Last Updated on July 22, 2019 by admin
कहते हैं-चलते रहेंगे तो चलते रहेंगे, यानि कामकाज में व्यस्त रहेंगे तो हाथ और दिमाग सक्रिय रहेंगे। इनको जरूरत से ज़्यादा आराम देना मतलब इन्हें निष्क्रिय करना। इसी तरह यदि आप नियमित दौड़ का अभ्यास रखते हैं या तेज चाल का अभ्यास करते हैं तो आप चुस्त-दुरुस्त (फिट) बने रहेंगे, यानि जीवन की भागदौड़ में दौड़ लगाने वालों के साथ शामिल रहेंगे । यहां ध्यानपूर्वक दौड़ लगाने पर विवरण प्रस्तुत है।
1-दौड़ने से पूर्व का अभ्यास :
दौड़ने के पूर्व गहरी सांस लेने के साथ वार्म अप (पूर्वाभ्यास) जरूर करें, इससे मांसपेशियों से कड़ापन निकल जाता है, दौड़ने में आसानी रहती है।
2-ऐसे करें शुरुआत :
यदि आप दौड़ नहीं लगाते हैं, दौड़ की शुरुआत कर रहे हैं तो आप एकदम से दौड़ लगाना शुरू मत कीजिए। पहले नियमित सैर करने का क्रम चालू करें। रोज सुबह एक घंटा तीन से पांच किलोमीटर का चक्कर लगाना शुरू करें । धीरे-धीरे इस क्रम में तेज चलने की क्रिया, जिसे ब्रिस्क वॉक (Brisk Walk) कहते हैं, शुरू करें। कुछ लोगों के लिए तो ये ही काफी हो जाता है । यानि जो चक्कर आप पैदल धीरे-धीरे लगाते थे, उससे भी आधा या अभ्यास के बाद उतना ही चक्कर तेज कदमों से लगाने लगे। इसे अभ्यास के बाद ही किया जा सकता है। दौड़ इससे अगला चरण है।
3- धीरे-धीरे गति को बढ़ाये :
जब तेज कदमों वाली क्रिया सध जाए और आपको थकान न हो और न ही मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है, तो फिर आप धीरे-धीरे एक-दो किलोमीटर दौड़ना आरंभ करें। धीरे-धीरे गति और दूरी बढ़ा सकते हैं। इससे चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है, अनावश्यक चर्बी (फेट) शरीर से निकल जाता है, स्नायुतंत्र मजबूत होता है।
4-सबसे अच्छा समय कौनसा :
दौड़ लगाने के लिए सुबह का समय सबसे ज्यादा उपयुक्त है। जो व्यक्ति सुबहसुबह दौड़ लगाता है, वह दिनभर ताज़गी और शांति से भरा रहता है। कुछ एक के मन यह शंका आ सकती है कि सुबह-सुबह कसरत से या दौड़ लगाने से वे थक जाएंगे। दिन भर काम करने में थकान अनुभव करेंगे, किंतु ऐसा नहीं है, दौड़ लगाने से स्नायु तंत्र सुदृढ़ होता है, एक्टिव होता है, उसमें ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति को दिन भर स्फूर्ति के साथ क्रियाशील रखता है। अतः सुबह-सुबह दौड़ लगाने का नियम बनाया जा सकता है।
5- दौड़ लगाने के लिए उम्र :
दौड़ लगाने के लिए उम्र की कोई बाधा नहीं होती। श्री फौजासिंहजी इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। अत: शुरू करें नियमित दौड़ लगाना, जीवन की दौड़ में (रेस में) सही गति से शामिल होने के लिए।
6- सामर्थ्य के हिसाब से दौड़ लगाएं :
आपको शुरुआत बिल्कुल ही धीरे और सधे हुए करनी चाहिए, क्योंकि शुरुआत में हुई गड़बड़ आगे बहुत व्यवधान उत्पन्न करेगी या आप दौड़ लगाना ही बंद कर देंगे। धीरे-धीरे शुरू करने से नींव मजबूत होगी और आप लंबे समय तक दौड़ लगाते रहेंगे । सदैव अपनी शक्ति और सामर्थ्य के हिसाब से दौड़ लगाएं। जोश में या अन्य किसी की नकल करते हुए दौड़ना नुकसानदायक हो सकता है। अपनी क्षमता के अनुरूप दूरी और गति तय करनी चाहिए। क्योंकि हर एक की शारीरिक स्थिति और क्षमता अलग-अलग हो सकती है । इसलिए स्वयं की क्षमता के अनुरूप दौड़ लगाना चाहिए।
7-दौड़ लगाते वक्त चित्त की शांति का महत्व :
दौड़ लगाते वक्त आपको एकाग्र-चित्त व शांत चित्त रहना चाहिए। तनाव रहित रहकर दौड़ लगाना चाहिए । प्रात:काल प्राणवायुशुद्ध वायु का आनंद लेते हुए दौड़ लगाना चाहिए । उससे दिलोदिमाग में जो ऊर्जा संचित होती है, वो दिन भर आपको उत्साह से भरपूर रखती है। दौड़ लगाते वक्त चर्चा करना या विचारशील रहकर दौड़ना ठीक नहीं है। दौड़ते वक्त समय और दूरी की निश्चितता भी रखनी चाहिए, ताकि रोज के अभ्यास में कितनी प्रगति हो रही है, यह पता चलता रहे।
8-दौड़ लगाते वक्त बरते यह सावधानी :
दौड़ लगाते वक्त होशियार और जाग्रत रहने से सामने ध्यान रहता है। कहीं गलत जगह, किसी पत्थर या गड्डे पर पांव लगने की संभावना नहीं रहती। किसी से टकराने की संभावना भी नहीं रहेगी, यदि आप होशपूर्वक एकाग्र होकर दौड़ेंगे।
