Last Updated on July 22, 2019 by admin
रोग परिचय :
भगन्दर एक अत्यन्त कष्टप्रद रोग है । इस रोग में रोगी की गुदा से 1-2 अंगुल छोड़कर फुन्सियाँ सी हो जाती हैं, जिनसे मवाद रक्त बहता रहता है । इन फुन्सियों में तीव्र पीड़ा होती है और रोगी को उठने-बैठने, चलने फिरने में अत्यन्त कष्ट होता है । यह फुन्सियाँ आसानी से सूख नहीं पाती हैं और रोगी के नाड़ीव्रण अथवा नासूर जैसे घातक घाव उचित उपचार के अभाव में हो जाते हैं । हांलाकि यह रोग असाध्य नहीं है किन्तु कष्टसाध्य अवश्य है । इसका उपचार भी कठिन है । यह रोग शिशुओं को भी हो जाता है ।
भगंदर क्यों होता है ? : bhagandar ke karan
• कसैले तथा रूक्ष आहार पदार्थों के सेवन से भगंदर होता है।
• अधिक देर तक किसी सख्त या ठंडी जगह पर बैठना।
• गुदामार्ग के पास फोड़े होना।
• गुदामार्ग का अस्वच्छ रहना।
भगन्दर के लक्षण : bhagandar ke lakshan
• गुदा के पास छोटी-छोटी सी फुसियाँ हो जाती हैं। उक्त फुसियों की उपेक्षा करने से ये आगे चलकर लाल होकर भगंदर का रूप ले लेती है।
• यह एक नाड़ी घाव यानी नस का फोड़ा होता है।
• गुदा के आस-पास होनेवाले घावों को ही भगंदर कहा जा सकता है। इसका मुख मलद्वार पर होता है।
• गुदमार्ग के बगल में दरार होकर उसमें पीप, दूषित रक्तवारि का स्राव होना तथा यदा-कदा पीड़ा होना और पीड़ित स्थान पर घाव बन जाना।
• इसके रहने पर कमर दर्द और सिरदर्द होता है। इसके रूप अनेक होते हैं पर सभी रूप बड़े पीड़ादायक होते हैं।
भगन्दर में क्या खाना चाहिए : bhagandar me kya khaye
• हरी सब्जियां,फल ,गेहूं के आटे की रोटी चोकर के साथ का अवश्य खाना चाहिए। ये कब्ज़ की शिकायत नहीं होने देती,पालक, मूली, परवल, करेला, बथुआ,हरी सब्जियों का सलाद,
• व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए।
• सैर रोज करें ।
भगन्दर में क्या नहीं खाना चाहिए : bhagandar me kya nahi khaye
• मैदा ,ज्यादा गर्म ,मिर्च मसालेदार भोजन से परहेज रखें |
• माशाहार का सेवन न करें |
• मल मूत्र को न रोके |मल मूत्र रोक कर रखने से मल सख्त और सुखा हो जाता हे, जिससे भगन्दर रोगी को पीड़ा का अनुभव होता है।
• मूत्र और उसके आस पास की जगह को हमेशा साफ रखे।
भगन्दर का आयुर्वेदिक घरेलु इलाज : bhagandar ka ayurvedic ilaj in hindi
इस रोग का ऐलोपैथिक चिकित्सक आप्रेशन द्वारा और आयुर्वेदिक चिकित्सा
1. विरेचन,
2. अग्नि कर्म,
3. शस्त्रकर्म एवं
4. क्षारकर्म
के उपचारों से पीड़ित रोगी की चिकित्सा करते हैं। बच्चों एवं शिशुओं में क्षारसूत्र का प्रयोग मृदु कर्म होने के कारण घरेलू उपचार ही लिखे जा रहे हैं
1) उत्तम क्वालिटी की राल को बारीक पीसकर भगन्दर पर लगाने से भगन्दर नष्ट हो जाता है। ( और पढ़ें – भगन्दर को जडमूल से खत्म करेंगे यह 44 आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )
2) करील व अंडी के पत्तों को हल्का गरम बाँधने से भगन्दर घुल जाता है।
नोट-करील में पत्ते नहीं होते हैं अत: ऊपर की कोपलें ही प्रयोग करें ।
3 ) अलसी की राख को गुदा के घाव पर बुरकने से घाव भर जाता है ।
4) आधा किलो नीम रस और 250 ग्राम बूरा चीनी को मन्दाग्नि पर ऐसी गाढ़ी चाश्नी बनाले कि कलुछी चिपकने लग जाए । तदुपरान्त चित्रक, हल्दी, त्रिफला, प्रत्येक 10-10 ग्राम तथा अजवायन, निर्गुन्डी बीज, पीपल, सौंठ, काली मिर्च, दन्तीमूल, नीम और बाबची के बीज (प्रत्येक 25-25 ग्राम) अनन्तमूल और बायविंडग पीस छानकर चाशनी में मिलायें और सुरक्षित रखलें । इसे 10-10 की मात्रा में ताजा पानी के साथ निगल जायें । भगन्दर नष्ट हो जाएगा ।
5) हल्दी, आक का दूध, सैंधा नमक, गुग्गुल, कनेर, इन्द्र-जो प्रत्येक 12 ग्राम को जल में पीसकर लुगदी बनाये । तदुपरान्त तिल का तैल 150 मि.ली., जल 600 मि.ली., तथा उपर्युक्त लुगदी मिलाकर विधिवत् तैल पाक कर लें । जब तैल मात्र शेष रह जाए तब छानकर सुरक्षित रखलें । इस तैल को भगन्दर पर दिन में 3-4 बार लगायें । भगन्दर नष्ट हो जाएगा ।
भगन्दर की दवा : bhagandar ki dawa
1) व्रण गजांकुश रस (भैषज्य रत्नावली) बच्चों को 1 ग्राम औषधि 3 ग्राम मधु में मिलाकर सुबह-शाम सेवन कराना लाभप्रद है।
2) सप्त विशन्ति गुग्गुल (भैषज्य रत्नावली) 6 ग्राम की मात्रा में गरम जल के साथ बच्चों को सुबह-शाम खिलाना लाभकारी है।
नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।