Last Updated on February 10, 2024 by admin
दस्त होने के लक्षण : dast lagne ke lakshan
- इसमें पतले दस्त(अतिसार) आने से पहले पेट में हल्काहल्का और मीठा-मीठा दर्द मालूम हुआ करता है।
- पिचकारी की तरह तेजी के साथ काफी मात्रा में पतले दस्त आते हैं जिससे रोगी बहुत कमजोर हो जाता है।
- जीभ सूखी रहती है। आँखें पीली पड़ कर अन्दर की ओर धंस जाती है। शरीर की चमड़ी रूखी-सूखी हो जाया करती है।
- पेट को दबाने से दर्द होता है।
- रोगी की चुस्ती-फुर्ती समाप्त हो जाती है। भार की कमी महसूस होती है।
- उदर में, गड़गड़ाहट होना, कभी-कभी प्यास की अधिकता, अरुचि, ये इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
- कभी-कभी वमन भी होती है जो उग्र रूप भी धारण कर लेती है।
दस्त लगने के कारण : dast hone ke karan
- अनुपयुक्त खाद्य वस्तुएँ खाना,
- अशुद्ध जल पीना,
- पाचनक्रिया की गड़बड़ी,
- पेट में कृमि विकार,
- यकृत की क्रिया ठीक न होना,
- ऋतु-परिर्वतन,
- जुलाब लेना,
- शोक,
- भय,
- दुःख आदि कारणों से अतिसार हो जाया करता है।
यह रोग साध्य है। उचित चिकित्सा से प्रायः ठीक हो जाता है।
दस्त लगने पर क्या खाएं : dast hone par kya khaye
- नये अतिसार में अरारोट, या पतली मुंग दाल दें।
- अनार का रस, सन्तरे तथा मौसम्मी का रस दिया जा सकता है। दूध कदापि न दें। पुराने अतिसार में पुराने चावलों का भात, मसूर की दाल का रस, चावल से दुगुनी मूंग की दाल की पतली खिचड़ी (भदड़ी) दें।
- गर्म जल में तौलिया भिगोकर शरीर को अच्छी तरह पौंछवा दें। पेट गर्म कपड़े से ढुकवा कर रखें।
- सुबह शाम रोगी को टहलने का निर्देश दें।
दस्त लगने पर क्या नहीं खाना चाहिए : dast hone par kya nahi khaye
किसी भी प्रकार के अतिसार में मिथ्या आहारविहार तथा अधिक मात्रा में खट्टी चीजें खाना अपथ्य है। आइये जाने दस्त या अतिसार होने पर किये जाने वाले सरल घरेलु उपचारों के बारे में | dast ke gharelu nuskhe in hindi
दस्त रोकने के घरेलु उपाय : home remedies for loose motion
1). खजूर – पिन्ड खजूर 5-7 खाकर 1 घन्टे बाद थोड़ा-थोड़ा पानी कई बार पियें। अतिसार में लाभ होता है। ( और पढ़ें – दस्त रोकने के रामबाण 13 उपाय )
2). कबावचीनी – कबावचीनी के चूर्ण के साथ थोड़ी सी अफीम घोटकर 1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सेवन कराने से आमातिसार में विशेष रूप से लाभ होता है।
3). नीम – यदि अतीसार पक्व हो तो नीम के कोमल पत्र और बबूल के पत्र 6-6 ग्राम एकत्र पीसकर दिन में 2 बार शहद के साथ देने से तत्काल लाभ होता है। इसे आमातिसार में कदापि प्रयोग न करायें।
4). जायफल – नवजात शिशु तथा छोटे बच्चों को अतिसार होने की अवस्था में जायफल को पत्थर पर घिस कर थोड़ा सा बार-बार चटाने से लाभ होता है।
5). जामुन – जामुन की गुठली का चूर्ण, आम की गुठली की गिरी का चूर्ण तथा भुनी हुई हरड़, समान मात्रा में लेकर खरल करें तत्पश्चात् जल से सेवन करायें । यह नुस्खा जीर्णातिसार में लाभप्रद है। ( और पढ़ें – बच्चों के पतले दस्त के घरेलू उपाय )
6). बड़ – रोगी की नाभि में बड़ का दूध भरने से दस्त बन्द हो जाते हैं। ( और पढ़ें – एक्यूप्रेशर द्वारा दस्तका सफल उपचार )
