हस्तमैथुन से आई कमजोरी का इलाज | Hastmaithun se Aai Kamjori ka ilaj

Last Updated on September 16, 2023 by admin

हस्तमैथुन क्या है ? (What is Meant by Hastmaithun in Hindi)

यह कोई रोग न होकर एक गन्दी आदत होती है जो कि स्वास्थ्य व समाज के लिए अशोभनीय है । यहाँ यह भी पुरुष वर्ग ही नहीं, बल्कि स्त्रियाँ भी इस घृणित आदत से ग्रसित हो जाती हैं किन्तु उनकी इस आदत को ‘चपटी’ कहा जाता है । इस लत का शिकार होकर मनुष्य अपने वीर्य को हाथों, जाँघों या तकिये की रगड़ से निकाल लेता है जबकि स्त्रियाँ अपनी अंगुली, मोमबत्ती इत्यादि से अपना यह घृणित कार्य करती हैं ।

हस्तमैथुन के कारण (hastmaithun ke karan in Hindi)

  • इस रोग का कारण एकान्त में रहना,
  • बुरे-गन्दे विचार, अश्लील चित्र अथवा चलचित्र देखना,
  • कामी दुष्चरित्रा स्त्री-पुरुष से मेल,
  • कामवासना की अधिकता,
  • पेट में कीड़े होना,
  • मूत्राशय में पथरी होना,
  • सुपारी के मांस का लम्बा और संकीर्ण होना ,
  • सुपारी पर मैल जम जाना इत्यादि है ,

आइये जाने hastmaithun side effects in hindi

हस्तमैथुन के नुकसान (hastmaithun ke nuksan)

  1. इस घृणित आदत के फलस्वरूप स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह, शीघ्रपतन, नामर्दी, इन्द्री (लिंग) का छोटा, टेढ़ा-मेढ़ा और कमजोर हो जाना इत्यादि परिणाम झेलना पड़ता है।
  2. इस रोग से ग्रसित व्यक्ति हताश, साहसहीन, उदास, व्यवसाय से घृणा करने वाला, एकान्तप्रिय, चिड़चिड़ा, डरपोक होता है।
  3. उसकी आँखों के चारों ओर काले गड्ढे पड़ जाते हैं, कब्ज रहती है, हृदय अधिक धड़कता है, रक्ताल्पता, पाचन विकार, पुराना नजला, स्मरण शक्ति की कमी, स्नायु दुर्बलता इत्यादि रोग हो जाते हैं ।
  4. दिल, दिमाग, जिगर, फेफड़े, आँतें और मूत्राशय कमजोर हो जाता है।
  5. मूत्र करते समय गुदगुदी और जलन होती है ।
  6. रीढ़ की हड्डी पर चीटियाँ सी रेंगती हुई प्रतीत होती है।
  7. कमर में दर्द और हथेली-तलुवों में जलन होती है।
  8. रोगी को ठण्डा पसीना आता है।
  9. दृष्टि कमजोर हो जाती है ।
  10. चेहरा पीला और गाल पिचके हुए हो जाते हैं ।
  11. शिश्न में भी खराबी आ जाती है। उसकी जड़ कमजोर और पतली हो जाती है तथा वह ढीली-ढीली और असाधारण रूप से छोटी और किसी किसी की एक ओर का (अत्यधिक रूप से) टेडी हो जाती है
  12. शिश्न की शिरायें फूल जाती हैं और इसकी सम्वेदनात्मक संज्ञा अधिक बढ़ जाती है फलस्वरूप अन्त में रोगी नपुंसक हो जाता है।
  13. यदि इस रोग की उचित रोकथाम और उपयुक्त उपचार न किया गया तो रोगी भयानक रोगों से ग्रसित होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

( और पढ़े – हस्तमैथुन की बुरी आदत छुड़ाने के उपाय )

हस्तमैथुन से आई स्नायविक दुर्बलता (कमजोरी) का उपचार (hastmaithun se aayi kamjori ka ilaj)

