Last Updated on August 10, 2020 by admin
जल है औषध समान : Drink Water To Cure (Almost?) All Diseases
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम ।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम ।।
‘अजीर्ण होने पर जल-पान औषधवत हैं । भोजन पच जाने पर अर्थात भोजन के डेढ़- दो घंटे बाद पानी पीना बलदायक है । भोजन के मध्य में पानी पीना अमृत के समान है और भोजन के अंत में विष के समान अर्थात पाचनक्रिया के लिए हानिकारक है ।’ (चाणक्य नीति :८.७)
पानी से रोगों का इलाज : pani se rogo ka upchar
१) अल्प जल-पान : उबला हुआ पानी ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने से अरुचि, जुकाम, मंदाग्नि, सुजन, खट्टी डकारें, पेट के रोग, नया बुखार और मधुमेह में लाभ होता है ।
२) उष्ण जल-पान : सुबह उबाला हुआ पानी गुनगुना करके दिनभर पीने से प्रमेह, मधुमेह, मोटापा, बवासीर, खाँसी-जुकाम, नया ज्वर, कब्ज, गठिया, जोड़ों का दर्द, मंदाग्नि, अरुचि, वात व कफ जन्य रोग, अफरा, संग्रहणी, श्वास की तकलीफ, पीलिया, गुल्म, पार्श्व शूल आदि में पथ्य का काम करता है ।
३) प्रात: उषापान : सूर्योदय से २ घंटा पूर्व, शौच क्रिया से पहले रात का रखा हुआ पाव से आधा लीटर पानी पीना असंख्य रोगों से रक्षा करनेवाला है । शौच के बाद पानी न पियें ।
औषधिसिद्ध जल :
१) सोंठ-जल : दो लीटर पानी में २ ग्राम सोंठ का चूर्ण या १ साबूत टुकड़ा डालकर पानी आधा होने तक उबालें । ठंडा करके छान लें । यह जल गठिया, जोड़ों का दर्द, मधुमेह, दमा, क्षयरोग (टी.बी.), पुरानी सर्दी, बुखार, हिचकी, अजीर्ण, कृमि, दस्त, आमदोष, बहुमुत्रता तथा कफजन्य रोगों में खूब लाभदायी है ।
२) अजवायन-जल : एक लीटर पानी में एक चम्मच (करीब 8.5 ग्राम) अजवायन डालकर उबालें । पानी आधा रह जाय तो ठंडा करके छान लें । उष्ण प्रकृति का यह जल हृदय-शूल, गैस, कृमि, हिचकी, अरुचि, मंदाग्नि,पीठ व कमर का दर्द, अजीर्ण, दस्त, सर्दी व बहुमुत्रता में लाभदायी है ।
३) जीरा-जल : एक लीटर पानी में एक से डेढ़ चम्मच जीरा डालकर उबालें। पौना लीटर पानी बचने पर ठंडा कर छान लें । शीतल गुणवाला यह जल गर्भवती एवं प्रसूता स्रियों के लिए तथा रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, अनियमित मासिकस्त्राव, गर्भाशय की सूजन, गर्मी के कारण बार-बार होनेवाला गर्भपात व अल्पमुत्रता में आशातीत लाभदायी है ।
खास बातें :
- भूखे पेट, भोजन की शुरुवात व अंत में, धुप से आकर, शौच, व्यायाम या अधिक परिश्रम व फल खाने के तुरंत बाद पानी पीना निषिद्ध है ।
- “अत्यम्बूपानान्न विपच्यतेन्नम” अर्थात बहुत अधिक या एक साथ पानी पीने से पाचन बिगड़ता है । इसलिए मुहुर्मुहर्वारी पिबेदभूरी ।बार-बार थोडा-थोडा पानी पीना चाहिए । (भावप्रकाश, पूर्व खंड: ५.१५७)
- लेटकर, खड़े होकर पानी पीना तथा पानी पीकर तुरंत दौड़ना या परिश्रम करना हानिकारक है । बैठकर धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए बायाँ स्वर सक्रिय हो तब पानी पीना चाहिए ।
- प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ, फ्रिज का या बर्फ मिलाया हुआ पानी हानिकारक है ।
- सामान्यत: 1व्यक्ति के लिए एक दिन में डेढ़ से दो लीटर पानी पर्याप्त है । देश-ऋतू-प्रकृति आदि के अनुसार यह मात्रा बदलती है ।
IF IT IS IN ENGLISH WE NON HINDEE CAN ALSO BE BENIFITED.