Last Updated on June 28, 2020 by admin
करेला खाने के फायदे : Bitter Gourd in Hindi
- स्वस्थ व निरोग शरीर के लिए खट्टे, खारे, तीखे, कसैले और मीठे रस के साथ – साथ कडवे रस की भी आवश्यकता होती है ।
- करेले में कडवा रस तो होता ही है, साथ ही यह अनेक गुणों को अपने भीतर सँजोये हुए हैं ।
- करेला (karela) पचने में हलका, रुचिकर, भूख, बढानेवाला, पाचक, पित्तनाशक, मल-मूत्र साफ़ लानेवाला, कृमिनाशक तथा ज्वरनाशक है ।
- करेला रक्त को शुद्ध करता हैं, रोगप्रतिकारक शक्ति एवं हीमोग्लोबिन बढ़ाता हैं ।
- करेला यकृत की बीमारियों एवं मधुमेह (डायबिटीज ) में अत्यंत उपयोगी है ।
- करेला चर्मरोग, सूजन, व्रण तथा वेदना में भी लाभदायी है ।
- करेला कफ प्रक्रुतिवालों के लिए अधिक गुणकारी है ।
- स्वास्थ्य चाहने वालों को सप्ताह में एक बार करेले अवश्य खाने चाहिए ।
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गुणकारी करेले की सब्जी :
■ सब्जी बनाते समय कडवाहट दूर करने के लिए करेले के ऊपरी हरे छिलके तथा रस नहीं निकालना चाहिए । इससे करेले के गुण बहुत कम हो जाते हैं । कडवाहट निकाले बिना बनायी गयी सब्जी परम पथ्य है ।
■ बुखार, आमवात, मोटापा, पथरी, आधासीसी, कंठ में सूजन, दमा, त्वचा-विकार, अजीर्ण, बच्चों के हरे-पीले दस्त, पेट के कीड़े, मूत्ररोग एवं कफजन्य विकारों में करेले की सब्जी लाभप्रद है ।
करेले के औषधीय उपयोग और लाभ : Karela ke Labh in Hindi
मधुमेह ( डायबिटीज ) : आधा किलो करेले काटकर १ तसले में ले के सुबह आधे घंटे तक पैरों से कुचलें । 15 दिन तक नियमित रूप से यह प्रयोग करने से रक्त – शर्करा (ब्लड शुगर) नियंत्रित हो जाती है । प्रयोग के दिनों में करेले की सब्जी खाना विशेष लाभप्रद है ।
तिल्ली व यकृत वृद्धि :
- करेले का रस 20 मि.ली., राई का चूर्ण 5 ग्राम, सेंधा नमक 3 ग्राम – इन सबको मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से तिल्ली व यकृत (लीवर ) वृद्धि में लाभ होता है ।
- आधा कप करेले के रस में आधा कप पानी व २ चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह – शाम पियें ।
रक्ताल्पता : करेलों अथवा करेले के पत्तों का 2– 2 चम्मच रस सुबह – शाम लेने से खून की कमी में लाभ होता हैं ।
मासिक की समस्या : मासिक कम आने या नहीं आने की स्थिति में करेले का रस 40 मि. ली. दिन में 2 बार लें । अधिक मासिक में करेले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
गठिया : करेले या करेले के पत्तों का रस गर्म करके दर्द और सूजनवाले स्थान पर लगाने व करेले की सब्जी खाने से आराम मिलता हैं |
तलवों में जलन : पैर के तलवों में होनेवाली जलन में करेले का रस लगाने या करेला घिसने से लाभ होता हैं ।
विशेष : करेले का रस खाली पेट पीना अधिक लाभप्रद हैं । बड़े करेले की अपेक्षा छोटा करेला अधिक गुणकारी होता हैं ।
करेला खाने के नुकसान : Karela Khane ke Nuksan
- जिन्हें आँव की तकलीफ हो, पाचनशक्ति कमजोर हो,मल के साथ रक्त आता हो, बार – बार मुँह में छाले पड़ते हों तथा जो दुर्बल प्रकृति के हों उन्हें करेले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- करेले कार्तिक मास में वर्जित हैं ।