1- प्याज को कूटकर आधा किलो रस निकालें और फिर किसी कलईदार बर्तन में डालकर 250 ग्राम मधु मिलाकर धीमी आग पर इतना पका डालें कि प्याज का समस्त रस जल जाये और मात्र मधु शेष रहे । तभी आग से उतारकर सफेद मूसली का चूर्ण 125 ग्राम मिलाकर घोटकर शीशी में सुरक्षित रखलें । इसे 6 से 12 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से नपुसकता, हस्तमैथुन से उत्पन्न लिंग एवं वीर्य विकार के लिए यह योग अमृततुल्य है । ( और पढ़े – वीर्य की कमी को दूर करेंगे यह 50 देसी नुस्खे )

2- सफेद संखिया 3 ग्राम, चांदी के वर्क 9 ग्राम दोनों को मिलाकर सुरमें की भाँति खरल करें। फिर इसमें 48 ग्राम खान्ड मिलाकर पुन: खरल करके सुरक्षित रखलें । यह चूर्ण 125 मि.ग्रा. की मात्रा में प्रात:काल नाश्ते के बाद मक्खन या मलाई में लपेटकर खाने से शारीरिक और स्नायविक दुर्बलता दूर होकर शिश्न की कमजोरी दूर हो जाती है । बलवान बनाने वाला अति उत्तम योग है।

3- बीजबन्द, सफेद मूसली, दक्षिणी शतावर, ढाक की गोंद, सेमल की गोंद, कौंच के बीज, ऊंगन के बीज, काली मूसली, गोंद नागौरी, समुद्रसोख, बालछड़, तालमखाना, गोखरू, मोचरस, अश्वगंधा, बहुफली, लसोड़ा सभी बराबर मात्रा में एकत्र करें । फिर समस्त औषधियों को अलग-अलग कूटपीस कर मिला लें और एक शीशी में सुरक्षित रखलें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करें। इसके सेवन से नामर्दी, नपुंसकता, मैथुनशक्ति का सर्वथा अभाव, बचपन की गल्तियों (हस्तमैथुन) से उत्पन्न विकार, मैथुन एवं वीर्यपात हो जाना, बुढ़ापे के विकार, प्रौढ़ावस्था की असमर्थता, कमजोरी, हीनता, कृषता आदि दूर हो जाती है । ( और पढ़े – वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय )

4- एक सेर घी, 500 ग्राम खोया, डेढ़ सेर गेहूँ का आटा, 200 ग्राम कीकर का गौद, 125 ग्राम सालब मिश्री, 125 ग्राम सफेद मूसली, 50 ग्राम किशमिश 50 ग्राम चिलगोंजा, 50 ग्राम पिस्ता ,केसर और कस्तूरी 2-2 ग्राम एवं चीनी डेढ़ सेर लें । पहले आटे को घी में भूनें फिर उसमें खोया मिलाकर चलायें । अन्त में सभी औषधियों का मिश्रण डालकर चलाये । सबसे अन्त में केसर और कस्तूरी एक प्याली में भली प्रकार घिसकर 50-50 ग्राम वजन के लड्डू तैयार कर सुरक्षित रखलें । ये 1-2 लड्डू आवश्यकतानुसार गरम दूध में मिश्री और मलाई मिलाकर रात को सोने से पूर्व सेवन करें। इसके सेवन से क्षीणता, कृषता, दुर्बलता, नामर्दी, नपुंसकता, वीर्य विकार, बार-बार मूत्र त्याग करना, कमर दर्द तथा शरीर-दर्द, हस्तमैथुन-जन्य समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।

5- सौंठ, सफेद सन्दल, आक की जड़, कंकोल, जायफल, लौंग, अकरकरा, अफीम, दारु, रूमीमस्तंगी, केसर-ये सभी औषधियाँ समान मात्रा में लेकर अलगअलग बारीक (सुरमें की भाँति) पीसें। अन्त में आपस में मिलाकर शहद की सहायता से चने के आकार की गोलियां बनाकर सुरक्षित रखलें । ये 1-2 गोली दूध के साथ सेवन करें। यह योग अत्यन्त ही स्तम्भक, शक्ति एवं वीर्यवर्धक है। इसके सेवन से शीघ्रपतन, प्रमेह, वीर्य प्रमेह, नामर्दी और हस्तमैथुनजन्य विकार नष्ट होकर अपूर्व बल प्राप्त हो जाता है । ( और पढ़े – धातु दुर्बलता दूर कर वीर्य बढ़ाने के 32 घरेलू उपाय )

