Last Updated on July 12, 2021 by admin
हाई ब्लड प्रेशर के कारण, लक्षण और उपचार (High Blood Pressure Ke Karan, Lakshan Aur Upchar)
रक्तदाब मापी यन्त्र से रक्त भार मापने पर जब 150 से 300 तक रक्तचाप बढ़ जाता है तब अनेक विकार शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं। जो रक्तदाब सामान्य होते ही स्वयं ही सामान्य हो जाते हैं । रक्तचाप का बढ़ना कोई स्वयं में स्वतन्त्र रोग नहीं है, बल्कि यह शरीर में पनप रहे अन्य अनेक घातक रोगों का एक परिणाम है । जो रोगी को भोगना पड़ता है ।
हाईब्लड प्रेशर के लक्षण (Symptoms of High Blood pressure in Hindi)
- उच्च रक्तचाप का अधिकांश लोगो में कोई खास लक्षण नहीं होता है।
- कुछ लोगो में बहोत ज्यादा रक्तचाप बढ़ जाने पर सरदर्द होना या धुंदला दिखाई देना जैसे लक्षण दिखाई देते है।
- चक्कर आना |
- सांस लेने में परेशानी होना |
- चहरे, बांह या पैरो में अचानक सुन्नपन, झुनझुनी या कमजोरी महसूस होना |
- अचानक घबराहट, समझने या बोलने में कठिनाई आदि लक्षण इस रोग के हो सकते है |
हाई ब्लड प्रेशर के घरेलु आयुर्वेदिक उपचार (High Blood pressure ka Gharelu Ayurvedic Upchaar)
1). मयूर पंख – मयूर पंख को जलाकर इसकी राख 1 से 2 रत्ती तक मधु से चटाने से हृदय-पीड़ा और दमे में आराम होता है, वमन का वेग भी रुक जाता है तथा उच्च रक्तचाप में भी अत्यन्त ही लाभप्रद है ।
2). तरबूज – तरबूज की गिरी 4 माशा (4 ग्राम) नीलोफर के फूल 4 माशा, उन्नाव 5 दाना, आलू बुखारा खुश्क 5 दाना तथा गांवजवां 3 माशा प्रात: समय पानी में भिगो दें तथा शाम को दवा को भली प्रकार मलकर और कपड़े से छानकर शरबत नीलोफर 2 तोला (24 ग्राम) मिलाकर पिला दें । हाईब्लड प्रैशर के लिए लाभप्रद है । ( और पढ़ें – तरबूज खाने के 21 बड़े फायदे )
3). सर्पगन्धा – छोटी चन्दन (सर्पगन्धा) की जड़ (जो बाहर से भूरी और तोड़ने पर अन्दर से पीली होती है एवं अत्यधिक कड़वी होती है) कुटपीस कर कपड़े से छानकर सुरक्षित रख ले । हाईब्लड प्रेशर के रोगी के लिए 2 से 8 रत्ती (24 से 96 मिग्रा.) तक यह पिसी औषधि कैपसूल में डालकर निगलवाकर पानी पिला दें ताकि आमाशय में कैपसूल शीघ्र ही गल कर दवा शरीर में मिल सके या ऐसे ही (बगैर कैपसूल में भरे ही) निगल लें। इसे रोग की कमी या अधिकतानुसार दिन में 3 से 4 बार तक प्रयोग कर सकते हैं । रात्रि को सोते समय रोगी को यह दवा अधिक मात्रा में दें, ताकि रोगी 7-8 घंटे तक आराम से सोया रहे । लाभ न होने पर धीरेधीरे मात्रा बढ़ाते जाये तथा लाभ हो जाने पर मात्रा कम करते जायें । इसका प्रभाव धीरे-धीरे होता है, अत: औषधि सेवन तीन सप्ताह तक तक करना आवश्यक है।
4). लहसुन – लहसुन के कन्द को छीलकर 120 ग्राम काटकर सवा सेर (1 लीटर) गोदुग्ध में मिलाकर धीमी आंच पर पकाकर खोया बना लें । इस खोये में बराबर वजन की खांड़ मिलाकर 20 पेड़े बना लें और काँच के बर्तन में सुरक्षित रख लें । मात्रा 1 या 2 पेड़े प्रात:काल दूध के साथ रोगी को उसकी शक्ति के अनुसार सेवन कराये । इस योग के प्रयोग से रक्त वाहिनियों में कोमलता उत्पन्न हो जाती है । जिसके फलस्वरूप ब्लड प्रैशर धीरे-धीरे नॉर्मल होता चला जाता है । इसके अतिरिक्त यह योग वायु रोगों के लिए भी परम लाभकारी है। ( और पढ़ें – लहसुन खाने के 13 बड़े फायदे )
