Last Updated on July 27, 2021 by admin
स्वप्नदोष क्या होता है ? (swapandosh kya hai in hindi)
इस रोग को उर्दू में एहतलाम के नाम से जाना जाता है। इस रोग में नींद में स्त्री का स्वप्न आता है । रोगी स्वप्न में उस स्त्री से रति क्रिया करता है, जिसके फलस्वरूप नींद में ही वीर्यपात हो जाता है और पहने हुए कपड़े गंदे हो जाते हैं। इस प्रकार स्वप्न में जब बार-बार वीर्य निकलने लग जता है। तब यह स्वप्नदोष रोग के नाम से जाना जाता है । आइये जाने स्वप्नदोष होने का कारण क्या है
स्वप्नदोष के कारण (swapandosh hone ka karan)
स्वप्नदोष क्यों होता है ?
इस रोग के प्रधान कारण – बुरे विचार, अत्यधिक मैथुन, हस्त मैथुन, गुदा मैथुन, कब्ज, बदहजमी, चित्त पड़कर सोना, अविवाहित रहना, वृक्कों की गर्मी, भोजनोपरान्त तुरन्त सो जाना, स्वप्नदोष हो जाने का मन में भय बने रहना, पेट में कीड़े होना, प्रोस्टेट ग्लैन्ड की खराश, सुपारी का लम्बा होना, मूत्रमार्ग का प्रदाह, काम इच्छा बढ़ जाना, उत्तेजक एवं मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन, स्तम्भन शक्ति की कमी, वीर्य की थैलियों में ऐंठन, नग्न अश्लील चित्र अथवा चलचित्रों का देखना, वीर्य की अधिकता, वीर्य की गर्मी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्राशय की खराश, खट्टे अथवा अधिक भोजन खाना इत्यादि है।
स्वप्नदोष के नुकसान और लक्षण (swapandosh ke nuksan in hindi)
- स्वप्नदोष के रोगी के कमर में दर्द रहने लगता है, उसका चेहरा पीला, आँखें फँसी हुई और वीर्य पतला पड़ जाता हैं।
- रोगी का शरीर ढीला-ढाला और वजन कम हो जाता है ।
- आलस्य से वह ऊँघता रहता है,
- माथे में भी दर्द हो सकता है।
- दृष्टि-एकाग्रता में कमी हो जाती है,
- स्मरण शक्ति का अभाव,
- आँखों के पीछे की ओर दर्द,
- मर्दाना शक्ति की कमी इत्यादि हो जाती है।
अनुभवहीन-चिकित्सक स्वप्नदोष को एक भयानक रोग को बतलाकर और भी अधिक पीड़ित कर देते हैं। जबकि उचित उपचार नियम, संयम के पालन एवं उचित आहार-विहार के फलस्वरूप अवश्य ही पूर्णरूपेण नष्ट हो जाता है ।
स्वप्नदोष के रोगी को “दिव्य प्रेरणा प्रकाश” पुस्तक को येक बार जरुर पढना चाहिये |
मुफ्त डाउनलोड करें :- DOWNLOAD
स्वप्नदोष को रोकने के उपाय (swapandosh rokne ke gharelu nuskhe)
1). पुंकेश्वर – धतूरे के फूल की जीरा (पुंकेश्वर) 12 ग्राम , बंगभस्म 3 ग्राम, खरल करके 10 पुड़िया (खुराक) बनाकर 1 मात्रा सायंकाल के समय खायें । यह योग स्वप्नदोष तथा शीघ्रपतन नाशक है ।
2). बड़ – बड़ का दूध 10 बूंद प्रात:काल बताशे में डालकर खाना स्वप्नदोष के लिए अमृत समान है । स्वप्नदोष नाशक अनुभूत योग है। ( और पढ़े – स्वप्नदोष रोकने के 17 अचूक घरेलू नुस्खे )
3). भोफली – भोफली बूटी 6 से 9 ग्राम तक जल में पीसकर खान्ड मिलाकर प्रात:काल पीना अत्यन्त लाभप्रद है।
6). इमली – इमली के बीजों को थोड़ा भूनकर (छिलका दूर करके) मैदा के समान चूर्ण बनाकर डेढ़ ग्राम की मात्रा में खान्ड मिलाकर गाय के दूध के साथ प्रात:- सायं खाना अतीव गुणकारी है ।
7). अश्वगंधा – शतावरी, अश्वगंधा, विधारा के बीज प्रत्येक सममात्रा में लेकर कूट पीसकर सभी के वजन बराबर खान्ड मिलाकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम जल या गोदुग्ध से सेवन करने से स्वप्नदोष एवं वीर्य प्रमेह नष्ट हो जाता है । वीर्य गाढ़ा हो जाता है एवं रोगी का कायाकल्प होकर वह मोटा-ताजा, हृष्ट पुष्ट हो जाता है। इसे टॉनिक के तौर पर स्वस्थ व्यक्ति भी प्रयोग कर सकता है। अत्यन्त ही शक्तिवर्धक योग है। ( और पढ़े – स्वप्नदोष के 11 घरेलू उपाय)
