माणिक्य (पद्मरागमणि) भस्म के फायदे | Manikya Bhasma ke Fayde

Last Updated on July 22, 2019 by admin

परिचय :

माणिक्य नामक रत्न दो तरह का होता है। एक पद्मराग और दूसरा नीलगन्धि। जो मणि लाल कमल के समान लाल वर्ण हो तथा स्निग्ध, भारी, दीप्तिमान, गोल, विस्तृत तथा समानावयव युक्त हो, उसे पद्मरागमणि कहते हैं और जो नील वर्ण तथा मध्य में रक्तवर्णयुक्त हो, उसे नीलगन्धि माणिक्य कहते हैं। भस्म के लिये दोनों लिए जाते है। वैज्ञानिकों के मतानुसार यह अॅल्युमिनियम और ऑक्सीजन का यौगिक है। इसमें लोहे तथा क्रोमियम के मिश्रण का लाल रंग आता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व ४ तथा काठिन्य ९ है।

माणिक्य (पद्मरागमणि) भस्म की शोधन विधि –

माणिक्य के छोटे-छोटे टुकड़ों को पोटली में बाँध कर नींबू के रस में एक प्रहर तक (दोलायन्त्र में)२ स्वेदन करने से शुद्ध हो जाता है।

माणिक्य (पद्मरागमणि) भस्म बनाने की विधि –

प्रथम विधि – शुद्ध माणिक्य के टुकड़ों को इमामदस्ते में कूट कपड़छन चूर्ण कर समभाग मैनशिल, गन्धक और हरताल लेकर बड़हल के रस में सबको एकत्र घोंटकर गोला बना सराब-सम्पुट में बन्द कर २-३ सेर कण्डों की आँच दें। ऐसे ८ पुट देने से उत्तम भस्म तैयार होती है।

दूसरी विधि- माणिक्य के टुकड़ों को दृढ सराब या कुठाली में रखकर खूब तेज अग्नि में धोंकनी से लाल कर त्रिफला के क्वाथ में बुझावें। इस प्रकार तब तक तपातपा कर बुझायें जब तक कि माणिक्य के टुकड़े सफेद न हो जायें। लगभग ६-७ बार बुझाने से सफेद हो जाते हैं। तदनन्तर पानी से धुलाई करें।Manikya Bhasma ke Fayde aur nuksan

तीसरी विधि- उपरोक्त प्रकार से शोधित माणिक्य के टुकड़ों को इमामदस्ते में सूक्ष्म चूर्ण करे ग्वारपाठे के रस की भावना देकर मर्दन कर पुट दें। इस प्रकार ७-८ पुट देने से उत्तम भस्म बन जाती है।

माणिक्य पिष्टी-

शुद्ध माणिक्य को महीन चूर्ण कर अर्क गुलाब या चन्दनादि अर्क के साथ लगातार खूब खरल करें। ऐसा करने से बहुत मुलायम और उत्तम पिष्टी तैयार होती है। यह पिष्टी भस्म से अधिक सौम्य होती है)।

माणिक्य (पद्मरागमणि) भस्म सेवन की मात्रा और अनुपान-

चौथाई रत्ती से आधी रत्ती, दिन में दो बार मधु, मलाई. मक्खन, मिश्री आदि के साथ दें।

माणिक्य भस्म के फायदे ,गुण और उपयोग- manikya bhasma ke fayde / benefits

✦ इसकी भस्म या पिष्टी नपुंसकता, धातु-क्षीणता, हृदय रोग, वात-पित्त-विकार, ग्रहदोष, भूतबाधा और क्षय रोग दूर कर शरीर की धातुओं को पुष्ट बनाती है।
✦ माणिक्य भस्म बल-वीर्य और बुद्धि-वृद्धि के लिये बहुत ही लाभदायक है।
✦ दीपन होने के कारण मन्दाग्नि में सेवन से शीघ्र लाभ होता है।
✦ उत्तम माणिक्य भस्म मेधावर्द्धक, मधुर, रस, शीतवीर्य, रसायन गुणयुक्त, उत्पादक अंगों के लिए बलदायक, आयुवर्द्धक तथा उत्तम वात, पित्त और कफ दोषहर है।
✦ उत्तम माणिक्य भस्म के सेवन से कफ का प्रकोप शान्त होता है।
✦ यह अंगों में स्निग्धता उत्पन्न करती है और क्षय रोग को नष्ट करती है।
✦ जननेन्द्रिय की शिथिलता इसे सेवन से दूर होकर उसमें उत्तेजना आती है।
✦ पाण्डुरोग की जीर्णावस्था में रक्ताणुओं की अत्यन्त कमी एवं श्वेताणुओं की तीव्र वृद्धि होती देखी गयी है। इस अवस्था में माणिक्य पिष्टी १ रत्ती को कसीस भस्म १ रत्ती और स्वर्ण माझिक भस्म १ रती के साथ मधु या वेदाना अनार के रस में मिलाकर देने से आश्चर्यजनक लाभ होते देखा गया है।

सावधानियां:

★ अधिक मात्रा में इसका सेवन आँतों और शरीर को नुकसांन पहुंचाता है।
★ सही प्रकार से बनी माणिक्य भस्म का ही सेवन करे।
★ अशुद्ध / कच्ची भस्म शरीर पर बहुत से हानिप्रद प्रभाव पैदा करती है |
★ इसे डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।

Leave a Comment

Share to...