5). अर्जुन – अर्जुन वृक्ष की छाल को कूट पीसकर कपड़े से छानकर रख लें । इसे 10 रत्ती (120 मिग्रा.) की मात्रा में दिन में 3 बार पानी या दूध से सेवन करायें अथवा जीभ पर रख कर स्वयं ही मुँह में घुलने दें । इसका स्वाद भी बुरा नहीं है । यह हृदय को शक्ति देता है, धमनियों की कठोरता कम करता है तथा अधिक मात्रा में मूत्र लाकर शरीर के विषैले तत्व को बाहर निकाल देता है । ( और पढ़ें – अर्जुन छाल के 40 चमत्कारिक औषधिय प्रयोग )
6). आँवला – सूखा आँवला तथा मिश्री 50-50 ग्राम बारीक कूट पीसकर कपड़छन कर सुरक्षित रखें । इसे 6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से हृदय व रक्तचाप सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं।
7). रेहां – रेहां के बीज 10 ग्राम रात्रि में मिट्टी के बर्तन में आधा किलो पानी में भिगो दें । रातभर बाहर हवा में पड़ा रहने दें । प्रात:काल मल एवं छानकर थोड़ीसी मिश्री मिलाकर सेवन करने से मात्र एक सप्ताह में ही हृदय की दुर्बलता ,हृदय सम्बन्धी अन्य सभी रोग तथा हाई ब्लड प्रैशर दूर हो जाता हैं ।
8). अगर – अगर का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हृदय की शक्ति बढ़ती है व हाई ब्लड प्रैशर में लाभ होता है । ( और पढ़ें – शहद खाने के 18 जबरदस्त फायदे )
9). अर्जुन छाल – अर्जुन वृक्ष की छाल 10 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम , दूध 500 ग्राम । अर्जुन की छाल का चूर्ण बनालें । फिर इस चूर्ण को दूध में डालकर पकायें । पीने योग्य होने पर छानकर तथा गुड़ मिलाकर रोगी को पिलाने से हृदय की सूजन एवं शिथिलता तो दूर होती ही है साथ ही यह हाई ब्लड प्रैशर में जबरदस्त लाभ पहुचाता है ।
10). पीपलामूल – पीपलामूल चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ चटाने से बालकों का हदय रोग ठीक हो जाता है।
11). मेथी – मेथी के काढ़े 6 ग्राम में शहद मिलाकर पीने से पुराना हृदय रोग व हाई ब्लड प्रैशर ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – मेथी के अदभुत 124 औषधीय प्रयोग )
12). बकरी का दूध – लहसुन की गिरी (पिसा हुआ )10 ग्राम, बकरी का दूध 250 ग्राम तथा शहद 10 ग्राम, रक्तचाप में पीना लाभप्रद है । रक्तचाप का दौरा खत्म होने पर 6 ग्राम लहसुन को पिस कर उतने ही दूध और शहद के मेल से जलपान के रूप में भली-भाँति मिलाकर इस्तेमाल करते रहना चाहिए ।
13). लहसुन – लहसुन के निरन्तर प्रयोग से हाईब्लड प्रैशर, रक्त-वाहिनियों की कठोरता तथा तंग हो जाना बिल्कुल ठीक हो जाता है ।
14). दूध – ब्लड प्रैशर हाई हो अथवा लो इसमें दुग्धपान से शत प्रतिशत सफलता मिलती है । रोगी दुग्धपान अधिक मात्रा में करे ।
15). अदरक – अदरक को घी में तलकर खाने से दिल की बढ़ी हुई धड़कन में लाभ होता है । ( और पढ़ें – गुणकारी अदरक के 111 औषधीय प्रयोग )
16). गिलोय – गिलोय और काली मिर्च दोनों को समभाग लेकर कूट पीसकर छानकर प्रतिदिन 3-3 ग्राम जल के साथ सेवन करना हृदय की दुर्बलता तथा हाईब्लड प्रैशर में लाभप्रद है।
17). पेठा – नौसादर 4 रत्ती, प्रवालपिष्टी 2 रत्ती, स्वर्णमाक्षिक भस्म 2 रत्ती, मक्खन मिश्री के साथ, पेठा के साथ मधु के साथ प्रयोग करने से हृदय सम्बन्धी जलन, दर्द,हृदय सम्बन्धी जलन, दर्द, धड़कन तथा कमजोरी दूर हो जाती है । सुबह-शाम दिन में 2 बार प्रयोग करायें । (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम)
18). मधु – हाईब्लड प्रैशर तथा हृदय रोग में दिन में 3-4 बार 2-3 चम्मच मधु का सेवन करना अत्यन्त लाभप्रद है । इस प्रयोग से हार्टफेल का भय भी दूर हो जाता है ।
