Last Updated on March 6, 2023 by admin
वीर्य एक जैविक तरल पदार्थ है, जिसे धातु के नाम से भी जाना जाता है। यह बहोत से शुक्राणुओं के मेल से बना होता है। वीर्य शरीर की बहुत मूल्यवान धातु है। भोजन से वीर्य बनने की प्रक्रिया बड़ी लम्बी है। जो भोजन पचता है, उसका पहले रस बनता है। पांच दिन तक उसका पाचन होकर रक्त बनता है, उसमें से 5-5 दिन के अंतर से मेद, मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा और मज्जा से अंत में वीर्य बनता है। इस प्रकार वीर्य बनने में करीब 30 दिन व 4 घण्टे लग जाते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि 32 किलो भोजन से 800 ग्राम रक्त बनता है और 800 ग्राम रक्त से लगभग 20 ग्राम वीर्य बनता है।
वीर्य की कमी के कारण :
वीर्य की कमी के कई कारण होते है। जैसे हस्तमैथुन, अधिक सहवास, खान-पान में सही देखभाल न करना, स्वप्नदोष, कमजोरी, मानसिक कमजोरी, चिन्ता करना आदि।
वीर्य कमी के लक्षण :
हमेशा उदास सा रहना, किसी काम में मन का न लगना, सुस्ती, कमजोरी, अपंगता और मानसिक कमजोरी आदि के लक्षण वीर्य की कमी में देखे गये हैं।
खान पान और परहेज :
गर्म मिर्च मसालेदार पदार्थ और मांस, अण्डे आदि, हस्तमैथुन करना, अश्लील पुस्तकों और चलचित्रों को देखना, बीड़ी-सिगरेट, चरस, अफीम, चाय, शराब, ज्यादा सोना आदि बन्द करें।
वीर्य की कमी का इलाज :
पहला प्रयोगः सफेद प्याज का 10 से 20 मि.ली. रस 5 से 10 मि.ली. शहद, अदरक का 5 से 10 मि.ली. रस और 1 से 2 ग्राम घी मिलाकर प्रातःकाल 21 दिन सेवन करके वीर्यवृद्धि होती है।
दूसरा प्रयोगः अश्वगंधा के 2 ग्राम चूर्ण को घी-मिश्री के साथ खाने से तथा ऊपर से दूध पीने से अथवा कौंचबीज एवं खसखस का समान मात्रा में चूर्ण मिलाकर, उसमें से आधा तोला (6 ग्राम) चूर्ण रोज दूध के साथ सुबह-शाम लेने से कभी-भी धातु क्षीण नहीं होती एवं वीर्यविकार मिटते हैं।
तीसरा प्रयोगः प्रतिदिन 1 हरड़ का सेवन करने से या एक पके केले में 6 ग्राम घी डालकर रोज सुबह-शाम खाने से धातुक्षीणता एवं प्रदर रोग में लाभ होता है।
चौथा प्रयोगः सुखाये हुए सिंघाड़े एवं मखाने को समान मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना कर रखें। उसमें से 1 तोला (करीब 12 ग्राम) चूर्ण मिश्री के साथ खाकर ऊपर से ताजा दूध पीने से अथवा 2 से 5 ग्राम गुड़ के साथ श्याम तुलसी के आधा से 1 ग्राम बीज खाने से यौवनसुरक्षा होती है।
छठा प्रयोग : तुलसी के बीज : तुलसी के बीज आधा ग्राम (पीसे हुए), पान के साथ सादे या केवल कत्था चुना लगाये पान के साथ नित्य सुबह एवं शाम खाली पेट खाने से वीर्य पुष्टि एवं रक्त शुध्दि होती है।
विशेष :- अश्वगंधा पाक, सुवर्ण वसंत मालती, बल्य रसायन, रजत मालती आयुर्वेदिक औषधियां वीर्यवृद्धि कर शरीर को पुष्टि करते है ।
वीर्य की कमी दूर करने के घरेलू नुस्खे :
1. चोब चीनी : चोब चीनी को दूध में उबालकर 3 से 6 ग्राम को मस्तगी, इलायची और दालचीनी के साथ सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।
2. छोटी माई : छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी व कमजोरी दूर होती है।
3. गुरुच : गुरुच का चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ खाने से लाभ होता है।
4. बेल : बेल की जड़ की छाल को जीरे के साथ पीसकर घी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।
4. गुंजा : गुंजा की जड़ 2 ग्राम को दूध में पकाकर रोज रात को खाना खाने से पहले खाने से वीर्य के सभी रोग खत्म हो जाते हैं।
5. गुलशकरी : गुलशकरी की जड़ 6 ग्राम से 10 ग्राम को मिश्री मिले दूध के साथ दिन में सुबह और शाम खाने से वीर्य की कमी दूर होती है।