6- गुंदना के बीज, कुचला चूर्ण तथा लौंग 5-5 ग्राम, जरजीर के बीज, चिलगोजा की गिरी, कड़वी कूट, शीतरज सभी 10-10 ग्राम । कलौंजी, गाजर के बीज, सुरंजान मीठी सभी 30-30 ग्राम लेकर सभी औषधियों को पृथक-पृथक कूट पीसकर आपस में मिलाकर अदरक के रस में 4-4 ग्राम की मात्रा की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखें । यह 1-2 गोली आवश्यकतानुसार पानी से प्रयोग करें ।
हस्तमैथुन के रोगी दूध में शहद मिलाकर गोली सेवन करें। कमजोर रोगी भी दूध से ही सेवन करें। इस औषधि के सेवन से स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, हस्तमैथुनजन्य विकार, मैथुनहीनता, कमजोरी, नामर्दी, नपुंसकता असमय वीर्यपात हो जाना आदि रोग अवश्य ही नष्ट हो जाते हैं ।

7- सफेद प्याज का रस 10 ग्राम, शहद 6 ग्राम, शुद्ध घी 2 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम चाटकर ऊपर से गाय का दूध पीने से हस्तक्रिया-जनित नपुंसकता नष्ट हो जाती है । ( और पढ़े – स्वप्नदोष रोकने के अचूक नुस्खे)

8- रात को सोते समय 3 ग्राम हींग को पानी में पीसकर 15-20 दिन तक लिंग पर लेप करने से तथा प्रात:काल गरम पानी से धो देने से हस्तमैथुन-जन्य लिंग के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। हानिरहित दवा है ।

9- माल कंगनी का तैल, लौंग का तैल 60-60 ग्राम, जमालगोटे का तैल 1 ग्राम सभी को 120 ग्राम तिल के तेल में डालकर हिलाकर सुरक्षित रखलें। 4-5 बूंद यह दवा इन्द्री के ऊपर नरमी से मलें (सुपारी तथा अन्डकोषों पर न लगने पाये) ऊपर से पान का पत्ता रखकर पट्टी लपेटकर धागे से बाँध दें । जब तक यह मालिश की दवा का प्रयोग करें तब तक लिंग को गरम पानी से धोने के पश्चात् ही स्नान करें । हस्तमैथुनजन्य एवं समस्त प्रकार के इन्द्री-दोष दूर करने हेतु अद्भुत प्रयोग है। ( और पढ़े – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )

10- जमाल गोटे का तैल असली 1 भाग, अजवायन का तैल 3 भाग को मिलाकर दस मिनट तक इन्द्री पर हल्के हाथों से रगड़कर मालिश करें । (जोर से मालिश कदापि न करें) अधिक लगाने से छाले पड़ सकते हैं, अत्यन्त तेज दवा है। इसके प्रयोग से हस्तमैथुन-जन्य लिंग के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।। मात्र 1-2 बूंदों की ही मालिश करें।

11- आम के कच्चे फल जो चने के बराबर हों, कच्चे गूलर जो सख्त और बहुत छोटे हों तथा बबूल की कच्ची फलियाँ, जिनमें बीज न पड़े हों का कपड़छन छानकर चूर्ण तैयार करके रखलें । इसे 3 ग्राम की मात्रा में 12 ग्राम मधु मिलाकर 3 सप्ताह तक निरन्तर प्रात:काल सेवन करने से हस्तमैथुनजन्य शीघ्रपतन नष्ट हो जाता है। ( और पढ़े – स्वप्नदोष से छुटकारा देंगे यह 11 आयुर्वेदिक नुस्खे)

हस्तमैथुन से आई कमजोरी की दवा : hastmaithun se aayi kamjori ki ayurvedic dawa

हस्तमैथुन से आई कमजोरी, हीनता, कृषता आदि दूर करने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |

  1. ब्रम्हरसायन (Brahma Rasayana)
  2. शुद्ध शिलाजीत कैप्सूल
  3. सुवर्ण वसंत मालती (Swarna Malti tablet)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न : FAQ (Frequently Asked Questions)

प्रश्न- आप हस्तमैथुन करना एक ग़लत और हानिकारक काम बताते हैं पर डॉक्टर और पश्चिमी यौन विज्ञान के विद्वान इसे स्वाभाविक और हानि रहित काम मानते हैं, ऐसा क्यों? यह विरोधाभास किसलिए?

