Last Updated on October 4, 2020 by admin
कपूर एक प्रकार के सदैव हरे-भरे रहने वाले पेड़ से प्राप्त होता है। इसके वृक्ष काफी ऊंचे-ऊंचे होते हैं। पूरे पेड़ से कपूर की गंध आती रहती है। देश के पहाड़ी क्षेत्रों तथा सुमात्रा, बोर्नियो आदि द्वीपों में इसके वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। कपूर का आप निम्न प्रकार से प्रयोग करके लाभ उठा सकते हैं।
कपूर के फायदे और उपयोग : kapoor (Camphor) ke fayde in hindi
1. देवपूजन – देवपूजन, हवन, यज्ञ, अनुष्ठान, आरती में प्रमुखता से कार्य में आता है। ( और पढ़ें – कपूर के 93 लाजवाब औषधीय प्रयोग)
2. बृश्चिकदंश – कपूर को मद्यसार (स्प्रिट) में घोलकर रुई का फोहा लगाने से बृश्चिकदंश (बिच्छू काटने )में तुरन्त लाभ होता है । ( और पढ़ें – कर्पूर का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व )
3. शीत पित्त – कपूर को खोपरे के तैल में लगाने से शीत पित्त नष्ट हो जाती है। ( और पढ़ें – पूजा के लिये शुद्ध कपूर )
4. दात दर्द – कपूर को दांत में दबाने से दन्तपीड़ा दूर हो जाती है । ( और पढ़ें – दाँत दर्द की छुट्टी कर देंगे यह 51 घरेलू उपचार )
5. खाँसी – कपूर 2 रत्ती, मुलहठी दो माशा मिलाकर सुबह-शाम मधु से चाटने से गले की खराश और खाँसी तुरन्त कम होकर 3-3 दिन में जड़ से नष्ट हो जाती है। ( और पढ़ें – खांसी दूर करने के 191 देसी नुस्खे)
6. अतिसार – कपूर 1 रत्ती और कच्चे बिल्व (बेल) का चूर्ण तीन माशा सुबह-शाम तक्र के साथ सेवन करने से अतिसार 24 घंटे में ही थम जाता है । ( और पढ़ें – दस्त रोकने के 33 घरेलु उपाय )
7. पेट के रोग – हींग और कपूर 2-2 रत्ती मिलाकर शहद के साथ चाटने से श्वास, मूर्छा और उदर विकार दूर हो जाते हैं । ( और पढ़ें – बेहोशी दूर करने के 43 सबसे कामयाब घरेलु उपाय )
8. निमोनिया – सरसों के तेल में कपूर घोटकर छाती पर मालिश करने से निमोनिया और छाती का दर्द शान्त हो जाता है ।
9. अजीर्ण – 24 औंस शुद्ध,मथ-सार स्प्रिट में 4 औस कपूर मिलाने पर कपूर अर्क बन जाता है । इस अर्क की 10 से 20 बूंद तक बताशे में टपकाकर अथवा जल में मिलाकर रोगी को सेवन कराने से वमन, अजीर्ण, विशूचिका, आँव दस्त और पेट की मरोड़ निःसन्देह मिट जाते हैं ।
10. प्रसवकालीन वेदना – प्रसवोत्तर एवं प्रसवकालीन वेदनाधिक्य में डेली वाला कपूर 250 से 750 मि.ग्रा. तक पान में रखकर खिलाना लाभप्रद है। ( और पढ़ें –प्रसव पीड़ा को दूर करते है यह असरकारक 38 घरेलु उपाय )
11. कष्टार्तव – गर्भाशय शूल एवं कष्टार्तव में 250 से 500 मि.ग्रा. तक कपूर और काला जीरा 1 ग्राम का मिश्रण दिन में 2-3 बार शहद से चटाना लाभकारी है।
12. कामवासना – स्त्रियों की कामवासना की अधिकता में कपूर 250 मि.ग्रा. की मात्रा में दिन में 2-3 बार कदली (केला) स्वरस आधा औंस के अनुपान से देना अतीव गुणकारी है ।
13. उन्माद रोग – प्रसव के बाद होने वाले उन्माद रोग में कपूर 250 मि.ग्रा. की दिन में 4 मात्राएँ शंखपुष्पी स्वरस या सारस्वतारिष्ट आधी से 1 औंस के अनुपान से सेवन कराने से लाभ होता है ।
