Last Updated on August 22, 2021 by admin
प्रमेह रोग क्या होता है ? : prameh rog kya hota hai
यह रोग वात-पित्त और कफ के दूषित हो जाने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है । इसमें मूत्र के साथ एक प्रकार का गाढ़ा-पतला विभिन्न रंगों का स्राव निकलता है । इस रोग की यदि उचित चिकित्सा व्यवस्था न की जाये तो रोगी कुछ ही समय में हड्डियों का ढाँचा बन जाता है ।
प्रमेह रोग के लक्षण : prameh rog ke lakshan
समस्त प्रकार के प्रमेह रोगों में पेशाब अधिक होना तथा पेशाब गन्दला होना रोग का प्रमुख लक्षण होता है। पेशाब के साथ या पेशाब त्याग के पूर्व अथवा बाद में वीर्यस्राव होना ही प्रमेह है।
प्रमेह रोग के कारण : prameh rog ke karan
- अधिक दही, मिर्च-मसाला, कडुवा तेल, खटाई इत्यादि तीक्ष्ण और अम्ल पदार्थ खाने,
- घी, मलाई, रबड़ी इत्यादि मिठाइयां तथा बादाम, काजू आदि स्निग्ध और पौष्टिक पदार्थों का प्रयोग करते हुए शारीरिक परिश्रम न करने,
- दिन-रात सोते रहने,
- सदैव विषय-वासना (Sexul) कार्यों और विचारों में लिप्त रहने से प्रमेह रोग की उत्पत्ति होती है।
प्रमेह हो जाने से वीर्य क्षीण होकर पुंसत्व (मर्दाना) शक्ति का ह्रास हो जाता है फलस्वरूप शरीर दिन प्रतिदिन क्षीण होता जाता है । जब तक शुद्ध और सात्विक विचारों के साथ पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए प्रमेह या अन्य वीर्य विकारों का उपचार नहीं किया जाता, तब तक ये विकार नष्ट नहीं हो सकते । ये कटु सत्य है । खान-पान के नियम-संयम सहित विचारों की शुद्धता, प्रमेह आदि विकारों को दूर (नष्ट) करने हेतु अनिवार्य शर्त है। आइये जाने प्रमेह का आयुर्वेदिक इलाज ,prameh rog ka gharelu upchar
प्रमेह रोग का घरेलू उपचार : prameh rog ka ilaj
1). आंवला – 24 ग्राम करेलों के रस के साथ 12 ग्राम ताजे आँवलों का रस अथवा 6 माशे की मात्रा में आंवले का चूर्ण अथवा कच्ची हल्दी का रस या हरी गिलोय का रस 1 तोला मिलाकर सुबह शाम सेवन करते रहने से प्रमेह रोग में अवश्य लाभ होता है । ( और पढ़ें – धातु दुर्बलता दूर कर वीर्य बढ़ाने के 32 घरेलू उपाय )
2). आम – आम की अन्तर छाल के 20 ग्राम रस में चूने का निथरा हुआ जल मिलाकर पिलाने से प्रमेह में विशेष लाभ होता है।
नोट:-इस मिश्रण को तैयार कर तत्काल ही पिलायें अन्यथा इसका प्रभाव कम हो जाता है ( और पढ़ें – वीर्य की कमी को दूर करेंगे यह रामबाण प्रयोग )
3). केला – कच्चे केले का चूर्ण 1-2 ग्राम की मात्रा में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से प्रमेह रोग में लाभ हो जाता है। ( और पढ़ें – वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय )
4). ईसबगोल – ईसबगोल की भूसी 6 ग्राम तथा मिश्री चूर्ण 10 ग्राम दोनों को मिलाकर फंकी लगाकर ऊपर से गाय का धारोष्ण दुग्धपान करना प्रमेह में लाभकारी है। ( और पढ़ें – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )
5). गोखरू – तालमखाने के बीज का चूर्ण, खरैटी, गंगेरन तथा गोखरू को सम मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें तथा इन सभी औषधियों के बराबर वजन में मिश्री का चूर्ण मिलाकर इस चूर्ण को 4 ग्राम की मात्रा में दूध के सेवन करायें । प्रमेह में लाभकारी है।
6). नीम – नीम पत्र का स्वरस 20 ग्राम 10 ग्राम मधु मिलाकर नित्य सेवन करना प्रमेह रोग में हितकारी है ।
7). बबूल – बीज रहित छाया शुष्क बबूल की फलियों का महीन चूर्ण 1 भाग में 8 वां भाग बबूल का गोंद मिलाकर सुरक्षित रख लें । इसे नित्य 6 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से 200 ग्राम गो दुग्ध गरम किया हुआ या धारोष्ण दूध में शक्कर मिलाकर पीने से वीर्य गाढ़ा होकर प्रमेह में लाभ हो जाता है ।
8). बरगद – बरगद के दूध की 1 बूंद बताशे में डालकर पहले दिन एक बताशा और दूसरे दिन 2 बताशे में बरगद का दूध इसी क्रम से प्रतिदिन 1 बताशा बढ़ाते हुए 21 बताशे में बरगद के दूध की प्रति बताशा 1 बूंद डालकर प्रयोग करें । फिर इसी क्रम से 1-1 बताशा कम करते हुए 1 बताशे व 1 बूंद बरगद के दूध पर आकर प्रयोग बन्द कर दें । यह प्रमेह नाशक विशेष उपयोगी योग है । ( और पढ़ें – बरगद के 77 लाजवाब औषधीय प्रयोग )
