उपदंश रोग के 23 घरेलू उपचार | Updansh (Syphilis) ke Gharelu Upchar

Last Updated on November 21, 2019 by admin

रोग परिचय:

इसे अंग्रेजी में ‘सिफलिस / Syphilis ‘ के नाम से जाना जाता है। यह दुश्चरित्रा स्त्री से मैथुन करने से एक-दूसरे को होता है।
आइये जाने सिफलिस(Syphilis) के लक्षण

उपदंश (सिफलिस) के लक्षण : updansh ke lakshan

1)   पहले लिंग पर एक हल्के रंग का पीड़ा रहित घाव होता है । वह 3 सप्ताह में ठीक हो जाता है । फिर डेढ़-दो महीनों के बाद त्वचा पर बड़े-बड़े भूरे रंग के उभेद निकल आते हैं ।
2)   उचित चिकित्सा व्यवस्था से यह रोग पूर्णरूपेण निर्मूल (नष्ट) हो जाता है । अतः यह रोग पूर्णत: साध्य है, असाध्य नहीं है ।
3)   किसी स्त्री अथवा पुरुष को उपदंश है अथवा नहीं इसकी पहचान (परीक्षा) हेतु उसके शरीर पर किसी भी भाग पर नीबू का रस लगाकर देखें, यदि यह असहनीय प्रतीत हो तो समझ लें कि उपदंश का रोग है।
आइये जाने सिफलिस होने के कारण,Syphilis ke karan

उपदंश (सिफलिस) के कारण : updansh ke karanSyphilis updansh rog ka ilaj

1)    यह रोग वेश्यावृत्ति करने वाली औरतों व वेश्यागमन करने वाले पुरुषों में अधिक होता है ।
2)   यह रोग वंशानुगत (माता-पिता से) भी उनकी सन्तानों में पहुँच जाता है । यह एक महा भयंकर संक्रामक रोग है, जो एक रोगी से दूसरे को हो जाता है।
आइये जाने उपदंश रोग का इलाज ,updansh rog ka ilaj

उपदंश (सिफलिस) के घरेलू उपचार : updansh ke gharelu upchar

1)    नीम की पत्तियों का 10 ग्राम रस प्रतिदिन पिलायें तथा नीम के बीजों का तैल यौनांगों पर मालिश करें । नीम का तैल कृमि और दूषित गर्मी का संहार करता है। नीम का तैल 5 ग्राम की मात्रा में पीना भी अतीव गुणकारी है । अथवा नीम को कोमल शाखाओं की छाल 10 ग्राम, भांगरा 10 ग्राम तथा काली मिर्च 10 दाने लें और 100 ग्राम पानी में पीसकर प्रतिदिन पिलायें । नीम का तैल यौनांगों पर मलें । यह उपदंश(आतशक) को अन्दर-बाहर से समूल नष्ट करने हेतु शर्तिया घरेलू इलाज है । कोई एक योग नीम का अवश्य प्रयोग में लायें ।   ( और पढ़ें –  नीम अर्क पिने के फायदे )

नोट-उपदंश में सर्वप्रथम रोगी के बलाबल के अनुसार जुलाब देकर दोषों को निकालें । फिर उपदंश नाशक औषधियों (योगों) का प्रयोग करें । रोगी को शीतल औषधियों शीतल खाद्य पदार्थों तथा शीत से भी बचाना चाहिए अन्यथा उसे गठिया का रोग हो जाएगा ।

2)   मुन्डी और गिलोय सममात्रा में लेकर कूट पीसकर छानकर रख लें । इस चूर्ण को 4-4 माशा की मात्रा में शहद में मिलाकर सुबह-शाम शीतल जल के साथ नियमपूर्वक सेवन करने से उपदंश, वातरक्त, कोढ़ तथा पारे (पारा) के विकार नष्ट हो जाते हैं । परीक्षित है।  ( और पढ़ें – गिलोय के 12 अदभुत फायदे )

3)   हरड़, बहेड़ा, आँवला, नीम की छाल, अर्जुन की छाल, पीपल की छाल, खैर की लकड़ी, विजय और अडूसे को पत्ते सभी को बारीक पीस छानकर चूर्ण तैयार कर लें। जितना चूर्ण हो उतनी ही शुद्ध गुग्गुल मिला लें । 6-6 माशे की गोलियां बनाकर सुरक्षित रख लें । इन के सेवन करने से सभी तरह के उपदंश, रक्त विकार एवं दूसरे फोड़े एवं मान नष्ट हो जाते हैं ।
(नोट-एक कलईदार पतीला में अन्दाजन पानी और त्रिफला भर दें, ऊपर से कपड़ा बांधकर उसी पर गुग्गुल का चूर्ण रखकर पतीला को ढक्कन से बन्द करके आग पर चढ़ाकर पकायें इस प्रयोग से गुग्गुल शुद्ध हो जाती है ।)   ( और पढ़ें – हरड़ खाने के 7 बड़े फायदे )

4)   अनन्तमूल 50 ग्राम को जौकुट करके आधा किलो खौलते हुए पानी में 2 घंटे तक भिगोवे, तदुपरान्त निचोड़ कर छान लें । इसे 50-50 ग्राम की मात्रा में दिन में 4-5 बार पिलाने से उपदंश में लाभ होता है ।