उत्तर- यह विरोधाभास नहीं वास्तव में परस्पर विरुद्ध मान्यताएं हैं। इसका कारण है हमारे देश और पश्चिमी देशों के रहन सहन, विचार धारा और वातावरण में अन्तर होना, पर जब से हमारे देशवासी पश्चिम के रंग में रंगने लगे हैं तब से यह पारस्परिक विरोध खत्म होता जा रहा है क्योंकि इस विषय में, हमारे यहां के अनेक लोग भी, पश्चिमी ढंग से विचार करने लगे हैं।

प्रश्न- यदि आपकी यह मान्यता सही है कि हस्त मैथुन करना हानिकारक और अप्राकृतिक कार्य है तो कृपया इस पक्ष में उचित तर्क व युक्तियां दें।

उतर- सबसे पहला तर्क यानी दलील यह है कि यह काम वाहियात भी है और बेहदा भी जिसे कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति करना कदापि पसन्द नहीं करेगा। बुद्धिमान हर कार्य की उपयोगिता और उसके परिणाम पर ठीक से विचार करके, यदि उस काम को उपयोगी और हितकारी परिणाम वाला पाता है, तभी करता है अन्यथा व्यर्थ और अहितकारी हो तो नहीं करता। अगर करता है तो वह बुद्धिमान ही नहीं बल्कि मूर्ख है, ऐसा मूर्ख जो अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी पटकता है। बेकार और हानिकारक काम करना मूर्खता नहीं तो क्या बुद्धिमानी होगी ? हस्त मैथुन करना न तो उपयोगी काम है और न हितकारी ही बल्कि एक ग़लत और अप्राकृतिक काम है शरीर, स्वास्थ्य और दाम्पत्य जीवन के लिए बहुत हानिकारक काम है।

रही बात हानि होने की तो कई हानियां होती हैं। हस्त मैथुन करने वाले का स्वभाव कामुक होता जाता है और वह कामुक विचार-चिन्तन करने का आदी हो जाता है। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि उसका यौनांग व्यर्थ ही उत्तेजित होता रहता है, बिना काम के और बिना मतलब के उत्तेजित होता रहता है। यौनांग के उत्तेजित होते ही इसके शुक्राशय में स्राव होने लगता है और शुक्राशय भरने लगता है। शुक्राशय एक बार भर जाए तो खाली भी होता ही है, अनिवार्य रूप से होता है। अब या तो ऐसा व्यक्ति सम्भोग करके वीर्यपात करे तो खाली हो या फिर रात को सोते हए स्वप्नदोष हो तो यह खाली हो बाक़ी खाली होना अनिवार्य होता है।

जो व्यक्ति सम्भोग नहीं कर पाता वह हस्त मैथुन करके भरे हए शुक्राशय को खाली कर देता है और बहाना यह बनाता है कि तनाव को ढीला करना ज़रूरी है। इस तरह कामुकता के प्रभाव से वह बार-बार तनावग्रस्त होता रहता है और हस्तमैथुन कर तनाव और उत्तेजना को शान्त करता रहता है , लेकिन उसका ध्यान इस तथ्य पर नहीं जाता कि इसके परिणाम क्या होंगे। दो मिनिट के मज़े के लिए वह बड़े बड़े संकट झेलने की स्थिति बनाता जाता है और जब संकट में फंस जाता है तब उसकी आंखें खुलती हैं और तब वह पछताता है कि इस गन्दे और शर्मनाक शौक़ में फंस कर वह शरीर की इतनी मूल्यवान धातु को यूं ही नष्ट करता रहा जिसका आज यह परिणाम सामने आया है कि अच्छा खासा जवान पठ्ठा, उल्लू का पट्ठा बन कर रह गया, बांका जवां मर्द बनते बनते नामुराद नामर्द बन कर रह गया। कितनी बड़ी हानि है यह !

