Last Updated on December 12, 2019 by admin
कान का मैल :
हमारे शरीर के अन्दर की गंदगी को बाहर निकालने के लिये हमारे शरीर के हर हिस्से में एक जगह होती है। ऐसे ही हमारे कानों में भी मैल जमा हो जाता है जिसे साफ करना बहुत जरूरी होता है। अगर इस मैल को साफ नहीं किया जाये तो यह कान में बहुत बुरी तरह से जम जाती है जिसकी वजह से कानों से सुनाई देना भी कम हो जाता है तथा कानों में दर्द भी होता है।
कान का मैल निकालने के उपाय : Kaan ka Mail Saaf Karne ke Gharelu Upay
नारियल तेल का इस्तेमाल कान का मैल “ईयरवैक्स” निकालने में लाभदायक
बादाम, नारियल या सरसों के असली तेल की थोड़ी सी बूंदों को रात में सोते समय कान में डाल लें। सुबह उठने पर किसी रूई से कान को साफ कर लें। इन तेलों में से किसी भी एक तेल को अगर रोजाना कान में डालें तो कान में मैल नहीं जमता और कान बिल्कुल साफ रहते हैं।
रीठा से कान का मैल निकालने का आसान तरीका
रीठे के पानी को किसी छोटी सी पिचकारी या सिरिंज (वह चीज जिससे कि कान के पास ले जाकर दवाई को सुरक्षित रूप से छोड़ा जा सके) में भरकर कान में डाल दें। इससे कान के अन्दर मैल या और कुछ होगा वह मुलायम हो जायेगा फिर किसी रूई की मदद से इसे निकाल लें।
कान साफ करने के लिए सांभर नमक का प्रयोग
पिसे हुए सांभर नमक को थोड़े से पानी में मिलाकर इसकी थोड़ी सी बूंदें कान में डाल लें। 15 मिनट के बाद गुनगुने पानी में आधा ग्राम मीठा सोड़ा मिलाकर कान में पिचकारी से डालें। इससे मैल साफ हो जायेगा और फिर कान को रूई के फाये से साफ कर लें।
गिलोय से कान का मैल निकालने की विधि
गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके कान में 2-2 बूंदें दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है और कान साफ हो जाता है।
नीम के उपाय से कान की सफाई
नीम के पत्तों की भाप कान में लेने से कान का मैल बाहर निकल जाता है और कान बिल्कुल साफ हो जाता है।
कान की सफाई के लिए उपयोगी भांगरा :
भांगरा और समुद्रफल को खाने से कान बिल्कुल साफ हो जाता है।
गिलोती करे कान में जमी मैल को साफ
गिलोती को पानी के साथ पीसकर हल्का-सा गर्म करके कान में डालने से कान का मैल और कान में अगर कुछ और चीज है तो वह बाहर निकल जाती है।
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सावधानी : कान की सफाई का ध्यान शुरू से ही देना जरूरी है अगर ऐसा नहीं होगा तो कान में मैल बुरी तरह जम जाएगी। कान में मैल की एक गांठ सी बन जाती है। इसमें तेल या कुछ और चीज डालते हैं तो इस गांठ के कारण वह अन्दर जाती ही नहीं है। इसलिये शुरूआत से ही कान की सफाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। छोटे बच्चे अपने कान खुद तो साफ कर नहीं सकते इसलिए उनकी मां को ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे के कान साफ रखें और समय-समय पर उनके कानों में तेल डालते रहें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न : FAQ (Frequently Asked Questions)
प्रश्न – कान में मैल जमा होता रहता है जिससे कभी कभी कुछ तकलीफें पैदा हो जाती हैं। कृपया पहले मैल के ही विषय में बताएं कि यह क्या होता है, क्यों होता है और क्या करता है ?
डॉ. विजय चौरडिया – कान की नली के बाहरी भाग में सेबेशस (Sabaceous) और सेरूमिनस (Ceruminous) नामक दो ग्रन्थियां (Glands) होती हैं। उनसे निकलने वाला स्राव ही यह मैल होता है। यह शीघ्र सूख जाता है इसलिए कान के अन्दर जम जाता है, बह कर बाहर नहीं निकलता। सूख कर यह टुकड़ों (Flakes) का रूप ले लेता है। कुछ खाने या चबाने से जबड़े में जो गति होती है उस गति की सहायता से सामान्यतः मैल के टुकड़े खुद ब खुद कान से बाहर आ जाते हैं। कान के पर्दे और कान की नली की त्वचा की मृत-कोशिकाएं भी मैल में मिल जाती हैं। बाहर की धूल और धुएं की मात्रा भी इसमें शामिल होती रहती है, जमती रहती है। अलग-अलग लोगों में मैल इकट्ठा होने की मात्रा और गति अलग-अलग होती है। मैल में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं जो कुछ अंश तक जीवाणुओं से कान की रक्षा करते हैं। मैल दो प्रकार का होता है- सूखा और गीला।
प्रश्न- क्या मैल को साफ़ करते रहना चाहिए ? यदि हां, तो मैल साफ़ करने का सही तरीका क्या है ?
