Last Updated on May 30, 2021 by admin
पहला प्रयोगः पैर के तलवे तथा अँगूठे की सरसों के तेल से मालिश करने से नेत्ररोग नहीं होते।
दूसरा प्रयोगः ‘ॐ अरुणाय हूँ फट् स्वाहा।’ इस मंत्र के जप के साथ-साथ आँखें धोने से अर्थात् आँखमें धीरे-धीरे पानी छाँटने से असह्य पीड़ा मिटती है।
तीसरा प्रयोगः हरड़, बहेड़ा और आँवला तीनों को समान मात्रा में लेकर त्रिफलाचूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 से 5 ग्राम मात्रा को घी एवं मिश्री के साथ मिलाकर कुछ महीनों तक सेवन करने से नेत्ररोग में लाभ होता है।
आँखों की सुरक्षाः
रात्रि में 1 से 5 ग्राम आँवला चूर्ण पानी के साथ लेने से, हरियाली देखने तथा कड़ी धूप से बचने से आँखों की सुरक्षा होती है।
आँखों की सुरक्षा का मंत्रः
ॐ नमो आदेश गुरु का… समुद्र… समुद्र में खाई… मर्द(नाम) की आँख आई…. पाकै फुटे न पीड़ा करे…. गुरु गोरखजी आज्ञा करें…. मेरी भक्ति…. गुरु की भक्ति… फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
नमक की सात डली लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सात बार झाड़ें। इससे नेत्रों की पीड़ा दूर हो जाती है।
नोट :- अच्युताय हरिओम द्वारा निर्मित ” नेत्र बिंदु ” सभी प्रकार के नेत्र रोगों (Eye Diseases)को दूर करने व नेत्रज्योति को बढाने ने मदद करता है …जरुर आजमायें |