Last Updated on July 22, 2019 by admin
कुटज क्या है ? kutaj Kya Hai
कुटज (कुड़ा) का वृक्ष सारे भारत में और हिमालय की 4000 फीट ऊंचाई तक पैदा होता है। यह बहुत गुणकारी वनस्पति है।
इसकी छाल और बीज का उपयोग चिकित्सा हेतु किया जाता है।आयुर्वेद में इसके गुण,धर्म और उपयोग की विस्तृत जानकारी दी गई है। इसे कुट्ज और कुडैया भी कहते हैं। संस्कृत में इसे, इसके गुणों के आधार पर कुटज, कौट, वत्सक, रिमल्लिका, कालिंग, इन्द्रवृक्ष आदि कई नामों से पुकारा जाता है।
इसकी छाल चौथाई इंच मोटी, खुरदरी और भूरे रंग की होती है। इसके कड़वे बीज को इन्द्रयव (इन्द्रजौ) और मीठे बीज को मीठा इन्द्रयव कहते हैं। इन्द्रयव भी चिकित्सा के अन्तर्गत प्रयोग किया जाता है। इसके दो भेद बताये गये हैं- पुंकुटज और स्त्रीकुटज । इस वृक्ष में मई-जुलाई के महीनों में फूल लगते हैं और फरवरी से अप्रैल के दिनों पतझड़ हो जाता है।
कुटज के विभिन्न भाषाओं के नाम :
संस्कृत – कुटज । हिन्दी – कुड़ा, कुडैया। मराठी – कुड़ा। गुजराती – कुड़ो । बंगला – कुरंची। । तेलुगु -कोड़ाग तामिल – वेप्पलेई । कन्नड़ – कोरची । मलयालम-कोड़गपल । उड़िया-खेरवा । पंजाबी-केनर । फ़ारसीदरख्त जबाने कुज्शिक तल्ख । इंगलिश – कुर्ची (Kurchi)। लैटिन – होलेना एण्टीडिसेण्टरिका (Holarrhenaantidysenterica)
कुटज के औषधीय गुण : kutaj ke aushadhi gun
कुटज कटु और कषाय रस युक्त, तीक्ष्ण, अग्निदीपक और शीतवीर्य है। यह बवासीर, अतिसार, पित्तरक्त, कफ, तृषा, आम और कुष्ठ को दूर करता है। इन गुणों के अलावा अन्य आयुर्वेदिक निघण्टुओं के अनुसार कुटज की छाल के गुणों का वर्णन किया है। उनके अनुसार कुटज की छाल कड़वी, चरपरी, उष्णवीर्य, पाचक, ग्राही और कफविकार, कृमि, ज्वर, दाह और पित्ताशं का नाश करने वाली है। श्याम वर्ण के कुटज को अपेक्षाकृत उष्ण कहा है।
डॉ. देसाई के मतानुसार सफ़ेद कुटज की छाल कड़वी, दीपन, ग्राही, मियादी बुखार को कम करने वाली, ज्वर नाशक और बलदायक होती है । छाल और बीज में रक्तशोधक और वेदना शामक गुण होते हैं। सेक करने पर बीज के रक्त रोधक गुण में वृद्धि होती है इसलिए खूनी पेचिश रोकने वाली कुटज जैसी दूसरी कोई औषधि उपलब्ध नहीं है।
रासायनिक संघटन :
इसकी छाल में कोनेसिन तथा 17 अन्य क्षाराभ होते हैं। कुल क्षाराभ 0.22-4.2 % होता है। इसके अतिरिक्त गोंद 9.56, राल 0.2, तथा टेनिन 1.14 % होता है। बीजों में भी ये ही पदार्थ किन्तु अल्प प्रमाण में होते हैं। बीजों में एक उग्रगन्धि तैल 19.3० % निकलता है।
कुटज के फायदे और उपयोग : kutaj ke fayde in hindi
Kutaj Benefits in Hindi
इसका उपयोग कई प्रकार से किया जाता है। ताजी जड़ की छाल को खट्टी छाछ के साथ पीस कर, इसे 2-2 चम्मच दिन में तीन बार पीने से ज्वर, पेचिश, बार-बार दस्त आना रक्त स्राव होना और दस्त के साथ रक्त गिरना आदि व्याधियां दूर होती हैं। इसके उपयोग से भूख खुलती है, अन्न का पाचन ठीक से होता है और उदर में वायु उत्पन्न होती है। उदर में कृमि हो तो मर कर मल के साथ निकल जाते हैं। कुटज और इसके बीज इन्द्रयव के कुछ घरेलू नुस्खे प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
1-बवासीर में कुटज के फायदे –
कुटज का चूर्ण दही में मिलाकर खाने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है तथा मस्से से खून का निकलना बंद होता है।
5 किलो कुड़ा की छाल को मोटा-मोटा कूटकर 12 किलो पानी में पकाएं। जब पानी केवल एक चौथाई बचा रह जाए जो इस काढ़ा में एक किलो गुड़ डालकर पकाएं। जब यह गाढ़ा हो जाए तो इसे छानकर रख लें। यह प्रतिदिन सेवन करने से बवासीर ठीक होता है। ( और पढ़े – बवासीर के 52 घरेलु उपचार)
2-पायोरिया में कुटज के फायदे –
मसूढ़ों से खून गिरना और फिर पस पड़ना पायोरिया रोग के लक्षण होते हैं। इन्द्रयव को खूब महीन पीस कर कपड़छन चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को मसूढ़ों पर लगा कर मंजन करने से पायोरिया रोग दूर हो जाता है। ( और पढ़े -पायरिया के 45 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )
3-नई पेचिश में कुटज के फायदे –
