पहला प्रयोग : इन्द्रवरणा (बड़ी इन्द्रफला) के फल को काटकर अंदर से बीज निकाल दें। इन्द्रवरणा की फाँक को रात्रि में सोते समय लेटकर (उतान) ललाट पर बाँध दें। आँख Aankh (Eyes) में उसका पानी न जाये, यह सावधानी रखें। इस प्रयोग से नेत्रज्योति बढ़ती है।
पांचवा प्रयोग : पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन में या कुर्सी पर आराम से बैठ जायेंरीढ़ की हड्डी, गला व सिर को सीधा रखेंआँखों के बराबर ऊँचाई पर रखे दीपक की ज्योति को एक मिनट तक एकटक देखेंफिर आँखों को एकाध मिनट बंद रखे यह क्रिया 5 बार दोहरायें इससे एकाग्रता व नेत्रज्योति दोनों में वृद्धि होती हैये मेरा आजमाया हुआ एक ख़ास प्रयोग है जिसको जीवन में हमने अपनाया है और आज भी मेरी आँखे स्वास्थ है ।
छठा प्रयोग : आँखों (Eyes) को स्वच्छ जल से धोकर गुलाबजल डालें ।
सातवा प्रयोग : ॐ… ॐ…..मम आरोग्यशक्ति जाग्रय –जाग्रय’ अथवा ‘ॐ…ॐ…. मेरी आरोग्यशक्ति जाग्रत हो, जाग्रत हो ‘ – ऐसा कहते हुए या चितन करते हुए हाथों की हथेलियाँ आपस में रगडकर आँखों पर रखेंमौका मिले तो आँखों की पुतलियों को गोल घुमायें, फिर दायीं ओर व उसके बाद बायीं ओर ले जायें सुबह मुँह में एक कुल्ला पानी भर लें, फिर कटोरी में थोडा पानी भर के उसमें आँखें डुबाकर पटपटायें, जिससे आँखों व् सिर की गर्मी निकल जाए इससे सिरदर्द में आराम व नेत्रज्योति में वृद्धि होती है ।
आठवा प्रयोग : नेत्र –सुरक्षा व नेत्रज्योति-वृद्धि के लिये ध्यान रक्खे-
- अपनी आँखों को सीधी धूप से बचायें ।
- सुबह-सुबह नंगे पैर हरी घास पर चलें ।
- भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ताजे फल व दूध का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें ।
- जितना भी हो सके रात्रि-जागरण से बचे ।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)