6. शतावरी : शतावरी का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम चीनी और दूध के साथ पेय बना कर सुबह-शाम सेवन करने से धातु (वीर्य) का पतलापन मिट जाता है।
7. सिरस :
- सिरस के बीजों का चूर्ण 1 से 2 ग्राम मिश्री मिले गाय के दूध के साथ सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
- सिरस की छाल और फूल बराबर मात्रा में पीसकर 30 दिनों तक रोज 1 चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध के साथ फंकी लेने से वीर्य गाढ़ा होकर मर्दाना ताकत बढे़गी तथा शुक्राणुओं की वृद्धि होती है।
- सिरस के बीजों का 2 ग्राम चूर्ण, दोगुनी चीनी मिलाकर रोज गरम दूध के साथ सुबह-शाम लेने से वीर्य बहुत गाढ़ा हो जाता है।
8. मखाना : मखाना की खीर बराबर रूप से खाने से वीर्य की कमी दूर होती है।
9. मुनक्का : मुनक्का खाने से धातु में वृद्धि होती है।
10. छुहारा : छुहारा बराबर रूप से दूध में उबालकर खाने से वीर्य बढ़ता है
11. कलम्बो (करनी) : कलम्बो (करनी) का साग रोज खाने से शुक्र की कमी दूर होती है और जल्द लाभ नजर आता है
12. काहू : काहू के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम मिश्री मिले दूध के साथ खाने से वीर्य गाढ़ा होता है
13. प्याज : प्याज और अदरख का रस बराबर भाग में लेकर रोज सुबह-शाम शहद के साथ खाने से खोयी हुई जवानी लौट आती है।
14. हत्था जोरी : हत्था जोरी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) के मिश्रण 40 ग्राम से 80 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से वीर्य की कमी और वीर्य की कमजोरी दूर होती है।
15. उड़द : उड़द की दाल को पीसकर नमक, कालीमिर्च, जीरा, हींग, लहसुन अदरक आदि को डालकर घी में तलकर दही में मिलाकर खाने से वीर्य बढ़ता है।
16. शिलाजीत : थोड़ी मात्रा में गाय के दूध में घोल कर रोज सुबह-शाम 2-3 महीने तक खाने से धातु (वीर्य) की कमजोरी और अन्य बीमारी दूर हो जाती है।
17. दालचीनी :
- दालचीनी के तेल में 3 गुना जैतून का तेल मिलाकर शिश्न पर लगाने से मर्दानगी लौट आती है। ध्यान रहे इस पर ठंड़ा पानी न पड़े।
- दालचीनी का चूर्ण कर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद रोज 2 बार दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
18. आंवला : रोजाना एक बड़े आंवले के मुरब्बे को खाने से मर्दाना ताकत आती है।
19. खजूर : खजूर रोज गर्म दूध के साथ खाने से कुछ ही दिनों में वीर्य बढ़ जाता है।
20. केसर : केसर को दूध में कुछ दिनों तक डालकर खाने से शीघ्रपतन दूर हो जाता है।
21. अनार : अनार के छिलके का रस शहद के साथ रोज सुबह-शाम लेने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।
22. सिंघाड़ा : सिघाडे़ के आटे मे बबूल का गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम मात्रा में गर्म दूध के साथ लेने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।
23. बादाम : कालीमिर्च और बादाम की गिरी बराबर भाग में लेकर थोड़ा-सा सोंठ मिलाकर चूर्ण कर लें। भोजन के बाद गर्म दूध के साथ खाने से यह रोग दूर हो जाता है।
24. शीशम : रात में एक मिट्टी के बर्तन में पानी रखें शीशम के हरे और कोंमल पत्तों को रखकर ढ़क दें। सुबह इन्हें निचोड़कर छान लें और ताल मिश्री को मिलाकर खाने से लाभ होता है।
25. शीतलचीनी : 2 चम्मच शीतल चीनी पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
26. तुलसी :
- तुलसी के बीजों को पीसकर पानी के साथ या बीजों को गुड़ के साथ कुछ दिनों तक लेने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।
- तुलसी के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में लेकर पुराने गुड़ के साथ बराबर मात्रा में खाने के बाद एक कप दूध सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ महीनों तक लेने से सेक्स सम्बन्धी सभी समस्याएं दूर हो जाती है।