9- दौड़ के समय एकाग्रता :
वैसे तेज ताल या दौड़ने के दौरान एकाग्रता का अभ्यास ज़रूर करना चाहिए, क्योंकि उस समय शरीर व मन की स्थिति, श्वासों की गति ऐसी हो जाती है कि मन स्वयं ही एक जगह टिक जाता है। यह प्रयोग अवश्य करें। फिर देखें कि एकाग्रता कितनी अधिक बढ़ जाएगी। एकाग्रता के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना है, सिर्फ चलते या दौड़ते वक्त नज़र अपने आगे चार से पांच फीट की दूरी पर बनाए रखना है। लगातार ऐसा करने से मन स्वत: ही शांत व एकाग्र होने लगेगा।
10-दौड़ के समय साधन का महत्व :
दौड़ते वक्त यदि आप अफोर्ड कर सकते हैं, आप समर्थ हों तो अच्छी कंपनी के जूते पहनें। थोड़े महंगे अवश्य होंगे, पर इनसे पंजों पर मजबूत पकड़ रहती है, वहीं दौड़ने में भी काफी आराम रहता है। इससे हमें दौड़ने की क्षमता भी मिलती है और सुरक्षा भी।
11-दौड़ के अभ्यास में नागा (छुट्टी) न होने दें :
दौड़ने का अभ्यास नियमित रखना चाहिए। किसी दिन यदि समय कम मिले तो कम समय और कम दूरी के लिए दौड़े, पर दौड़ अवश्य लगाएं। नागा (छुट्टी) न होने दें, क्योंकि एक-दो दिन का अंतराल कई बार बहुत ज्यादा हो जाता है। और हमारे अभ्यास को प्रभावित करता है।
12- दौड़ते वक्त अपनी श्वसन क्रिया पर ध्यान :
एकाग्रता के लिए दौड़ते वक्त अपनी श्वसन क्रिया पर भी ध्यान रखा जा सकता है। आती जाती सांसों पर ध्यान रखकर दौड़ लगाई जा सकती है। दौड़ लगाने के पूर्व गहरी सांस लें और छोड़ें। दौड़ लगाते वक्त भी सांसों पर ध्यान से एकाग्रता बढ़ती है। पैरों की आवाज भी यदि आ रही हों तो उस पर ध्यान लगा सकते हैं। वैसे यह आवाज ज्यादा आए तो आप पैर धीरे पटकें व सधे हुए पटकें। पैरों से ज्यादा आवाज आना ठीक नहीं। पैर धीरे-धीरे पटकना चाहिए। जोर से पैर पटकने से शरीर पर दबाव व झटका पड़ता है। इससे आपके जोड़ों व हड्डियों में चोट आने की संभावना रहती है।
13- दौड़ते समय आपकी रफ्तार :
दौड़ते वक्त दूरी और समय के साथ गति भी होनी चाहिए। बहुत अधिक तेजी से नहीं दौड़ना चाहिए। उससे मोच आने की, चोंट लगने की संभावना बढ़ जाती है। बहुत ज़्यादा तेज दौड़ लगाने से आप थक की जाएंगे और फायदा उतना ही होना है जितना धीमी गति से होगा। शरीर का बेलेंस व मुद्रा सधी हुई होना चाहिए, बदन ढीला नहीं होना चाहिए। वह कसा हुआ व सीधा होना चाहिए।
14-दौड़ने से मिलने वाले चंमत्कारी फायदे :
दौड़ते समय में शरीर में एंड्रोफिन जैसे रसायन बनते हैं, जिससे हमें ताज़गी, स्फूर्ति और आनंद की अनुभूति होती है। इसके साथ ही दौड़ने से फेफड़े मजबूत होते हैं । श्वसन क्रिया में सुधार होता है। धमनियों में मज़बूती आती है। रक्तचाप सामान्य होता है। धावक की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। शरीर संरचना मज़बूत होती है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। शरीर में शुगर का स्तर सामान्य रहता है। रक्त संचार सामान्य होकर सुदृढ़ और व्यवस्थित हो जाता है।
15- खान पान संबंधी जरुरी बातें :
दौड़ के लिए पेट का साफ रखना, दिन में खूब पानी पीना व तरल पदार्थ लेना, फल सब्जी, सलाद सूप का इस्तेमाल करना, दूध का सेवन करना व दूध से बने पदार्थ आदि का उपयोग करना, सूखे मेवे, बादाम, अखरोट आदि का सेवन करना अत्यंत लाभकारी व पुष्टिदायक होता है । अत: खाली दौड़ना ही नहीं, उसके साथसाथ आहार-विहार का भी ध्यान रखना ज़रूरी है। उपरोक्त समस्त बातों का ध्यान रखें और शीघ्र ही इसे दिनचर्या में लाएं।
16-स्वयं को परखे :
आजकल दौड़ को लेकर काफी जागृति आ गई है। शहर दर शहर मैराथन दौड़ की प्रतियोगिताएं होती हैं, उसमें छोटे से लेकर लंबी दूरी तक की दौड़ शामिल रहती है। उसमें भाग लेकर आप स्वयं की जांच कर सकते हैं कि आप किस स्तर के धावक हैं। उस दौरान कई विशेषज्ञ भी उसमें सम्मिलित होते हैं। उनसे भी सलाह-मशविरा करके आप अभ्यास में सुधार कर सकते हैं व उसमें मज़बूती प्रदान की जा सकती है।
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