9). त्रिफला – त्रिफले का पिसा कुटा एवं छना हुआ चूर्ण 10 ग्राम, पिसी हल्दी 3 ग्राम, शहद 10 ग्राम मिलाकर कई महीनों तक लगातार चाटने से प्रमेह रोग से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है । इस प्रयोग से असाध्य प्रमेह भी ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – त्रिफला (Triphala )लेने का सही नियम )
10). अश्वगंधा – अश्वगंधा, विधारा दोनों को सम मात्रा में लेकर कूट पीसकर कपड़छन कर सुरक्षित रख लें । इसे 9 ग्राम की मात्रा में फांककर गाय का दूध मिश्री मिलाकर पीने से प्रमेह आदि सभी धातु विकारों में लाभ हो जाता है । ( और पढ़ें – दूध पीने के 98 हैरान कर देने वाले जबरदस्त फायदे )
11). इलायची – छोटी इलायची के बीज 6 ग्राम, वंशलोचन, दक्खिन गोखरू (प्रत्येक 6 ग्राम) ताल मखाना, चिकनी सुपारी, हजरत बेर, सालम मिश्री प्रत्येक 10-10 ग्राम तथा ईसबगोल की भूसी, सफेद जीरा, बेल गिरी प्रत्येक वजन से आधे अधिक | वजन में मिश्री मिलाकर इसे 6-6 ग्राम की मात्रा में 250 ग्राम धारोष्ण दुग्ध के साथ 20 दिन सेवन करने से प्रमेह तथा स्वप्नदोष में लाभ हो जाता है ।
12). छुहारा – छुहारे 100 ग्राम, मिश्री 90 ग्राम, रूमी मस्तंगी 40 ग्राम तथा सफेद मूसली 20 ग्राम सभी को कूट पीस छानकर ऊपर औटा (उबला) हुआ दूध 1 चम्मच घृत मिलाकर पिलाना प्रमेह रोग में अतीव गुणकारी है । ( और पढ़ें – छुहारा के हैरान कर देने वाले 31 फायदे )
13). नीम की छाल – नीम की भीतरी सफेद छाल 50 ग्राम लेकर कुचलकर रात को गर्म जल में भिगोकर सुबह को मलकर वे कपड़े से छानकर थोड़ी मिश्री मिलाकर नियमित कुछ दिन पिलाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है ।
14). कला – एक पके ताजे केले में 5 ग्राम के लगभग उत्तम घृत मिलाकर सुबह शाम कुछ दिनों लगातार सेवन करने से प्रमेह में लाभ हो जाता है । ( और पढ़ें – केला खाने के 80 बड़े फायदे )
15). घी – ईसबगोल की भूसी 6 ग्राम, मधु 10 ग्राम, घृत 20 ग्राम लें । पहले घृत को गरम कर भूसी तथा शहद मिला लें, फिर दूध मिलाकर सेवन करें । इस योग के 15 दिनों के प्रयोग से प्रमेह नष्ट हो जाता है ।
16). तालमखाना – तालमखाना 60 ग्राम, जायफल 30 ग्राम चूर्ण कर कपड़छन कर उन दोनों के वजन के बराबर मिश्री मिलाकर शीशी में सुरक्षित रख लें । इसे 3 से 10 ग्राम सेवन कराने से मूत्र के साथ आने वाली लार या थुक जैसी वस्तु आना शीघ्र ही बन्द हो जाती है। दूध से सेवन करायें ।
17). हल्दी – हल्दी कुटी पिसी कपड़छन की हुई 4 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से कुछ ही दिनों में असाध्य प्रमेह भी नष्ट हो जाता है । ऊपर से बकरी का दूध पियें । यदि बकरी का दूध न मिले तो गाय के दूध में हल्दी व शहद मिलाकर एक उबाल (आग पर) देकर (अधिक गरम न करें) पियें। 40 दिन सेवन करें। ( और पढ़ें –हल्दी के अदभुत 110 औषधिय प्रयोग )
18). शीशम – शीशम के हरे पत्ते 20 ग्राम लेकर पानी में पीसकर मिश्री मिला कर ठण्डाई बनाकर पिलायें । पुरुषों का प्रमेह रोग तथा स्त्रियों का प्रदर (ल्यूकोरिया) रोग की रामबाण औषधि है। केवल 7 दिन में ही आश्चर्यजनक लाभ दिखाकर रोग जड़ से नष्ट कर देता है ।
19). धनिया – धनिया 50 ग्राम, मिश्री 50 ग्राम दोनों को बारीक चूर्ण कर सुरक्षित रखें। इसमें से 6-6 ग्राम की मात्रा में प्रात:काल सेवन करने से मात्र 1 सप्ताह में शुक्रगत ऊष्मा वीर्यस्राव (प्रमेह) एवं स्वप्नदोष आदि रोगों का नाश हो जाता है । ( और पढ़ें –धनिया के 119 स्वास्थ्यवर्धक फायदे )
20). उड़द – उड़द के काढ़े में 1 रत्ती भुनी हल्दी और 6 माशा शहद मिलाकर पीने से प्रमेह में लाभ हो जाता है।
प्रमेह रोग की दवा : prameha rog ki dawa
प्रमेह रोग में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
- रसायन चूर्ण
- त्रिफला चूर्ण
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
Satisfied and happy to read prameh ke gharelu upaye God bless you
Thanks for real ayurvedic. medicine..