कर्ण पीड़ासन : कान के रोगों में विशेष लाभकारी आसन | Karna Pidasana Steps and Health Benefits

Last Updated on September 2, 2020 by admin

Karna Pidasana / Karnapidasana Steps and Health Benefits

आसन (Karna Pidasana /Karana pira asana)से रोगों में लाभ-

★ इस आसन(कर्ण पीड़ासन) के अभ्यास से स्नायु तंत्र (नर्वससिस्टम) मजबूत तथा क्रियाशील बनता है।
★ यह आसन सुषुम्ना में मौजूद सभी नाड़ियों को जगाता है, जिससे शरीर का रोम-रोम जाग उठता है।
★ इस आसन को करने से पूरा शरीर स्वस्थ, शक्तिशाली तथा सक्रिय बना रहता है।
★ कर्ण पीड़ासन पीठ, कमर, गर्दन, मेरुदण्ड तथा कानों को सबल बनाता है।
★ जिगर, स्पलीन तथा पेट के अन्य रोगों में भी लाभप्रद है।
★ मधुमेह तथा हार्निया के रोगों के लिए भी उपयोगी है।
★ शरीर के सभी जोड़ों को सबल बनाता है।
★ निम्न रक्तचाप के लिए लाभप्रद है।
कर्ण रोगों में विशेष लाभकारी होने से इस आसन का नाम कर्णपीड़ासन है ।

कर्ण पीड़ासन आसन (Karna Pidasana /Karana pira asana) की विधि-Karna Pidasana  Karana pira asana

★ कर्ण पीड़ासन(Karna Pidasana) आसन का अभ्यास एकांत व साफ-स्वच्छ जगह पर करना चाहिए।
★ इस आसन के लिए नीचे जमीन पर दरी या चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
★ अब पूरे शरीर को ढीला छोड़ें। दोनों हाथों को दोनों बगल में कमर के पास लगाकर सीधा रखें तथा हथेलियों को नीचे की तरफ करके रखें।
★ अब दोनों पैरों को एक साथ उठाकर धीरे-धीरे ऊपर सिर की ओर लाएं।
★ अब दोनों पैरों को दोनों कान से सटाकर सिर के दोनों ओर रखें तथा पंजे व घुटनों को नीचे फर्श से टिकाकर रखें। इस स्थिति में कुछ देर तक रहे, फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं और कुछ समय तक आराम करें।
★ इसके बाद फिर इस क्रिया को करें। इस क्रिया को प्रतिदिन 5 बार करें।

कर्ण पीड़ासन (Karnapidasana) करने में सावधानी-

★ इस आसन(Karnapidasana) के अभ्यास के समय पैरों को झटके से ऊपर ले जाने की कोशिश न करें। इससे गर्दन में मोच आदि आ सकती है। इस आसन को आराम से करें।
★ यह आसन कठिन है, इसलिए घुटनों व पंजों को फर्श पर टिकाने के स्थान पर पहले केवल पंजो को ही फर्श पर टिकाने की कोशिश करें। इसके बाद धीरे-धीरे घुटनों को भी फर्श पर टिकाने की कोशिश करें।

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