Last Updated on April 14, 2024 by admin
ताड़ फल (ताड़गोला) क्या है : Tadgola in Hindi
- ताड़ (Palm) के पेड़ काफी ऊँचे होते है। इनमें डालियाँ नहीं होती हैं | ताड (Palm) के पेड़ों की ऊँचाई बीस फीट से चालीस फीट तक होती है। प्राय: इसके पौधे सीधे होते है।
- पत्ते लम्बे और नुकीले होते है। पत्तों के शीर्ष पर कांटे होते है। ये दो प्रकार का होता है। नर और नारी नर पेड़ पर फूल आटे हैं और मादा और फल।
- ये मुख्यतः गरम इलाकों में होते है। ये पहाड़ी इलाकों में अपने आप उग आते है। ये पेड़ 10 से 12 साल की अवस्था में अपनी युवावस्था में पहुँचता है फिर इसमें फल लगते है। फलों से पहले फूल लगते है। ये हल्के पीले रंग के होतेहै। इनकी खुशबू हल्की मगर मनमोहक होती है।
- एक ही डाली पर 10- 15 फल (ताड़गोला/tadgola) आते है। ये फल कच्चे में हरे और पकने पर पीले होते है। कच्चे फलों के अंदर गूदा निकलता है।जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है।
- ये फल बहुत शीतल होता है।
- पकने पर इन फलों को जमीन के अंदर दबा दिया जाता है। और जब इन में अंकुर निकल आटे है। तब इन्हें खाया जाता है। अंकुरण आने तक ऊपरी आवरण सद जाता है और उसके अंदर एक सख्त आवरण बन जाता है। और इस सख्त आवरण के अंदर के अंकुर को ताड का अंकुर कहते है। ये खाने में मीठा और स्वादिष्ट होता है।
ताड़ फल (ताड़गोला) की प्रकृति : ताड़ कच्चा व पक्का ठंडा और रूखा होता है।
ताड़ फल (ताड़गोला) गुण : Health Benefits of Palm Fruit in Hindi
- यह शरीर को मोटा व ताकतवर बनाता है।
- इसका सिरका पाचक होता है तथा यह प्लीहा के विकारों को नष्ट करता है।
- इसका पका हुआ फल पित्त, रक्त तथा कफ को बढ़ाने वाला, मूत्रवर्द्धक (पेशाब को बढ़ाने वाला), तन्द्रा (नींद को लाने वाला) तथा वीर्य की मात्रा को बढ़ाने वाला होता है।
- ताड़ स्तंभन शक्ति को बढ़ाता है व रक्त विकार (खून के दोष) को खत्म करता है।
- यूनानी चिकित्सा मतानुसार ताड़ शीतल (ठंडा), थकान को दूर करने वाला तथा पेशाब को साफ करने वाला होता है।
ताड़गोला फल के फायदे व उपयोग : Tadgola ke Fayde in Hindi
1) शीतल : ठंडी प्रकृति का फल होने के कारण गर्मियों में इसका सेवन लाभदायक है | यह आपके शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है और खासतौर पर गर्मियों में शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
2) हिचकी : ताड़ के कच्चे बीजों को दूध के साथ सेवन करने से हिचकी दूर होती है।
3) कालाजार : हल्के- हल्के बुखार के साथ प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि हो तो ताड़ के फल की जटा भस्म लगभग 3- 6 ग्राम की मात्रा सुबह और शाम को रोगी को सेवन कराएं इससे उसका बुखार उतर जाएगा।
4) अन्ननली में जलन : ताड़ के फल की जटा भस्म 3 से 6 ग्राम की मात्रा सुबह और शाम सेवन करने से अम्लपित्त के कारण होने वाली अन्ननली की जलन ठीक हो जाती है।
5) यकृत का बढ़ना : ताड़ के फल की जटा भस्म 3- 6 ग्राम की मात्रा सुबह- शाम सेवन करने से यकृत वृद्धि और टाइफाइड के बुखार में लाभ मिलता है।
6) उपदंश (फिरंग) : ताड़ी के हरे पत्तों का रस पीने से सूजन और घाव मिट जाता है।
7) मानसिक उन्माद (पागलपन) : लगभग 14 से 25 मिलीलीटर ताड़ के पत्तों का रस दिन में 2 बार सेवन करने से मानसिक उन्माद, बेहोशी और प्रलाप आदि रोगों में लाभ मिलता है।
8) उदर रोग (पेट के रोग) : ताड़ के 1 ग्राम फल की जटा भस्म को गुड़ के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से पेट के रोग ठीक हो जाते हैं।
9) जलोदर (पेट में पानी भर जाना) : ताड़ के फूलों के गुच्छे से प्राप्त रस को निकालकर पीने से पेशाब खुलकर आता है और जलोदर रोग में लाभ मिलता है।
10) नष्टार्त्तव (मासिकधर्म बंद हो जाना) : लगभग 14 से 28 मिलीलीटर ताड़ के फल की जटा का क्वाथ (काढ़ा) दिन में सुबह और शाम सेवन करने से आराम मिलता है।
11) डकार आना : ताड़ के कच्चे गूदे का पानी पीने से डकार, वमन (उल्टी) और उबकाई आना बंद हो जाती है।
ताड़ फल के नुकसान : Tadgola ke Nuksan in Hindi
यह देर में हजम होता है।
दोषों को दूर करने वाला : गुड़ ताड़ के दोषों को दूर करता है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।