8). ईसबगोल – ईसबगोल का छिलका (भूसी) 20 ग्राम को 3 बार बड़ के दूध में गीला करके खुश्क करें तथा बड़ वृक्ष की कोपलें छाया में शुष्क की हुई 12 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी 12 ग्राम, बंग भस्म 6 माशा सभी का चूर्ण बनाकर बड़ वृक्ष के ताजा दूध में भली प्रकार खरल करके मटर के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । 2 से 4 गोली तक सुबह-शाम बकरी या गाय के दूध से सेवन करने से स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन दूर होता है ।
9). कपूर – सोते समय 4 ग्रेन (0.24 ग्राम) कपूर मिश्री मिलाकर फाँकने से कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष होना बन्द हो जाता है। ( और पढ़े – हस्तमैथुन से आई कमजोरी का इलाज )
10). मुलहठी – मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मधु में मिलाकर चाटने से स्वप्नदोष रोग नष्ट हो जाता है।
11). वट वृक्ष – सूर्योदय से पूर्व वट वृक्ष के पत्ते तोड़कर 1 बताशे में 10 बूंद दूध भरकर नित्य खाने से स्वप्नदोष एवं वीर्य का पतलापन मिटकर शुक्राणु बढ़ जाते हैं। ( और पढ़े – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )
12). आँवला – बनारसी आँवला (बढ़िया किस्म का मोटा वाला) का मुरब्बा 1 नग प्रतिदिन पानी से भली प्रकार धो चबाकर खाने से भयंकर से भयंकर स्वप्नदोष का रोग कुछ ही दिनों में नष्ट हो जाता है । आँवला अत्यन्त उत्तम रसायन है। जो वीर्य विकारों को दूर करने के अतिरिक्त हृदय, मस्तिष्क एवं नेत्र-विकारों को दूर कर शरीर में प्रतिरोधात्मक क्षमता विटामिन ‘सी’ प्रदान कर बढ़ाता है।
13). चिरौंजी – 6 ग्राम चिरौंजी को कूटकर आधा किलो गौदुग्ध में औटावें । जब दूध 25 ग्राम शेष रह जाए तब रोगी सोते समय पियें। इसके सेवन से 3 दिन में ही चमत्कारिक लाभ दृष्टिगोचर होगा।
14). हल्दी – आँवले का ताजा रस 20 ग्राम (अथवा 10 सूखे आंवले को 60 मि.ली. पानी में 12 घंटे तक भिगोकर छानकर निकाला हुआ 50 मि.ली.) तथा पिसी हुई हल्दी 1 ग्राम खाना नवयुवकों के स्वप्नदोष नाश हेतु सर्वोत्तम योग है।
15). शीतलचीनी – प्रतिदिन भोजन के 2 घंटे पश्चात् शीतलचीनी एवं मिश्री (दोनों समभाग) का चूर्ण 3 ग्राम फांककर ऊपर से एक गिलास पानी पीयें। तदुपरान्त जब भी पेशाब जायें तो एक गिलास पानी पी लें, इस प्रयोग से मसाने की गर्मी शान्त हो जाती है।
16). गोंद – चुनिया गोंद, छोटी इलायची के दाने, सालब मिश्री, सूत गिलोय और तबाशीर प्रत्येक 1-1 तोला लेकर सबको कूट पीसकर इसमें ढाई तोला शक्कर पीसकर मिला लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन 5 ग्राम गुनगुने दूध से खायें । स्वप्नदोष नाशक उत्तम औषधि है।
17). जामुन – जामुन का चूर्ण नित्य सुबह-शाम 4 ग्राम पानी से खाना स्वप्नदोष नाशक है।
18). गोखरू – आँवला 50 ग्राम, सत गिलोय, गोखरू, तबाशीर, छोटी इलायची के दाने प्रत्येक 10-10 ग्राम का बारीक चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें । यह 10 ग्राम चूर्ण 10 ग्राम मक्खन और 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने से स्वप्नदोष और शीघ्रपतन नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
19). पवित्र विचार – रात्रि में लघुशंका करके सोवें, विचारों को पवित्र रखें। कुसंगति, गन्दा साहित्य में गन्दे चलचित्रों, गन्दे (स्त्री व पुरुष) मित्रों से (दुष्चरित्रों) से दूर रहें, प्रत्येक लड़की व युवती आदि को मां-बहिन के समान दृष्टि से देखें तथा उनके पैरों की ओर मुख कर शुद्ध विचारों के साथ वार्ता करें । मन को काम-काज, अच्छे साहित्य के पठन-पाठन अथवा ईश्वर भजन में लगायें ।
स्वप्नदोष रोकने की आयुर्वेदिक दवा (swapandosh rokne ki dawa)
रसायन चूर्ण व आमला मिश्री चूर्ण के सेवन से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)