14. स्तनों का दूध – कपूर को जल में घिसकर स्त्री के स्तनों पर लेप करने से स्तनों का दूध सूख जाता है । इस प्रयोग को दुग्धपान करने वाले शिशु की मृत्यु हो जाने पर अक्सर महिलायें करती हैं और लाभान्वित होती हैं ।
15. जुकाम – कपूर को रूमाल में बांधकर सूंघते रहने से जुकाम दूर हो जाता है । ( और पढ़ें – सर्दी-जुकाम के 20 आयुर्वेदिक घरेलु उपचार)
16. सिर दर्द – कपूर और श्वेत चन्दन को तुलसी पत्र के स्वरस में पीसकर ललाट प्रदेश में लेप करने से शिर:शूल (सिर की पीड़ा) मिट जाती है । ( और पढ़ें – सिर दर्द को दूर करने के 145 घरेलु उपचार)
17. कमर दर्द – कपूर को चत्गुणं तिल या एरन्ड के तैल में खूब भली प्रकार खरल करके दर्द के स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करने से सन्धिशूल, कटिशूल और नाड़ीशूल नष्ट हो जाता है ।
18. श्वास – कपूर और हींग सममात्रा में लेकर मधु के साथ खरल करके 250 से 500 मि.ग्रा, की गोलियाँ बनाकर अदरक के स्वरस के साथ 4-4 घंटे पर सेवन करने से तमकश्वास और जीर्ण कास के दौरों में शीघ्र लाभ होता है ।
19. घावों में कृमि पड़ना – गाय, बैल, भैंस, बकरी इत्यादि पालतू जानवरों के घावों में कृमि पड़ने पर कपूर का बारीक चूर्ण बनाकर भर देने से व्रणगत कृमि नष्ट हो जाते हैं ।
20. बुखार – डेली वाला कपूर 3 ग्राम, जल 750 मि.ली. लें । 2 साफ-स्वच्छ खाली बोतलों में कपूर की स्वच्छ रेशमी वस्त्र में पोटली बाँधकर जल से भरी बोतल में डाल दें । एक घंटे बाद यह सभी प्रकार के ज्वरों में लाभ पहुँचाने वाला कपूर पेय तैयार हो जाता है । आवश्यकतानुसार थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें । यह पेय समस्त प्रकार के ज्वरों को दूर करता है । यह पेय अति सौम्य, हृदय को बल देने वाला, शीतल, एन्टीसैप्टिक, दीपक, पाचक और ज्वरों से उत्पन्न तृषा को नष्ट करने वाला है । आन्त्रिक ज्वर में यदि इसका प्रारम्भ से ही सेवन कराया जाए तो टाक्सीमिया जैसी स्थिति नहीं बनने पाती है और रोगी शीघ्र रोगमुक्त हो जाता है।
कपूर सेवन की मात्रा :
कपूर की मात्रा वयस्कों में अधिकतम 4 से 5 ग्राम तक और बच्चों में आधा से एक ग्राम तक है। साधारण गृहस्थ उक्त मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन कदापि न करें अन्यथा हानि होगी क्योंकि अधिक मात्रा में कपूर सेवन करना जहर सेवन करना है। यदि आवश्यक हो तो अपने पारिवारिक सुयोग्य रजिस् वैद्य (चिकित्सक) से परामर्शानुसार ही सेवन करें ।
कपूर के अन्य घरेलू नुस्खे और उपाय (Camphor ke Gharelu Nuskhe in Hindi)
- पित्ती उछलने पर या किसी प्रकार की एलर्जी होने पर कपूर को नारियल तेल में मिलाकर धीरे-धीरे मलें।
- जुकाम होने पर कपूर को कपड़े में लपेटकर दिन में कई बार सूंघे।
- सिरदर्द में कपूर तथा श्वेत चंदन को तुलसी के पत्ते के रस के साथ पीसकर लेप करें।
- कपूर, हींग, बच और वायविडंग का चूर्ण करके रख लें। तेज दांत दर्द या जहां कीड़ा लगा हो, वहां पर उस चूर्ण को भर दें। दर्द में तुरंत आराम होगा।
- कपूर को गुलाब जल में घोंटकर नाक में टपकाने से नाक से रक्त आना (नकसीर) बंद हो जाता है। करीब 4-4 बूंदें 1-1 घंटे के अंतराल में डालें।