प्रश्न- पश्चिमी यौन-विशेषज्ञों और चिकित्सा शास्त्रियों का कहना है कि हस्तमैथन करना शरीर और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता सिर्फ इसका जो अपराध-बोध (Guilty conscious) होता है, वह हानिकारक होता है।

उत्तर- अपराध-बोध तो होगा ही। अपराधबोध होना ही तो यह संकेत है कि यह काम ग़लत है वरना अपराध बोध क्यों कर होता ? अन्तरात्मा धिक्कारती ही क्यों ? कोई ग़लत काम जब पहली बार किया जाता है तो उसे भूल माना जा सकता है पर दूसरी बार किया जाए तो भूल नहीं, अपराध माना जाता है। अपराध कहते हैं निषिद्ध यानी वर्जित काम करने को। निषिद्ध और वर्जित वे ही काम माने जाते हैं जो क़ानून, नैतिकता या सामाजिक नियमों के विरुद्ध होते हैं और किसी न किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होते हैं। अब जो भी हस्तमैथुन करना ग़लत मानते हुए यह काम करेगा, वह अपराध-बोध का अनुभव करेगा ही, इसमें ग़लत क्या है, अस्वाभाविक क्या है? इतना ही क्यों, जो तथाकथित आधुनिकता वादी, प्रगतिशील और उन्मुक्त यौन (Free Sex) का समर्थक हो कर हस्तमैथुन करेगा वह भी अपराध बोध का अनुभव करेगा। अपराध का बोध होना ही तो अन्तरात्मा की चेतावनी होती है कि सावधान! यह काम ग़लत है, अपराध है। अब कोई अन्तरात्मा की आवाज़ को दबाता रहे, कुचलता रहे और मनमानी करता रहे तो उसे कौन रोक सकता है? और कोई रोक भी कैसे सकता है? कहावत है कि जाता और मरता किसी से रुकता नहीं, रोका जा नहीं सकता।

प्रश्न- हस्त मैथुन करने से बचने के उपाय बताएं ?

उत्तर- एक ही उपाय काफ़ी है कि मन पर नियन्त्रण रखें और विवेक से काम ले कर ऐसा कोई काम न करें जो आज नहीं तो कल, हानिकारक सिद्ध हो । अच्छा स्वास्थ्य-साहित्य पढ़ कर, सज्जनों और विद्वानों का सत्संग करके, शरीर शास्त्रियों तथा व्यायामाचार्यों से परामर्श करके यह रहस्य समझ लें कि हस्त मैथुन करके जो वीर्य व्यर्थ में नष्ट किया जाता है उसका महत्व क्या है, मूल्य क्या है, उपयोग क्या है और इस तरह का अत्याचार (यानी अति + आचार) करते हए जब जी में आये तब वीर्य पात करते रहने का परिणाम क्या होता है, क्या हो सकता है ? हमारा पिछला 20 वर्षीय अनुभव डंके की चोट के साथ कहता है कि हस्त मैथुन करना प्राकृतिक नहीं, अप्राकृतिक काम है क्योंकि प्रकृति ने वीर्य को इस तरह से प्रयोग करने के लिए बनाया ही नहीं है; इसका यह उपयोग ही नहीं है। जैसे बीज को उपजाऊ भूमि (खेत) में ही बोना चाहिए ताकि उपज हो सके, सृजन हो सके, विकास और वृद्धि हो सके। बंजर भूमि में बीज डालना, बीज का नाश करना है, बीज का दुरुपयोग करना है
और भयंकर भूल करना है और शायद आपको यह पता हो कि बीज शब्द वीर्य का ही अपभ्रंश है।

