Last Updated on October 29, 2021 by admin
गला बैठना क्या है ?
स्वर यन्त्र की श्लैष्मिक झिल्ली का फूलना और लसदार श्लेष्मा निकलने को स्वरयन्त्र-प्रदाह, स्वरयन्त्र-शोथ तथा-स्वर यन्त्र की सूजन ,गला बैठना ,अंग्रेजी में लेरिन्जाइटिस आदि नामों से जाना जाता है।
आइये जाने Laryngitis Causes in Hindi
गला बैठने का कारण : Gala Baithne ka Karan
- यह रोग सर्दी लग जाने से।
- पानी में भीगने से।
- गले में धूल के कण या धुएँ के जाने से।
- सीलन भरी जगह में रहने से ।
- जोर से गाना गाने एवं व्याख्यान अथवा भाषण आदि देने से (जिसमें स्वरयन्त्र का अधिक व्यवहार होता है) ।
- एकाएक हवा की गति परिर्वतन आदि कारणों से होता है।
- आइये जाने Laryngitis Symptoms in Hindi
गला बैठने के लक्षण : Gala Baithne ke Lakshan in Hindi
- इस रोग में गले में दर्द होता है तथा गला कुटकुटाता है ।
- गले में जलन होती है।
- ज्वर, स्वरभंग, प्यास, अरुचि एवं श्वास लेने में तकलीफ आदि होती है।
- स्वर की श्लैष्मिक झिल्ली फूल उठती है।
- लसदार बलगम निकलता है।
- आवाज बिगड़ जाती है।
- कुछ भी खाने-पीने पर उसे निगलने में तकलीफ पैदा हो जाती है।
- उचित चिकित्सा व्यवस्था से शीघ्र तथा अधिकतम 8-10 दिनों में ही रोगी ठीक हो जाता है।
नोट :-यदि रोग समूल नष्ट न हुआ तो पुराना पड़कर बहुत दिनों तक तकलीफ देता है। आइये जाने Laryngitis Treatment in Hindi
गला बैठने का इलाज और घरेलू उपाय : Gala Baithne ka Gharelu Upay
1. आँवला – आँवले का चूर्ण गाय के धारोष्ण दूध के साथ पीवें।
2. मूली – मूली के बीज, कवाव चीनी, कुंलजन, काली मिर्च, बड़ी इलाइची, मुलहठी-इन सबको बराबर लेकर कूट-छान लें और पानी के साथ गोली बना लें। इन गोलियों को मुख में रखकर चूसें।
3. हल्दी – अगर, देवदारु, हल्दी, बच, मीठा कूट, काली मिर्च बराबर लेकर जौकुट करके दो तोला लें। उसे छह छटांक पानी में पकायें जब डेढ छटांक रह जावे तो मिश्री मिलाकर पीयें।
4. गन्ना – गन्ना भूनकर चूसने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
5. सोंठ – सोंठ, काली मिर्च, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आँवला और जवाखार-इन सबका चूर्ण थोड़ी-थोड़ा मुँह में डालते रहें।
6. अजबाइन – अजबाइन और खसखस के पोस्त बराबर लेकर उसका काढ़ा बनावें । इस काढ़े से गरारे करने चाहिए।
7. मुलैठी – अकरकरा, कुलंजन और मुलैठी के टुकड़े सुपाड़ी की तरह मुँह में रखने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
8. अदरख -अदरख की गाँठ में छेद करके इसमें थोड़ा-सा नमक और भुनी हुई हींग भरकर आग में भून लें, इसे पीसकर छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें, इन्हें चूसें।
9. फिटकरी – मैदा, हल्दी अलसी का तेल और फिटकरी की पुल्टिस बनाकर गले पर बाँधे।
10. अनार – अनार की कली, सूखा धनियाँ, पोस्त के दाने, शहतूत केहरे पत्ते, मसूर की दाल छह-छह मासे लेकर एक सेर पानी में काढ़ा बनावें, उससे कुल्ला करने से गले की सूजन और दरद बंद हो जाता है।
11. गोरखमुंडी – गोरखमुंडी की जड़ पान में रखकर खावें।
12. सेंधा नमक – बच, खुरासानी अजबाइन, मालकांगनी, बच, कुलंजन,हरड़ की गिरी, सेंधा नमक-इन सबको बराबर पीसकर चूर्ण बना लें। इसे सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें।
13. पीपर – बड़ा गोखरू, खिरेंटी, सोंठ, रास्ना, छोटी पीपर, काली मिर्च-इन्हें 1 तोला लेकर सिलपर पीसकर मिश्री के साथ चाटें।
14. बच – पीपर, अडूसा, हरड़, बच, ब्राह्मी-इनका चूर्ण ३ माशा शहद और घी में मिलाकर चाटें।
15. अडूसा – अडूसे के पत्तों का काढ़ा शहद के साथ पीने से गला खुल जाता है।
16. अमलताश – अमलताश के गूदे का काढ़ा बनाकर उससे गरम-गरम कुल्ले करें।
17. तेजपात – चव्य, चित्रक, तालसी पत्र, सफेद जीरा, बंशलोचन, काली मिर्च, अमलबेत, सोंठ, तेजपात, इलाइची, दालचीनी-इन सबको बराबर लेकर कूट-छान लें। इस चूर्ण को २ माशा शहद के साथ चाटें।
18. अमृतधारा – अमृतधारा की कुछ बूंदे उबलते जल में डालकर सुंघाने से भी लाभ होता है।
19. मुलहठी – पंसारी के यहाँ से मुलहठी लाकर छोटे-छोटे टुकड़े कर रोगी को चुसवाने से भी लाभ होता है।
20. नीलगिरी का तेल – खौलते जल में यूकेलिप्टस आयल डालकर रोगी को सुंघाने से लाभ होता है।
गला बैठने से बचाव और सावधानी : Prevention of Laryngitis in Hindi
- नये रोग में रोगी को गरम कमरे में रखें तथा किसी प्रकार की पतली तथा ठन्डी चीजें खाने को न दें।
- गले का भीतरी अंश कोमल रखने के लिए ग्लैंसरीन या जैतून का तेल (Olive Oil) अथवा
- ग्लैसरीन तथा रेक्टी फाइड स्प्रिट बराबर मात्रा में मिलाकर गले में लगायें।
- रोगी को बोलने न दें तथा उसे ठन्ड से बचायें एवं गरम रखें।
- गले में राई की पुल्टिस लगा सकते हैं।
- गले का भीतरी भाग साफ रखें।
- पुराने रोग में गले में फलालैन आदि के वस्त्र न लपेटने दें, क्योंकि ऐसा करने से लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
- पैर का तलवा हमेशा सूखा और गर्म रखें,
- पैरों में मौजे पहनाये रखे। आइये जाने Medicines for Laryngitis in Hindi
गला बैठना की दवा : Gala Baithne ki Dawa
” अमृत द्रव ” गले के रोगों में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि है |
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)