5)   आम के पेड़ की ताजा छाल का रस 20 से 40 ग्राम तक प्रतिदिन प्रात:काल ही, बकरी के दूध के साथ 6 दिन तक सेवन करने से उपदंश में लाभ होता है।  ( और पढ़ें –रसीले आम के 105 लाजवाब फायदे )

6)   अकरकरा और आक की जड़ को समभाग लें । उसमें 2 भाग काली | मिर्च तथा 4 भाग मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें । इसे 2 से 4 ग्राम तक की मात्रा | में सेवन कराने से उपदंश में लाभ होता है ।  ( और पढ़ें – अकरकरा के 29 जबरदस्त औषधीय प्रयोग )

7)   उपदंश द्वारा रक्त विकृत होने पर जब सम्पूर्ण शरीर में विस्फोट सन्धियों | की जकड़न तथा धब्बे इत्यादि हो गये हों तो चोबचीनी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा | में दिन में 2-3 बार दूध के साथ देने से विशेष लाभ होता है ।

8)   धतूरे की जड़ को छाया-शुष्क कर महीन चूर्ण कर सुरक्षित रख लें । आवश्यकता के समय इसमें से 2 चावल भर (आधी रत्ती) की मात्रा में पान में | रखकर खिलाने से उपदंश समूल नष्ट हो जाता है ।  ( और पढ़ें –धतूरा के 60 लाजवाब औषधीय प्रयोग )

9)   नीम की छाल 200 ग्राम को जौकुट करके शाम को 1 किलो खौलते पानी में डालकर आग से नीचे उतारकर रात भर इसी पानी में पड़ी रहने दें तथा प्रात: छानकर इसमें से 50 ग्राम उपदंश रोगी को पिला दें। शेष जल से उपदंश के व्रणों को प्रक्षालन करवाये । इस प्रयोग से शीघ्र ही उपदंश के व्रण सूख कर उपदंश नष्ट हो जाता है ।

10)   मेंहदी के पत्तों का रस 40 ग्राम में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर 10-12 दिनों तक पिलाने से उपदंश की गर्मी शान्त होकर लाभ हो जाता है ।

11)   तम्बाकू के फूल 6 ग्राम, गेहूँ 200 ग्राम, सुहागा 1 ग्राम, आँवला 10 ग्राम सभी को पीसकर लेप बनाकर लगाने से उपदंश के व्रणों में शीघ्र लाभ होता है।

12)   सफेद कत्था 20 ग्राम, कर्पूर 10 ग्राम, सिन्दूर 5 ग्राम लें । तीनों को पीस छानकर 100 बार धुले हुए 125 ग्राम मक्खन में मिलाकर मलहम बनालें। इस मलहम के लगाने से भयंकर उपदंश के घावों में भी लाभ हो जाता है।

13)   पीली हरड़, सुहागा, आंवला इन सबको जलाले और पीस कर पाउडर बनालें । उसे घावों पर छिड़कने से उपदंश जन्य व्रण भरने लगते हैं ।

14)   सुपारी को घिसकर लेप करने से उपदंश के व्रणों में लाभ होता है।

15)   उपदंश के कारण जब हलक में व्रण हो जावे तो उन पर तूतिया का प्रयोग अतीव गुणकारी है । कमजोर व्रणों पर इसका लोशन लगायें । एक औंस पानी में 1 ग्रेन तूतिया डालने से ‘तूतिया लोशन’ बन जाता है।

16)   चन्दन के तैल की 4-5 बूंदें बताशे में डालकर 1 सप्ताह तक खाते रहने से उपदंश का रोग नष्ट हो जाता है ।

17)   भैस की चर्बी गरम करके पाँवों की पिन्डलियों पर मलने से 7 दिन में उपदंश का नामोनिशान मिट जाता है ।

18)   अधभुने जीरे में काला नमक मिलाकर उसका शरबत बनाकर पीने से शरीर पर के गर्मी के चकत्ते गायब हो जाते हैं तथा खून साफ होकर उपदंश रोग ठीक हो जाता है।

19)   ब्राह्मी बूटी दो रत्ती चूर्ण दिन में दो बार खिलाएं उपदंश का रोग नष्ट हो जाता है । ( और पढ़ें – ब्राह्मी के 26 जबरदस्त औषधीय प्रयोग)

20)   रस कपूर व काली मिर्च समभाग पीसकर बारीक कर लें । चौथाई रत्ती मक्खन या मलाई में मिलाकर खा लें । उपदंश नाशक है ।

21)   त्रिफला को कड़ाही में जलाकर सम भस्म को शहद के साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करने से उपदंश दूर हो जाता है ।

22)   सुपारी घिसकर, उपदंश वाले स्थान पर लगाएं उपदंश रोग ठीक हो जाता है।

23)   आंवला, हरड़, बहेड़ा को कड़ाही में जलाकर शहद में पीसकर इन्द्रिय पर लगाने से उपदंश ठीक होता है ।  ( और पढ़ें – त्रिफला (Triphala )लेने का सही नियम )

उपदंश की दवा : updansh rog ki dawa

अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित उपदंश में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |

1) नीम तेल (Achyutaya Hariom Neem Tel)
2) नीम अर्क (Achyutaya Hariom Neem Ark)

प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |

नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।

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