अगर आप विवेकपूर्वक निर्णय ले सकते हैं और सही निर्णय पर अमल करने का मनोबल रखते हैं यानी आप मन पर विवेकपूर्ण नियन्त्रण रख सकते हैं तो आप पहले यह तय कर लें कि हस्तमैथुन करना वास्तव में अप्राकृतिक और स्वास्थ्य के लिए हानिकर है या नहीं। यदि आपका निर्णय यह हो कि हां, यह अप्राकृतिक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो फिर धैर्य और साहस से काम लें और इसी वक्त संकल्प करें कि इस घृणित, गन्दे, बेहदे, फूहड़ और हानिकारकं घटिया काम को अब कदापि नहीं करेंगे। इस संकल्प के पालन में बाधा न पड़े इसके लिए आप सबसे पहला कामुक वातावरण, बातचीत और विचार चिन्तन को छोड़ने का प्रयत्न करें ताकि कामोत्तेजना से बचे रह सकें।

न कामोत्तेजना होगी और न इन्द्रिय में उत्थान होगा और इतना तो कोई भी युवा समझता है कि लिंग में उत्थान न हो तो सिर्फ़ मूत्र विसर्जन यानी पेशाब करने का काम ही किया जा सकता है, हस्त मैथुन नहीं किया जा सकता। हस्त मैथुन से बचने का सर्व श्रेष्ठ उपाय यही है कि किसी भी कारण से लिंग में उत्थान न आने दिया जाए। इसके लिए कामुकता से बचना होगा, बच कर रहना होगा और यह तभी हो सकता है जब मन पर विवेकपूर्वक नियन्त्रण रखा जाए अन्यथा नहीं हो सकता क्योंकि मन को नियन्त्रण में न रखने से यह चंचल मन- ‘मन हरामी तां हुज्जतां ढेर’ के अनुसार कई बहाने बना लेता है और किसी न किसी बहाने से मनमानी हरकत कर ही लेता है। हमने शुरू में इसीलिए तो सौ बात की एक बात कह दी कि हस्त मैथुन से बचने का एक ही उपाय काफ़ी है कि मन पर नियन्त्रण रखा जाए। यदि मन पर नियन्त्रण रहे तो बाक़ी किसी उपाय के प्रयोग की ज़रूरत ही न पड़े और मन पर नियन्त्रण न रहे तो कोई भी उपाय काम न आ सकेगा।

यदि आप यह निर्णय करते हैं कि हस्तमैथुन करने से कोई हानि नहीं होती तो फिर कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं। आप अपने निर्णय पर अमल करें। आप स्वतन्त्र राष्ट्र के स्वतन्त्र नागरिक हैं और मनमानी करना आपका बुनियादी अधिकार है।

प्रश्न- यदि यह मान लिया जाए कि हस्तमैथुन हानिकारक है तो इससे क्या-क्या हानियां होती हैं?

उत्तर- हमारे मानने न मानने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि जो है सो है। आग हाथ जला देती है इसे हम माने या न माने फिर भी अगर आग को हाथ लगाएंगे तो हाथ जलेगा ही। इसी तरह हस्त मैथुन करने से जो हानियां होनी हैं वे तो होंगी ही। हम पिछले कई वर्षों से चिकित्सा और औषधि व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और पिछले 20 वर्षों से रोगियों के सम्पर्क में बने हुए हैं और अब तक हस्त मैथुन करने वाले अनेक अनगिनत युवकों ने हमसे सम्पर्क किया है और शत प्रतिशत युवकों का अनुभव और दुःख यही था, आज भी यही है कि हस्त मैथुन करने की लत ने उनकी दुर्दशा कर दी है। अब ऐसा अनुभव होने के बाद कोई कहे कि हस्त मैथुन करने से कोई हानि नहीं होती तो फिर उनसे यह पूछने की इच्छा होती है कि क्या यह बात आप अपने निजी अनुभव के आधार पर फ़रमा रहे हैं ?

जहां तक हस्त मैथुन से होने वाली हानियों के बारे में हमारी राय का सवाल है तो हम कई बार अपनी अनुभव सिद्ध राय व्यक्त कर चुके हैं, ऊपर भी दूसरे प्रश्न का उत्तर देते हुए संक्षेप में बता चुके हैं कि अच्छे खासे मर्द बच्चे को, नपुंसकता और यौन दौर्बल्य के जाल में जकड़ कर, उसे बेबस और बेकार कर देना, हस्त मैथुन करने का ही परिणाम होता है। अब हम देश के सुप्रसिद्ध विद्वान, कुशल वैद्य, साहित्यकार और कई ग्रन्थों के लेखक, दो महानुभावों की राय प्रस्तुत कर रहे हैं।