बार-बार पेट में मरोड़ के साथ दर्द होना और आंव युक्त मल बारबार थोड़ी मात्रा में होना, कभी कभी रक्त भी गिरना आदि नई पेचिश और खूनी पेचिश के लक्षण हैं। कूड़े की ताज़ी छाल को पानी केसाथ पीस कर थोड़े पानी में मिला कर सुबह-शाम पीने से पेचिश दूर हो जाती है।
4-सफेद दाग में कुटज के फायदे –
कुटज के बीजों को गाय के मूत्र में पीसकर दागों पर प्रतिदिन लगाने से सफेद दाग समाप्त होते हैं। ( और पढ़े – सफेद दाग के आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )
5- पेट के कीड़े में कुटज के फायदे –
कुटज के बीजों का चूर्ण आधा चम्मच रोज रात को सोते समय खाने से पेट के कीडे़ नष्ट होते हैं।
6- बुखार में कुटज के फायदे –
कुटज के बीजों का चूर्ण और खस की जड़ का चूर्ण बराबर मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में एक गिलास पानी के साथ उबाल लें। जब पानी आधा बचा रह जाए तो इसे छानकर 2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार बुखार से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे बुखार में जल्दी आराम मिलता है।
7- पथरी में कुटज के फायदे –
कुटज की छाल का आधा चम्मच चूर्ण छाछ के साथ कुछ सप्ताहों तक प्रतिदिन 2 बार लेने से पथरी गलकर निकल जाती है। ( और पढ़े – पथरी के सबसे असरकारक 34 घरेलु उपचार)
8- लू लगना में कुटज के फायदे –
यदि किसी व्यक्ति को लू लग गया हो तो उसे कुटज की छाल का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार सेवन कराएं। इससे लू का असर समाप्त हो जाता है।
9- पित्तातिसार में कुटज के फायदे –
पित्तातिसार के रोग से पीड़ित रोगी को कुटज के बीजों का काढ़ा 40 मिलीलीटर को शहद साथ सेवन कराने से पित्तातिसार रोग ठीक होता है।
10- पित्तज प्रमेहमें कुटज के फायदे –
कुटज, बहेड़ा, रोहिणी, कैथ, छतिवान, शाल और कबीला के फूलों बराबर-बराबर लेकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 2 से 5 ग्राम की मात्रा में पित्तज प्रमेह रोग से पीड़ित रोगी को दें। इसका सेवन कुछ दिनों तक करने से रोग में जल्दी लाभ मिलता है।
11- प्रमेह में कुटज के फायदे –
कुटज के फूलों का साग या चूर्ण बनाकर प्रतिदिन खाने से प्रमेह रोग दूर होता है।
12-चेचक में कुटज के फायदे –
कुटज की छाल को चावल के पानी मे पीसकर लेप करने से चेहरे पर फफोले व दाने नहीं होते हैं। ( और पढ़े –चेचक (बड़ी माता) का घरेलू इलाज )
13-आंवरक्त (पेचिश) में कुटज के फायदे –
कुटज का चूर्ण 2 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ खाने से पेचिश का रोग ठीक होता है।
10 ग्राम कुटज की छाल और 10 ग्राम अनार का छिलका 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। पकने पर जब केवल 100 मिलीलीटर पानी शेष रह जाए तो इसे छानकर पीएं। इससे दस्त के साथ आंव आना बंद होता है।
14- उपदंश में कुटज के फायदे –
कुटज की छाल 10 ग्राम और मिश्री 15 ग्राम को कूट-पीसकर पानी के साथ मिलाकर सुबह सेवन करने से एक हफ्ते में ही उपदंश रोग समाप्त हो जाता है।
15-रक्त प्रदर में कुटज के फायदे –
कुटजघन वटी 2-2 गोली दिन में तीन बार लेने से खूनी आंव के दस्त होना बन्द होता है। इस रोग के अलावा खूनी बवासीर और रक्त प्रदर का रक्त स्राव भी बन्द होता है।
16- रक्तातिसार (खूनी दस्त) में कुटज के फायदे –
कुटज की छाल 20 ग्राम एक गिलास पानी और आधा गिलास बकरी का दूध – तीनों मिला कर उबालें। जब पानी एक कप रह जाए तब उतार कर ठण्डा कर लें और इसमें 4 चम्मच शहद घोल लें। इसे दिन में चार बार 2-2 चम्मच पीने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) और रक्त प्रवाहिका ठीक हो जाते हैं।
कुटज के नुकसान : kutaj ke nuksan in hindi
Kutaj Side Effect in Hindi
1-कुटज को चिकित्सक की देखरेख में लिया जाना चाहिए।
2-अधिक मात्रा में कुटज को खाने से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कब्ज, दिल का दर्द, ग्लानि, लकवा कमजोरी, बेहोशी, भ्रम, मुंह के छाले, नपुंसकता आदि ।
5-डॉक्टर की सलाह के अनुसार कुटज की सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।