Last Updated on March 31, 2023 by admin
सितोपलादि चूर्ण क्या है ? : sitopaladi churna kya hota hai
सितोपलादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कफ-खांसी और जुकाम जैसे रोगों को दूर कर पाचन व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है |
सितोपलादि चूर्ण की सामग्री : sitopaladi churna ki samagri
सितोपलादि चूर्ण बनाने के लिए निम्न पाँच चीजों को समुचित मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बनाते हैं
- वंशलोचन – 100 ग्राम
- मिश्री – 200 ग्राम
- पीपल – 50 ग्राम
- छोटी इलायची – 25 ग्राम
- दालचीनी – 15 ग्राम
सितोपलादि चूर्ण सेवन की मात्रा और अनुपान : sitopaladi churna kaise khaye
2 ग्रा. सितोपलादि चूर्ण को 1 चम्मच शहद में मिलाकर दें।
सितोपलादि चूर्ण के फायदे और उपयोग : sitopaladi churna ke fayde aur upyog
1. खांसी – इस चूर्ण के सेवन से श्वास, खाँसी, क्षय, हाथ और पैरों की जलन, अग्निमान्द्य, जिव्हा की शून्यता, पसली का दर्द, अरुचि, ज्वर और उर्ध्वगत रक्तपित्त शांत हो जाता है।
2. भूख बढ़ाना – यह चूर्ण बढ़े हुए पित्त को शान्त करता, कफ को छाँटता, अन्न पर रुचि उत्पन्न करता, जठराग्नि को तेज करता और पाचक रस को उत्तेजित कर भोजन पचाता है।
3. बुखार – पित्तवृद्धि के कारण कफ सूख कर छाती में बैठ गया हो, प्यास ज्यादा, हाथ, पाँव और शरीर में जलन हो, खाने की इच्छा न हो, मुँह में खुन गिरना, साथ-साथ थोड़ा-थोड़ा ज्वर रहना (यह ज्वर । विशेषकर रात में बढ़ता है), ज्वर रहने के कारण शरीर निर्बल और दुर्बल तथा कांतिहीन हो जाना आदि उपद्रवों में इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है, और इससे काफी लाभ भी होता है।
4. कमजोरी – बच्चों के सूखा रोग में जब बच्चा कमजोर और निर्बल हो जाय, साथ-साथ थोड़ा ज्वर भी बना रहे, श्वास या खाँसी भी हो, तो इस चूर्ण के साथ प्रवाल भस्म और स्वर्ण मालती बसन्त की थोड़ी मात्रा मिलाकर प्रात:सायं सेवन करने से अपूर्व लाभ होता है।
5. तलवों मे जलन –हाथ व पैरों के तलवों में होने वाली जलन में प्रात: सायं सेवन करने से लाभ होता है।
6. सर्दी जुकाम – बिगड़े हुए जुकाम में भी इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है। अधिक सर्दी लगने, शीतल जल अथवा असमय में जल पीने से जुकाम हो गया हो। कभी-कभी यह जुकाम रूक भी जाता है। इसका कारण यह है कि जुकाम होते ही यदि सर्दी रोकने के लिए शीघ्र ही उपाय किया जाय, तो कफ सूख जाता है, परिणाम यह होता है कि सिर में दर्द, सूखी खाँसी, देह में थकावट, आलस्य और देह भारी मालूम पड़ना, सिर भारी, अन्न में रुचि रहते हुए भी खाने की इच्छा न होना आदि उपद्रव होते हैं। ऐसी स्थिति में इस चूर्ण को शर्बत बनप्सा के साथ देने से बहुत लाभ होता है, क्योंकि यह रुके हुए दुषित कफ को पिघला कर बाहर निकाल देता है और इससे होने वाले उपद्रवों को भी दूर कर देता है।
सितोपलादि चूर्ण के नुकसान : sitopaladi churna ke nuksan
- इसमें अधिक मात्र में मिश्री होने के कारण यह मधुमेह के रोगियों के अनुकूल नहीं है |
- इसका सेवन लगातार एक वर्ष तक ना करें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार चूर्ण की सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
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Nalanda, Bihar
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