantra
मंत्र :-
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये ।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।
आइये जाने हनुमान जी को सिंदूर कैसे लगायें |hanuman ji ko sindoor kaise lagaye
हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की विधि : hanuman ji ko sindur chadane ki vidhi
1- हनुमान जी को स्त्री के द्वारा चोला नही चढ़ाना चाहिए और ना ही चोला चढ़ाते समय स्त्री मंदिर में होनी चाहिए |
2-इस बात का ध्यान रखे की जब चोला चढाये उस समय साधक की श्वास प्रतिमा पर न लगे |
3-देव प्रतिमा को चोला सृष्टि क्रम ( पैरों से मस्तक तक चढ़ाने में देवता सौम्य रहते हैं ) में चढ़ाना चाहिए | संहार क्रम ( मस्तक से पैरों तक चढ़ाने में देवता उग्र हो जाते हैं ) | यदि आपको कोई मनोकामना पूरी करनी है तो पहले उग्र क्रम से चढ़ाये मनोकामना पूरी होने के बाद सोम्य क्रम में चढ़ाये |
4-हनुमान जी को चोला चढाने से पहले साफ़ गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए |
5-हनुमान जी के लिए लगाने वाला सिंदूर सवा के हिसाब से लगाना चाहिए |जैसे की सवा पाव ,सवा किलो आदि ।
6- हनुमान जी को चोला चढ़ाते समय साधक को पवित्र यानी साफ़ लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए |
7-हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराने छोले को उतारा जरुर चाहिए और उसके बाद उस चोले को बहते हुए जल में बहा देना चाहिए |
8- हनुमान जी की प्रतिमा पर चोला का लेपन अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चढ़ाना चाहिए उसके बाद चांदी या सोने का वर्क चढ़ाना चाहिए |
9-चोला चढाते समय दिए गये मंत्र का जाप करते रहना चाहिए |
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये ।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।
10-चोला चढ़ाने के बाद श्री हनुमान जी सामने घी या चमेली के तेल का दीपक जलाकर श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए |