Last Updated on June 1, 2022 by admin
कमर में दर्द (कटिशूल) : Kamar me Dard in Hindi
कटिशूल अर्थात् कमर में दर्द की विकृति से स्त्री-पुरुष दोनों पीड़ित होते हैं, लेकिन पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां कटिशूल से अधिक पीड़ित दिखाई देती हैं। घर में रहने वाली और बाहर जाकर किसी ऑफिस में काम करने वाली स्त्रियां कटिशूल की शिकायत करती हैं।
कटिशूल की विकृति में इतना अधिक शूल होता है कि उनको कुर्सी व सोफे पर बैठना भी मुश्किल हो जाता है। बिस्तर पर लेटने पर भी कटिशूल में आराम नहीं मिलता।
40-50 वर्ष की आयु में पहुंचने पर स्त्री-पुरुषों की कटि में विभिन्न कारणों से शूल की उत्पत्ति होना स्वाभाविक हो सकता है। अधिक समय तक कुर्सी पर झुककर बैठने के कारण, सीढ़ियों से फिसलकर गिरने पर, कमर पर चोट लगने, वात विकार व किसी रोग के कारण भी अधिक आयु में कटिशूल हो सकता है, लेकिन जब किसी नवयुवती को कटिशूल होता है। तो उसे अधिक पीड़ादायक स्थिति से गुजरना पड़ता है।
विवाहित स्त्रियों के लिए घर में काम करना, झुककर फर्श साफ करना, फर्श से किसी वस्तु को उठाकर मेज पर रखना, मेज पर बैठकर काम करना भी मुश्किल हो जाता है।
कमर में दर्द के कारण : Kamar me Dard ke Karan in Hindi
- आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार कटिशूल की विकृति वात विकार के कारण होती है। ‘वातहते नास्ति रुजा‘ अर्थात् किसी भी अंग में शूल की उत्पत्ति वायु के विकार के बिना नहीं हो सकती। कटि में प्रकुपित वायु के पहुंचने पर कटि शूल की उत्पत्ति होती है।
- जो स्त्री पुरुष शीतल खाद्य व पेय का अधिक सेवन करते हैं और शीतल वातावरण में रहते हैं, वे कटिशूल से पीड़ित होते हैं।
- घरों में नंगे पांव रखकर फर्श पर पोंचा लगाने व फर्श धोने वाली स्त्रियां शीतलता के कारण कटिशूल से पीड़ित होती हैं।
- उठने-बैठने और कोई भारी वस्तु उठाकर चलने का अनुचित ढंग भी शरीर के असंतुलित होने पर कटिशूल की उत्पत्ति करता है।
- जब कोई नवयुवती जल से भरी बाल्टी को उठाती है तो एक ओर कुछ अधिक झुक जाती है। फर्श साफ करते हुए भी स्त्रियां अपनी कमर को अनुचित ढंग से मोड़ती हैं। ऐसी स्थिति से गुजरने पर कटिशूल की उत्पत्ति अधिक होती है।
- सीढ़ियों से फिसलकर गिरने या कोई बोझ उठाए हुए फर्श या गुसलखाने में फिसल कर गिरने पर कमर व मेरुदण्ड पर कोई आघात लगने से कटिशूल होने लगता है।
- भोजन में अरबी, गोभी, दही, कचालू, उड़द की दाल से बने व्यजंन, चावल, आइसक्रीम व शीतल पेय (कोल्ड ड्रिंक्स) पीने वाले कटिशूल उत्पत्ति से अधिक पीड़ित होते हैं।
- मल-मूत्र के वेगों को अधिक समय तक रोकने से भी कटिशूल की उत्पत्ति हो सकती है।
- स्त्रियों में ऋतु की विकृति कटिशूल की उत्पत्ति कर सकती है।
- प्रसव के बाद सर्दी लग जाने व शीतल खाद्य पदार्थों से कटिशूल प्रारंभ हो सकता है।
- श्वेत प्रदर व रक्त प्रदर रोग के कारण भी स्त्रियां कटिशूल से पीड़ित होती हैं। योनि पर जीवाणुओं का संक्रमण होने पर कटिशूल हो सकता है। गृध्रसी (सायटिका) के कारण भी कटिशूल हो जाता है।
- कुछ स्त्रियों को शरीर में रक्त की अत्यधिक कमी के कारण कटिशूल से पीड़ित होना पड़ता है।
- मानसिक तनाव, चिंता, शोक व भय की परिस्थिति में स्त्री-पुरुषों में कटिशूल की उत्पत्ति होती है।
कमर में दर्द के लक्षण : Kamar Dard ke Lakshan in Hindi
- कटिशूल में स्त्री-पुरुषों की कमर में शूल की उत्पत्ति होती है। चिकित्सकों के अनुसार पीठ के मूल में और कटि के बीच में त्रिक होता है। इस त्रिक भाग में दूषित वायु पहुंचकर दाह की उत्पत्ति करती है। इसमें पीड़ा भी होती है। कटिशूल के संबंध में लिखा है :
स्फिगस्यनो पृष्ठवंशास्थनीर्य संधिस्तत् त्रिकं मत्तम्।
तत्र वातेन या पीडा त्रिक शूलं तदुच्यते ।
कटिशूल में अचानक कटि में विद्युत की चमक की तरह शूल की उत्पत्ति होती है। - कटिशूल के कारण रोगी को चलने-फिरने सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में बहुत पीड़ा होती है।
- शीत ऋतु में कटिशूल की विकृति अधिक होती है।
- वात प्रकृति वाले स्त्री-पुरुष कटिशूल से अधिक पीड़ित होते हैं।
- दिन की अपेक्षा रात्रि में अधिक कटिशूल की उत्पत्ति होती है।
- कटिशूल के कारण मूत्र विकृति के लक्षण दिखाई देते हैं।
- स्थूल शरीर वाले स्त्री-पुरुषों को अधिक कटिशूल की उत्पत्ति होती है।
कमर दर्द का इलाज : Kamar me Dard ka Ilaj in Hindi
कटिशूल की चिकित्सा के लिए कोई औषधि देने से पहले कटिशूल की। उत्पत्ति का कारण जान लेना आवश्यक होता है। यदि कटिशूल की उत्पत्ति सर्दी लगने से, वात विकार के कारण हुई तो कुछ उष्ण औषधियों से कटिशूल का निवारण किया जा सकता है। स्त्रियों को श्वेत प्रदर या ऋतुस्राव के कारण कटिशूल (period me kamar dard) की उत्पत्ति होने पर पहले उस रोग-विकार को नष्ट करने के लिए औषधियां दी जाती हैं। साधारण कटिशूल में वातनाशक तेलों की मालिश करने से ही शूल नष्ट हो जाता है।
कमर दर्द के देसी नुस्खे और उपाय : Kamar Dard ke Gharelu Nuskhe aur Upay in Hindi
1. अजवायन – अजवायन और गुड़ को समान भाग मिलाकर सुबह-शाम खाने से कमर का दर्द मिटता है।
2. मेथी के लड्डू – मेथी को कुछ घी में सेंक कर इसकी लुगदी बनाकर उसमें गुड़, घी डालकर लड्डू बनाना। लड्डू 8-10 दिन तक खाने से कमर का दर्द ठीक होता हैं। जकड़े हुए अंग अलग पड़ते हैं एवं हाथ और पैर में होनेवाली अकड़ाहट दूर होती है।
3. गोखरू – सौंठ और गोखरू समान भाग में लेकर उबालकर इसका पानी रोज सुबह पीने से कमरदर्द कम होता है।
4. सौंठ – सौंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ फांकने से कमर का दर्द मिटता है।
5. खजूर – पांच खजूर के गुदे को उबालकर उसमें आधा तोला मेथी डालकर पीने से कमर का दर्द कम होता है।
6. लहसुन – सौंठ, लहसुन, अजवायन और राई डालकर तेल गर्म करके इसकी मालिश करने से कमर का दर्द और शरीर जकड़ गया हो तो मिटता है । जोड़ों का दर्द भी मिटता है।
7. अदरक – अदरक के रस में थोड़ा नमक डालकर इसकी मालिश करने से जोड़ों का दर्द मिटता है। गर्दन की नस खींच गई हो तो ठीक हो जाती है।
8. जायफल – जायफल को सरसों के तेल में घिसकर मालिश करने से जकड़े हुए जोड़ अलग होते हैं और दर्द भी मिटता है।
9. लौंग – लौंग का तेल घिसने से जोड़ो का दर्द मिटता है।
10. धनिया – पीसा हुआ धनिया 10 ग्राम और सौंठ तीन ग्राम लेकर पीसकर उबालकर द्रावण बनाकर इसमें शहद डालकर पीने से छाती का दर्द मिटता है।
11. खाने का सोडा – सौंठ, खाने का सोडा और हींग का चूर्ण गर्म पानी में पीने से सभी प्रकार के दर्द मिटते हैं।
12. जीरा – जीरा, हींग और सेंधा नमक को घी के साथ लेने से दर्द मिटता है।
13. हींग – एक चम्मच सिकी हुई हींग थोड़े गर्म पानी में पीने से कमर का दर्द मिटता है।
14. एरंडी का तेल – सौंठ को उबालकर द्रावण बनाकर उसमें एक चम्मच एरंडी का तेल डालकर पीने से दर्द मिटता है।
14. मेथी – 10 से 15 ग्राम मेथी रोजाना फांकने से वायु का दर्द मिटता है।
15. तुलसी – किसी भी प्रकार का दर्द, छाती, हृदय या सिर का दर्द हो तब तुलसी का रस गर्म कर उस पर मालिश करने से तुरंत आराम होता है एवं दो चम्मच तुलसी का रस पीना चाहिए।
15. आलू – कच्चे आलू को छीले बिना टुकड़े करके इसका रस निकालकर तुरन्त पीने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
16. तांबे के बर्तन का पानी – तांबे के बर्तन में रात भर रखा पानी सुबह खाली पेट पीने से जोड़ों के दर्द से ग्रस्त रोगी को फायदा होता है।
17. नमक – समुद्र के पानी में नियमित स्नान करने से जोड़ों के दर्द के रोगी को खूब फायदा होता है। समुद्र के पानी में स्नान करना संभव न हो तो समुद्री नमक गर्म पानी में घोलकर इससे स्नान करना चाहिए।
18. इमली – इमली का बीज (चींया) एक किलो लेकर शाम को पानी में भिगोकर, सुबह छिलके उतारकर उसकी गिरी को धूप में सूखने दो। सूखने के बाद इसका चूर्ण बनाकर इसके तीन ग्राम चूर्ण के साथ एक ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण मिलाकर रोज सुबह खाने के पहले दूध के साथ एवं रात को खाने के पहले गर्म दूध के साथ लेने से जोड़ों के दर्द और लकवा के रोगी को फायदा होता है। सौंठ – सौंठ का काढ़ा पीने से जोड़ों का दर्द दूर होता है।
19. मिट्टी का तेल – जोड़ों के दर्द पर हल्का गर्म केरोसीन मालिश करने से दर्द मिटता है।
कमर में दर्द का घरेलू उपचार : Kamar me Dard ka Gharelu Ilaj in Hindi
1. सोंठ द्वारा कमर में दर्द का घरेलू उपचार – सोंठ, गुड़ व घी बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करने से वात विकृति के कारण उत्पन्न कटिशूल नष्ट होता है। ( और पढ़ें – गुणकारी अदरक के 111 औषधीय प्रयोग )
2. अश्वगंधा के कमर दर्द मे फायदे – अश्वगंधा चूर्ण 1 ग्राम, पीपल के फल का चूर्ण 1 ग्राम, सहजन का गोंद 1 ग्राम और सोंठ का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में लेकर गाय के उष्ण दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कटिशूल नष्ट होता है। यह एक चमत्कारी कमर में दर्द का घरेलू उपचार है ।
( और पढ़ें – अश्वगंधा के 11 जबरदस्त फायदे )
3. त्रिफला चूर्ण से कमर में दर्द का इलाज – कोष्ठबद्धता की अधिकता रहने पर कटिशूल अधिक होता है। कोष्ठबद्धता को नष्ट करने के लिए रात्रि के समय 3 से 5 ग्राम मात्रा में त्रिफला चूर्ण हल्के उष्ण जल के साथ सेवन कराना चाहिए। कोष्ठबद्धता नष्ट होने से कटिशूल का प्रकोप भी कम होता है। ( और पढ़ें – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण घरेलु उपचार )
4. दशमूल क्वाथ का कमर दर्द में लाभ – गंभीरी छल, अरणी छाल, पाढ़, गोखरू का पंचांग या फल, बेल की छाल, पृश्निपर्णी का पंचांग, शालिपर्णी, छोटी और बड़ी कटेरी का पंचांग, सोनापाठा छाल, सभी चीजों को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम चूर्ण 160 ग्राम जल में उबालें। जब 40 ग्राम जल शेष रह जाए तो आग से उतार कर, छानकर सेवन करें। दिन में दो बार अवश्य सेवन करें। वात विकार से उत्पन्न कटिशूल शीघ्र नष्ट होता है।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
कमर दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : Kamar me Dard ka Ayurvedic Treatment in Hindi
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न औषधियों का प्रयोग चिकित्सक परामर्शानुसार प्रयोग करने पर लाभदायक है।
1. वसंत कुसुमाकर रस 125 मि.ग्रा. मात्रा में लेकर उसमें अश्वगंधा चूर्ण 1 ग्राम और हल्दी का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में मिलाकर, प्रतिदिन दिन में दो बार मधु मिलाकर सेवन करने से कटिशूल का निवारण होता है।
2. शूलराज लौह 1 ग्राम मात्रा प्रतिदिन त्रिफला के क्वाथ से सेवन करें। त्रिफला चूर्ण, गिलोय, कुटकी, नीम की छाल, चिरायता, वासा को बराबर मात्रा में कूटकर, 250 ग्राम जल में पकाएं। जब आधा जल शेष रह जाए तो क्वाथ को छान लें। इस तरह त्रिफला क्वाथ बनाकर, उसमें मधु मिलाकर शुलराज लौह को सेवन करें। कटिशूल व दूसरे वात विकार से उत्पन्न शूल नष्ट होते हैं।
3. शूलगज केसरी रस 1-1 रत्ती मात्रा में सुबह-शाम हल्के उष्ण जल के साथ सेवन करने से कटिशूल का अंत होता है।
4. शूल कुठार की एक-एक गोली सुबह-शाम काली मिर्च या अदरक के रस के साथ सेवन करने से वात विकार के कारण उत्पन्न कटिशूल अति शीघ्र नष्ट होता है।
5. योगराज गुग्गुल की दो-दो गोलियां सुबह-शाम हल्के उष्ण जल के साथ सेवन करने से कटिशूल नष्ट हो जाता है।
6. प्रसव में सर्दी लगने या शीतल खाद्य पदार्थों के सेवन से कटिशूल की उत्पत्ति होने पर दशमूलारिष्ट 15-20 मि.ली. मात्रा में, इतना ही जल मिलाकर भोजन के बाद सेवन कराने से बहुत लाभ होता है।
7. अभ्रक भस्म और रजत भस्म 1-1 रत्ती मात्रा में, सोंठ, पुष्कर मूल, भारंगी और अश्वगंधा के क्वाथ के साथ सेवन करने से कटिशूल नष्ट होता है। ( और पढ़ें – अभ्रक भस्म के चमत्कारिक लाभ )
कमर में दर्द की दवा : Kamar Dard ki Ayurvedic Dawa
- कमर दर्द का आयुर्वेदिक तेल – नारायण तेल की सुबह-शाम मालिश करने से कटिशूल नष्ट होता है।
- अच्युताय हरिओम मालिश तेल कमर के दर्द , मोच ,सुजन आदि में हल्के हाथ से मालिश करके गरम कपडे से सेंकने पर शीघ्र लाभ प्रदान करता है। कमर में दर्द का घरेलू उपचार और नुस्खों के साथ हमें कुछ खान-पान सम्बंधित सावधानियाँ भी बरतनी चाहिये ।
कमर दर्द से बचने के उपाय : Kamar Dard se Bachne ke Upay
- अधिकांश स्त्री-पुरुषों को वातवर्द्धक शीतल खाद्य पदार्थों के सेवन से कटिशूल होता है, इसलिए उड़द की दाल, अरबी, गोभी, भिण्डी, मटर, कचालू, अनार, अनन्नास, गाजर, मूली आदि का सेवन नहीं करें।
- दूषित और बासी (देर से बना रखा खाना) भी कटिशूल में हानि पहुंचाता है।
- फास्ट फूड व चाइनीज व्यजनों से परहेज करने से लाभ होता है।
- शीत ऋतु हो तो उष्ण जल से स्नान करें। बाथरूम से पूरे वस्त्र पहनकर बाहर निकलें। कुछ स्त्री-पुरुष उष्ण जल से स्नान करके, आधे-अधूरे वस्त्र पहनकर शीतल वातावरण में निकल आते हैं तो शीतल वायु के प्रकोप से कटिशूल से अधिक पीड़ित होते हैं।
- कटिशूल से पीड़ित स्त्री-पुरुषों को प्राकृतिक चिकित्सा से बहुत लाभ होता है। उष्ण और शीतल जल से स्नान करने पर कटिशूल नष्ट होता है। मेहन स्नान भी कटिशूल में बहुत उपयोगी होता है। रोग की तीव्रावस्था में भाप स्नान से बहुत लाभ होता है।
- शीत ऋतु में कटिशूल के रोगी को पर्याप्त ऊनी वस्त्र पहनने चाहिए।
- शीतल जल व कोल्ड ड्रिंक्स को भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए।
- सूप का सेवन करने से लाभ होता है।
- रोगी को सहवास से भी अलग रहना चाहिए।
- रात्रि में देर तक जागरण से बचे रहने से लाभ होता है।
- कोष्ठबद्धता (कब्ज) की विकृति को नष्ट करना आवश्यक है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)