नोट- जिन लोगों को हाई ब्लड प्रैशर का रोग है वे नमक का प्रयोग बन्द कर दें अथवा उसकी मात्रा कम कर दें, क्योंकि नमक रक्त में रक्त के आयतन को बढ़ाता है । जिससे दिल को अधिक जोर लगाना पड़ता है तथा जिन रोगियों की धमनियां तंग और कठोर हो चुकी हैं वे नमक के अतिरिक्त मांस, घी, दूध, मक्खन, नारियल का तेल, वनस्पति घी तथा पशुओं की चर्बी खाना भी बिल्कुल बन्द कर दें । क्योंकि चिकनाई धमनियों में जमते रहने से अन्दर से कठोर और तंग हो जाती है, इससे धमनियों में कोलेस्टेरोल अधिक जम जाती है अत: हाई ब्लड प्रैशर के रोगियों के लिए चिकनाई एक प्रकार से विष के समान है। आइये जाने
हाईब्लड प्रैशर (उच्च रक्तचाप) में क्या खाएं क्या न खाएं (high blood pressure diet in hindi)
हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाना चाहिए –
- रोटी,दालें, क्रीम निकला दूध, हरी साग-सब्जियाँ, फल तथा उनका रस इत्यादि हितकर है
- प्रोटीनयुक्त खनिज मिनरल्ज और विटामिन वाले शीघ्र पाची भोजन खाना ही लाभप्रद है ।
- नित्य 24 घंटे में कम से कम 8 घंटे प्रतिदिन गहरी और बे-फिकरी की नींद सोना तथा दोपहर के भोजनोपरान्त कम से कम आधा घन्टा आराम करना अत्यन्त लाभकारी है।
- छोटी चन्दन जिसकी चन्द्रभागा कहा जाता है । आयुर्वेद में इसे सर्पगन्धा और यूनानी में असरोल तथा ऐलोपैथी में राउवुल्फिया सर्पेन्टाइनी कहते हैं । इस रोग की परम महत्वपूर्ण औषध मानी जाती है ।
- हाईब्लड प्रैशर के रोगी को पहले जुलाब देना आवश्यक है, ताकि उसको पतले पाखाने आकर अन्तड़ियां साफ हो जायें । अन्तड़ियों में सड़ाँध, गैस पैदा होने, कब्ज रहने, मांस और भोजन के अंश सड़ते रहने से इनके विषैले प्रभाव रक्त में मिलकर रक्त के दबाव को बढ़ा देते हैं।
- जुलाब देने के बाद रक्त की बढ़ी हुई उत्तेजना और अधिक दबाब कम करने के लिए पिसी हुई छोटी चन्दन 3 रत्ती (36 मि. ग्रा) दिन में 3 बार ताजे पानी या गुलाब जल से सेवन कराना चाहिए ।
हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए / परहेज –
- ठोस भोजन भी अधिक मात्रा में खाना हानिकारक है ।
- चाय, शराब, तम्बाकू, सिगरेट, मसालेयुक्त भोजन हानिकारक हैं ।
- रोगी स्वयं को मोटा होने से तथा वजन बढ़ने से भी बचाये रखे ।
- ऐसे भोजनों से अपना सर्वथा बचाव रखे, जिससे उदर में गैस बनती हो अथवा मल अधिक मात्रा में बनता हो ।
- इर्षा, द्वेष भाव, क्रोध तथा शक्ति से अधिक मानसिक अथवा शारीरिक श्रम से भी बचे रहना चाहिए।
नोट- हाई ब्लड प्रेशर में विटामिन सी का प्रयोग परम लाभप्रद है। इस हेतु विटामिन युक्त औषधियाँ, फल, साग-सब्जियाँ अपनी दिनचर्या में अवश्य सम्मिलित करें । हाई ब्लड प्रैशर में पहाड़ी झरना (Spring) का पानी 300-300 मिली. निरन्तर दिन में 3 बार लम्बे समय तक पीना लाभदायक है क्योंकि इस पानी में मैग्नेशिया सल्फेट होता है जो कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है ।
चेतावनीः लम्बे समय हररोज बी.पी.के लिए अंग्रेजी दवाइ(Allopathic medicine)लेते रहने से लीवर और किडनी खराब होने की संभावना रहती है। इस लिए अंग्रेजी दवाइयों से यथा संभव परेज करें |
उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा :
उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के लिए अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित“ शोधन कल्प चूर्ण ” बहुत ही गुणकारी व लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)