- तेज पेट दर्द में कपूर, जायफल और हल्दी तीनों बराबर मात्रा में पीसकर पेट पर लेप करें।
- खांसी तथा श्वास होने पर 20 ग्राम गुड़ में 10 ग्राम कपूर मिलाकर चने के बराबर गोली 2 बार जल से लें।
- हर प्रकार की खांसी में 100 ग्राम सितोपलादि चूर्ण में 10 ग्राम कपूर मिलाकर चौथाई चम्मच की मात्रा में 2 बार शहद से लें।
- रक्त प्रदर में कपूर 5 ग्राम, लाल चंदन 20 ग्राम के चूर्ण को चौथाई चम्मच की मात्रा में 2 बार जल से लें।
- सूखी खांसी तथा रात्रि में बढ़ने वाली खांसी के लिए काली मिर्च, पीपर, बहेड़े की छाल व कुलंजन प्रत्येक 10-10 ग्राम लें। अनार के फल का छिलका, लौंग, कपूर प्रत्येक 5-5 ग्राम लें। इसमें 50 ग्राम सफेद कत्था मिला लें। बबूल की छाल के रस में चूर्ण को छानकर चने बराबर गोलियां बना लें। 2-2 गोली दिन में 5 से 7 बार चूसें। पुरानी से पुरानी कष्टप्रद खांसी भी एक सप्ताह में ठीक हो जाती है।
- निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) के मरीजों को चाहिए कि वे 4 ग्राम कपूर, 3 ग्राम शुद्ध कुचला, अश्वगंधा 20 ग्राम, पीपर 20 ग्राम को एक साथ पीसकर चूर्ण करके रख लें। चौथाई चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार शहद से सेवन करें।
- श्वास का वेग तेज होने पर कपूर 1 भाग, हींग 2 भाग लेकर चने के बराबर गोली बनाकर 1-1 गोली 2-2 घंटे के अंतर पर गरम जल से लें।
- यदि गला बैठ गया हो या बोलने में बहुत दर्द होता हो तो कपूर 4 ग्राम, दालचीनी 2 ग्राम, इलायची 12 ग्राम, मुलहठी सत्व 12 ग्राम (न मिलने पर मुलेठी चूर्ण 20 ग्राम) महीन पीसकर चने के बराबर गोली बना लें। 2-2 गोली मुंह में रखकर दिन में 3-4 बार चूसें।
- हैजा, पतले दस्त, उलटी आदि में कपूर रस की गोली 1-1 गोली दिन में 3 बार लेने से तत्काल आराम देगा। कपूर रस बाजार में बना हुआ उपलब्ध है।
- यदि मुंह पक गया हो तो कपूर व मिश्री मिलाकर मुंह में रखकर धीरे-धीरे मुंह चलाएं।
- भुनी अजवाइन 100 ग्राम, सेंधा नमक 20 ग्राम, कपूर 4 ग्राम मिलाकर चूर्ण कर लें। यह चूर्ण भयंकर अजीर्ण, अपच आदि में आधा-आधा चम्मच की मात्रा में गरम जल से लें।
कपूर से बनी आयुर्वेदिक दवा : kapoor (Camphor) se bani dawa
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा कपूर से निर्मित लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
- अमृत द्रव ( Amrit Drav )
- संतकृपा सुरमा (Santkrupa Surma)
- दंत सुरक्षा तेल -(Dant Suraksha Tel)
कपूर के नुकसान : kapoor (Camphor) ke nuksan
- कपूर का अधिक मात्रा में सेवन शरीर में विषैला प्रभाव उत्पन्न करता है |
- कपूर के अधिक मात्रा में सेवन से आंखों से कम दिखाई देना, शरीर का नीला होना, चेहरे का सूज जाना, दस्त रोग, नपुंसकता, तन्द्रा, दुर्बलता, पेट दर्द, उल्टी, प्रलाप, भ्रम, पक्षाघात (लकवा), पेशाब में रुकावट, अंगों का सुन्न होना, पागलपन, बेहोशी, खून की कमी आदि लक्षण उत्पन्न हो सकते है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)