- 3 ग्राम तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण बराबर की मात्रा में पुराने गुड़ में दूध के साथ सेवन करने से पुरुषत्व की वृद्धि होती है। इससे पतला वीर्य गाढ़ा होता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है।
- तुलसी के बीज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम लें। इन दोनों को पीसकर सुरक्षित रख लेते है। इसमें प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय के दूध से सेवन करना चाहिए।
27. कसेरू : कसेरू के छिलके को हटाकर रस निकालें और दूध, मिश्री के साथ रोज पीने से वीर्य की वृद्धि होती है।
28. सोंठ : सोंठ को गर्म पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। उसमें थोड़ी हल्दी और गुड़ को डालकर पीने से धातु (वीर्य) की कमजोरी दूर होती है।
29. लाजवन्ती : लाजवन्ती के बीजों का चूर्णकर के दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
30. धनिया : धनिया का चूर्ण बनाकर ईसबगोल की भूसी और मिश्री मिलाकर गर्म दूध के साथ खाने से स्वप्नदोष, कब्जियत और शीघ्रपतन दूर होता है।
31. सफेद मूसली : सफेद मूसली और शक्कर बराबर मिलाकर चूर्ण कर लें और रोज सवेरे गाय के दूध के साथ खाने से लाभ मिलता है।
32. गाजर : गाजर का रस शहद के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।
33. लहसुन : रोज रात में 1-2 कली लहसुन जरूर खायें या लहसुन का रस शहद के साथ खायें इससे धातु (वीर्य) की कमजोरी, शीघ्रपतन और नपुंसकता दूर होती है।
34. बबूल :
- बबूल का पत्ता चबाकर गाय का दूध पीने से कुछ की दिनों में गर्मी के रोग में लाभ होता है।
- बबूल के कच्ची फलियों के रस को दूध और मिश्री में मिलाकर खाने से लाभ होता है।
35. रीठा : रीठे की गिरी को पीसकर बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर एक चम्मच की मात्रा सुबह-शाम एक कप दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है।
36. मूसलीकन्द : 3 से 6 ग्राम मूसलीकन्द के चूर्ण, मिश्री को मिलाकर धातु की कमी के रोग में सेवन करने से लाभ होता है।
37. गेंदा : एक चम्मच गेंदे के बीजों और इतनी ही मात्रा में मिश्री को मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करने से वीर्य स्तम्भन की शक्ति बढ़ती है।
38. गन्ना : गुड़ को आंवलों के 2-4 ग्राम चूर्ण के साथ सेवन करने से वीर्यवृद्धि, श्रमनाश, तृप्ति, रक्तपित्त, दाह, शूल और मूत्रकृच्छ आदि रोग नष्ट होता है।
38. इमली :
- इमली को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें। छिलके निकले बीजों को सुखाकर बारीक पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार दूध के साथ सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।
- इमली के बीजों को भूनकर छिलका उतारकर चूर्ण बनाकर, बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 15 दिनों तक रोजाना सेवन करने से वीर्य का पतलापन, मूत्रकृच्छ तथा मूत्रदाह (पेशाब में जलन) दूर होती है।
39. सफेद पेठा : पेठे की मिठाई और सब्जी खाने से वीर्य बढ़ता है। इसके अलावा यह औरतों के श्वेतप्रदर को बन्द करता है और मोटापे को भी कम करता है।
40. कैथ : कैथ के पेड़ की कोंपलों का चूर्ण दूध में मिलाकर शक्कर के साथ लेने से वीर्य में वृद्धि होती है।
41. खस (पोस्त के दाना) : खस की जड़, तालमखाना और सफेद चंदन का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच एक कप दूध के साथ सुबह-शाम रोज 4 से 6 हफ्ते खाने से धातु की कमी दूर होती है।
42. ब्राह्मी : वीर्य दोष में 15 ब्राह्मी के पत्तों को दिन में 3 बार सेवन कर सकते हैं।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)
Nice sir ji aap ka bahut bahut sukrya