डॉ. विजय चौरडिया – यूं तो ज्यादातर मैल साफ़ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती फिर भी स्नान करते समय, कान में अंगुली डाल कर 5-10 बार हिला कर तौलिये से पोंछ लेना काफ़ी होता है। आवश्यक लगे तो मैल निकालने की सलाई से बड़ी सावधानी के साथ, इस ढंग से मैल निकालना चाहिए कि कर्णनलिका यानी कान की नली की कोमल त्वचा में खरोंच न लगे और न कान के पर्दे को चोट लगे। ज़रा सी भूल चूक से कान के परदे को चोट लग सकती है जो खतरनाक होती है।
जिनके कानों में मैल ज्यादा और जल्दी जमा होता है उसका एक कारण तो ज्यादा मैल बनना भी होता है या फिर किसी विकृति के कारण मैल बाहर नहीं निकल पाता इसलिए जमा होता रहता है। मैल जमा होने देने में यूस्टेशियन नली (Eustachian tube) का ठीक से काम न करना भी एक कारण होता है। मध्य-कान में हवा के दबाव से परिवर्तन होता है, कान का परदा अन्दर धंस जाने (Retraction) से या मध्य कान में पानी पहुंच जाने से प्रायः मैल होना ज्यादा पाया जाता है।
केराटोसिस आबचूरेन्स (Keratosis Obturans) नामक बीमारी में भी मैल जमना पाया जाता है। मैल सूख कर प्लग (Plug) की शक्ल में हो जाता है। इस हालत में मैल खुद न निकाल कर किसी कर्ण-विशेषज्ञ चिकित्सक से ही निकलवाना चाहिए। बड (कान के मैल को निकालने की काढ़ी) से नहीं निकालना चाहिए क्योंकि बड के धक्के से मैल का प्लग अन्दर की तरफ़ चला जाता है। चलते फिरते कान का मैल निकालने वालों से भी मैल नहीं निकलवाना चाहिए। मैल बहुत सूख गया हो तो कोई भी शुद्ध तैल गर्म करके ठण्डा करके 2-4 बूंद कान में डाल सकते हैं पर बिना गर्म किया हुआ तैल, हायड्रोजन पेराक्साइड या अन्य कोई द्रव्य न डालें। सबसे अच्छा तो यही होगा कि मैल निकालने का काम विशेषज्ञ चिकित्सक से कराएं।
प्रश्न- मैल जमा होने पर क्या क्या तकलीफें होती हैं?
डॉ. विजय चौरडिया – मैल जमा होने पर कम सुनाई देना, बहरापन, कान में भारीपन या चटक के साथ दर्द होना, कान में आवाज़ आना, चक्कर आना या किसी किसी को खांसी चलना आदि तकलीफें होती हैं। मैल का बड़ा प्लग (Plug) बन जाता है तब दर्द होता है यदि मैल के साथ फफूंद या अन्य कोई संक्रमण (Infection) हो तो भी दर्द होता है। मैल प्रायः कान की नली के बाहरी भाग में रहता है पर काढ़ी (बड) से मैल निकालने की कोशिश में भीतर की तरफ़ चला जाता है तब भी दर्द होता है।
प्रश्न- क्या ऐसी दवा भी होती है जिसे कान में डालने से मैल खुद ब खुद बाहर आ जाए ?
डॉ. विजय चौरडिया- यह धारणा बिल्कुल ग़लत है। हां, यदि मैल सूख कर प्लग बन गया हो और दर्द हो रहा हो तो मैल को मुलायम करने वाली दवा या तैल गर्म करके ठण्डा करके डाल सकते हैं। पहले तो कोशिश यह की जाए कि मैल निकालने वाले उपकरण से मैल निकालें, यदि न निकल सके तो ही बूंद वाली दवा (Ear Drops) डालना चाहिए। अनावश्यक रूप से दवा न डालें।
प्रश्न- क्या कान धुलवाने से मैल निकल आता है?
डॉ. विजय चौरडिया- हर किसी से कान धुलवाना ठीक नहीं। कान के विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। वह जो उचित समझेगा सो उपाय करेगा। इससे किसी भी प्रकार की हानि होने की सम्भावना नहीं रहेगी।
प्रश्न- बाज़ार में केमिस्ट की दूकान पर बनी बनाई बड (काढ़ी) का पेकिट मिलता है। क्या मैल निकालने के लिए इस बड का उपयोग कर सकते हैं ?
डॉ. विजय चौरडिया- हां, कान का मैल निकालने के लिए बड का प्रयोग कर सकते हैं पर माचिस की तीली (काढ़ी) पर रूई लगाकर बनाई हुई बड का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नियमित रूप से बड का प्रयोग करने की आदत डालना भी अच्छा नहीं। बच्चों के कान की नली संकरी होती है अतः बड से बच्चों के कान का मैल निकालना उचित नहीं।
प्रश्न- कान में दर्द होने के और क्या-क्या कारण हो सकते हैं ?
डॉ. विजय चौरडिया- मैल जमने के अलावा दर्द होने के अन्य कारण कान में फुंसी होना, कान के मध्य में तेज़ संक्रमण (Infection) होना, वायुयान से यात्रा का असर होना, यूस्टेशियन नली का सिकुड़ जाना या बन्द हो जाना, कान का लम्बे समय तक बहना या अन्दर कोई मस्सा हो जाना, कान के परदे का चिपक जाना, टांसिल्स के पीछे की हड्डी बढ़ जाना, टांसिल्स में शोथ और दाह होना, दांत दाढ़ में तेज़ दर्द होना, टिम्पनोस्क्लेरोसिस (Tympanosclerosis) नामक व्याधि होना जिसमें मध्य कान में कठोर गांठ बन जाती हैं, जबड़ों के जोड़ की बीमारी होना, मुंह या जीभ या स्वर नलिका या ग्रसनलिका में छाले या कैंसर आदि होना हो सकते हैं।
नोट – ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।