7). राल – सफेद राल 4 ग्राम, मिश्री 8 ग्राम दोनों को बारीक करके पीसें। तदुपरान्त प्रात:काल 6 ग्राम दही के साथ मिलाकर खिलायें। लाभ होगा।
8). केसर – यदि बहुत छोटे बच्चे को अधिक दस्त हो तो असली केसर 1-2 चावल-(भर) घी में मिलाकर चटायें। विशेष रूप से लाभप्रद है।
9). अतीस – अतीस 4-4 रत्ती माँ के दूध में घिस कर छोटे बच्चों को देने से अतिसार रुक जाता है।
10). हल्दी – बढ़े हुए अतिसार में जब किसी तरह से दस्त न रुकते हों तो हल्दी बारीक पीसकर कपड़छन करके अग्नि पर भून लेवे और हल्दी के बराबर काला नमक मिलायें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में ठन्डे जल से 4-4 घन्टे पर दें। अवश्य लाभ होगा।
11). आम – जामुन और आम की गुठली का चूर्ण बनाकर भुनी हुई हरड़ के साथ सेवन करने से जीर्णातिसार शीघ्र नष्ट होता है। ( और पढ़ें –जामुन खाने के 51 जबरदस्त फायदे )
12). बेल – पका हुआ बेल का गूदा दही के साथ खाने से दस्तों में लाभ होता है। बकरी का दूध भी दस्त बन्द कर देता है। ( और पढ़ें – बेल फल के फायदे )
13). जीरा – जीरा और चीनी का चूर्ण बनाकर छाछ के साथ पीने से दस्त बन्द होते हैं।
14). कुटज – कुटज और अनार के वृक्ष की छाल-इन दोनों का काढ़ा बनाकर शहद के साथ देने से दुर्दमनीय अतिसार तथा रक्तातिसार में तुरन्त लाभ पहुँचता है।
15). आँवला – बहुत पतले दस्त हो रहे हों तो आँवला मोटा पीसकर नाभि के चारों ओर लगा दें, इस घेरे के बीच में अदरक के रस में भिगोया कपड़ा रखें और उस पर थोड़ा-थोड़ा अदरक का रस डालती रहें। साथ ही अदरक का रस पिलायें भी। इससे दस्त काबू में आ जाता है।
16). आम की गुठली – अतिसार दस्त होने पर डेढ़ आम की गुठली की गिरी के पाउडर को शहद के साथ चाटने पर बहुत लाभ होता है।
17). दही – आम की गुठली का चूर्ण 10 ग्राम ताजा दही मिलाकर खाने से अतिसार के दस्त बन्द होते हैं। ( और पढ़ें – रसीले आम के 105 लाजवाब फायदे )
18). लवण भास्कर चूर्ण – अतिसार विसूचिका होने पर अर्क विसूचिकान्तक रस में 5 बूंदें मिलाकर देने से तथा लवण भास्कर चूर्ण 3 ग्राम में 5 बूंदें अमृतधारा मिलाकर देने से लाभ होता है।
19). जायफल चूर्ण – बड़ी आयु के स्त्री पुरुषों को अतिसार होने पर जायफल का चूर्ण 1 ग्राम (1 माशा) आधा कप पानी के साथ सुबह-शाम फाँकने से बार-बार पतले दस्त होना तथा पेट फूलना और पेट दर्द में आराम होता है।
20). कच्ची बेल – कच्ची बेल को आग पर भूनकर उसका गूदा खा लें। भुना हुआ गूदा दस्त रोकने में बड़ा कारगर है।
21). केले – अतिसार होने पर केले को दही में मथकर लेने से लाभ करता है। ( और पढ़ें – दही खाने के 44 बेहतरीन फायदे )
22). जामुन की पत्ती – कैसे भी तेज दस्त हों, जामुन के पेड़ की ढाई पत्तियाँ, जो न ज्यादा मोटी हों न ज्यादा मुलायम हों, उन्हें पीस लें। फिर उनमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उनकी गोली बना लें। एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से अतिसार तुरन्त बन्द हो जाता है।
23). अनार – एक अनार पर चारों तरफ मिटटी लगाकर भून लें। जब भुन जाये तो दोनों का रस निकाल लें। इस रस में शहद मिलाकर पियें। हर प्रकार के दस्त ठीक हो जायेंगे।