प्रसिद्ध साहित्यकार और कुशल चिकित्सक आचार्य स्व. चतुरसेनजी शास्त्री अपनी एक पुस्तक ‘सम्भोग शास्त्र’ के पृष्ठ 204 पर लिखते हैं ‘हस्त मैथुन से इतने रोग पैदा होते हैं – मानसिक तनाव, कनपटी का मांस सूख कर हड्डी उभर आना, लिंग का छोटा, टेढ़ा, पतला, शिथिल, घर्षणानुभूति से हीन होना, स्तम्भन क्षय, उदर विकारों का आरम्भ, दिमाग़ और नेत्रों की शक्ति का ह्वास, मतिभ्रम, स्मरण शक्ति का ह्वास, नपुंसकता, स्वप्नदोष, प्रमेह और मधुमेह आदि आदि।

श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन के संस्थापक, आयुर्वेद के प्रकाण्ड विद्वान, कई ग्रन्थों के लेखक तथा सुप्रसिद्ध चिकित्सक पं. रामनारायण शर्मा अपनी एक पुस्तक ‘आरोग्य शास्त्र’ के पृष्ठ 96 पर हस्त मैथुन के विषय में लिखते हैं।

‘गन्दे साहित्य के पढ़ने से मन में गन्दापन अवश्य आता है। कोई प्रच्छन्न (छिपा कर) पाप करने की प्रवृत्ति पैदा होती है जिससे विद्यार्थी ‘हस्त मैथुन’ जैसी बुरी आदत का शिकार बन जाते हैं। उससे स्नायु-जाल ढीला हो जाता है। धातु स्राव, स्वप्नदोष, इन्द्रिय दौर्बल्य, सिर में चक्कर, कमर दर्द, भूख की कमी, पेचिश, संग्रहणी तथा वीर्य विकार से पैदा होने वाली व्याधियों के सिलसिले बन जाते हैं। इन बुरे परिणामों की जड़ है मन में बुरे भावों की उत्पत्ति होना । इससे बचने के लिए अश्लील साहित्य और गन्दे चित्रों से परहेज़ करना हमारा प्रधान कर्तव्य है।’

ऐसे ही और भी कुछ चिकित्सक एवं शरीरशास्त्री विद्वानों के विचार प्रस्तुत कर सिद्ध किया जा सकता है कि हस्त मैथुन के विषय में आम धारणा यही है कि यह कार्य शरीर और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हां, यह बात ज़रूर है कि किसी को हानि कम होती है किसी को ज्यादा, किसी को देर से हानि होती है तो किसी को जल्दी, किसी को एक दो शिकायतें होती हैं तो किसी को ज्यादा- यह जो कम या ज्यादा असर होता है यह व्यक्ति की शारीरिक रचना, आहार द्रव्यों के पौष्टिक होने न होने और मानसिक स्थिति पर ज्यादा निर्भर करता है। अलगअलग लोगों की रोगप्रतिरोधक शक्ति और शारीरिक व मानसिक ऊर्जा एक जैसी नहीं होती अतः ऐसा फ़र्क तो होना ही है।

एक बात और भी उल्लेखनीय है कि हस्त मैथुन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वे सभी व्याधियां होती ही हैं जिनके नाम ऊपर दो विद्वानों की राय में बताये गये हैं ऐसा बिल्कुल नहीं है पर यह बात निश्चित है कि हस्त मैथुन करने वाले को इनमें से कोई भी व्याधि होती ज़रूर है।
जो अभी तक हस्त मैथुन करते आ रहे हों उन्हें इस विवरण को पढ़ कर दुःख और चिन्ता नहीं करना चाहिए बल्कि आज से ही इस जघन्य काम को बन्द कर देना चाहिए और पूरी इच्छा शक्ति लगा कर 1-2 माह तक मन पर नियन्त्रण रख कर, हस्त मैथुन करने से बचे रहें। ‘देर आयद दुरुस्त आयद’ के अनुसार जब भी नींद खुले तब ही सवेरा मान कर तत्काल उठ जाना चाहिए।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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