24). अनार का रस – दस्तों में अनार का रस पीना लाभदायक है। ( और पढ़ें – अनार के 118 चमत्कारिक फायदे )
25). पपीता – कच्चा पपीता उबालकर खाने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं। गाजर का रस या गाजर खाने से पुराने दस्त, अपच के दस्त, संग्रहणी ठीक हो जाती है।
26). मोगरा – मोगरे के दो-चार कोमल एवं ताजा पत्तों को भाँग की तरह, एक कप ठण्डे पानी में घोंटकर कपड़छन कर लें। इस घोल में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार देने से खूनी दस्तों में तुरन्त लाभ होता है।
27). मेथी – 2.50 ग्राम मेथी की पत्ती को 10 ग्राम घी में तलकर सुबह-शाम खाने से पतले दस्त (अतिसार) में लाभ होता है।
28). बथुआ – बथुए के पत्तों को पानी में उबालकर तथा उस पानी में शक्कर मिलाकर पीने से दस्त साफ होते हैं।
29). आँवला चूर्ण – दस्त में आँव या खून आता हो तो आँवला चूर्ण को शहद के साथ लेकर ऊपर बकरी का दूध लेना चाहिए। यह प्रयोग लम्बा रखना चाहिए, अन्यथा लाभ नहीं होता तथा बाद में जो लाभ होगा, वह स्थाई होगा।
30). आम के फूल – आम के फूल उपयोगी होते हैं। 1-2 चम्मच ताजे फूल के रस को दही के साथ लेने से दस्त रुक जाते हैं।
31). केला – दस्त मरोड़ में दही में केला एवं थोड़ी-सी केसर मिलाकर सेवन करें आशातीत लाभ होगा।
32). अजवायन – भोजन के ठीक से नहीं पचने तथा मल पतला व आँव होने पर काली मिर्च, सेंधा नमक, अजवायन, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची- ये सब समान मात्रा में लेकर पीस लें और भोजन के पश्चात् एक चम्मच पानी के साथ लें। कुछ दिनों में ही बहुत लाभ होगा।
33). सौंफ – अतिसार में भुनी व कच्ची सौंफ का समभाग चूर्ण दो-दो चम्मच मट्ठे से चार बार लेना लाभप्रद है।
दस्त लगने का आयुर्वेदिक इलाज : dast lagne ka ayurvedic ilaj
1) रामवाण रस, पीयूष वल्ली रस, भुवनेश्वर रस, नृपति बल्लभ रस, आनन्द भैरव रस, कनक सुन्दर रस, सूत राज रस, शंखोदय रस, कर्पूर रस, महा गन्धक रस, सर्वातीसारान्तक रस, सूतशेखर रस, लक्ष्मी नारायण रस, मृत संजीवन रस, अतिसारवारण रस-वयस्कों को 125 से 250 मि.ग्रा. मधु, अथवा जल या तक्र या निम्बू नीर के अनुपानों के साथ।
2) शंख भस्म, वराटिका भस्म, लौह भस्म, प्रवाल भस्म, अभ्रक भस्म 120 से 500 मि.ग्रा. तक रोग की अवस्थानुसार मधु के साथ अथवा निम्बू स्वरस के साथ।
3) रस पर्पटी, पंचामृत पर्पटी, बोल पर्पटी 60 मि.ग्रा. मधु या चित्रकादि वटी, लशुनादि वटी 2-2 गोली भोजनोपरान्त जल से।
4) गंगाधर चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण, कुटजाष्टक चूर्ण, लवंग चतुस्सम चूर्ण, दाडिमाष्टक चूर्ण, कपित्थाष्टक चूर्ण, शतपुष्यादि चूर्ण, जातीफलादि चूर्ण 1 से 3 ग्राम (पत्रक के निर्देशानुसार) मधु, जल, तक्र या पानी निकाले दधि के साथ।
5) धान्य पंचक क्वाथ, देव दादि क्वाथ, कुटजाष्टक क्वाथ, वत्स आदि क्वाथ, उशीरादि क्वाथ, हरी बेरादि क्वाथ, पथ्यादि क्वाथ 10 से 20 मि.ली. दिन में 2 बार।
6) कुटजारिष्ट, उशीरासव, अहिफेनासव (जीरकांद्यारिष्टा प्रसूता के अतिसार में) 15 से 20 मि.ली. समान जल के साथ भोजनोत्तर दें।
नोट–अहिफेनासव 10 बूंद को 2-3 बार पर्याप्त जल के साथ प्रयोग करायें।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)