Last Updated on July 22, 2019 by admin
★ हमारी दिनचर्या का प्रारम्भ प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में जागरण से होता है। शात्रों की आज्ञा हैः
ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्यते। ‘प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्त में उठना चाहिए।’
★ ब्राह्ममुहूर्त में उठने की महिमा बताते हुए पूज्य बापू जी(Pujya Sant Shri Asaram Bapu Ji) कहते हैं- “जो सूर्योदय से पहले (ब्राह्ममुहूर्त में) शय्या त्याग देता है, उसके अंतःकरण में सत्त्व गुण पुष्ट होता है। वह बड़ा तेजस्वी होता है, उसके ओज-वीर्य की रक्षा होती है और बुद्धिशक्ति बढ़ती है।
★ आध्यात्मिक साधना में आगे बढ़ना है तो सूर्योदय से सवा दो घंटे पहले जब ब्राह्ममुहूर्त शुरु होता है, तब उठो या फिर चाहे एक घंटा पहले उठो।
सुधा सरस वायु बहे, कलरव करत विहंग।
अजब अनोखा जगत में, प्रातः काल का रंग।।
★ जब चन्द्रमा की किरणें शांत हो गयी हों और सूर्य की किरणें अभी धरती पर नहीं पड़ी हों, ऐसी संध्या की वेला में सभी मंत्र जाग्रत अवस्था में रहते हैं। उस समय किया हुआ जप-प्राणायाम अमिट फल देता है। दृढ़ इच्छाशक्ति, रोग मिटाने तथा परमात्माप्राप्ति के लिए 40 दिन का प्रयोग करके देखो।
★ यह अमृतवेला है। जिसे वैज्ञानिक सूर्योदय के पहले के हवामान में ओजोन और ऋण आयनों की विशेष उपस्थिति कहते हैं, इसी को शास्त्रकारों ने सात्त्विक, सामर्थ्यदाता वातावरण कहा है। अतः अमृतवेला का लाभ अवश्य लें। प्रातः 3 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करने से बहुत लाभ होते हैं। अनुक्रमणिका
ब्राह्ममुहूर्त में सोये पड़े रहने के दुष्परिणाम :
★ जो सूर्योदय से पूर्व नहीं उठता, उसके स्वभाव में तमस छा जाता है। जीवन की शक्तियाँ ह्रास होने का और स्वप्नदोष व पानी पड़ने की तकलीफ होने का समय प्रायः रात्रि के अंतिम प्रहर में होता है। अतः प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए, जिससे शरीर में रज-वीर्य का ऊर्ध्वगमन हो, बुद्धि प्रखर हो तथा रोगप्रतिकारक शक्ति सुरक्षित रहे।”
ब्राह्ममुहूर्त में उठने का सरल उपाय :
★ बिना किसी की सहायता के प्रति दिन ब्राह्ममुहूर्त में उठ जाने के लिए एक छोटी सी युक्ति पूज्य बापू जी बताते हैं- “अलार्म घंटी बजा सकता है, पत्नी कम्बल हटा सकती है लेकिन नींद से तुम्हें जगाने का काम तो तुम्हारे सच्चिदानंद परमात्मा ही करते हैं। अतः तुम रात्रि में सोते समय उन्हीं की स्मृति में जाओ। उनमें प्रेमभाव करते होना चाहिए। उन्हीं से प्रार्थना करो, दृढ़ संकल्प करो।
★ यदि सुबह आपकी नींद नहीं खुलती है अथवा अपने आप नहीं उठ सकते हैं तो रात को सोते समय अपनी परछाई को 3 बार बोल दो कि ‘मुझे 3 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करने हैं, तुम मुझे 4-4.30 बजे जगा देना।’ है तो तुम्हारी छाया लेकिन ऐसा कहोगे तो नींद खुल जायेगी। फिर उस समय आलस्य नहीं करना। अपने कहे अनुसार संकल्प फल गया तो उसका फायदा उठाओ।
★ यदि आपने इस युक्ति का आश्रय लिया और आलस्य का त्याग किया तो फिर कुछ दिनों में आप बिना किसी की सहायता के स्वयं उठने लगोगे।”
बच्चे-बच्चियों को नींद से उठाने की मधुमय युक्ति :
★ पूज्य बापू जी बच्चों को सुबह नींद से उठाने की सुंदर युक्ति बताते हैं- “बच्चों को यंत्र के बल से मत जगाओ। अलार्म की ध्वनि ‘ऐ उठो, उठो, 6 बज गये, 5 बज गये, 7 बज गये…..’ खटखट करके उठाने से ये बच्चे आपके लिए खटपटिये हो जायेंगे, दुःखदायी हो जायेंगे।
★ सुबह बच्चों को उठाओ तो कैसे उठाओ ? पहले आप शांत हो जाओ, आप प्रकाश में जाओ, अमृतमय ईश्वर में आ जाओ। बच्चों की गहराई में जो परमेश्वर है, वह मोहन है, गोविंद है, गोपाल है, राधारमण है। ‘राधा’, उलटा दो तो ‘धारा’, वृत्ति की धारा उलटा दो। धारा के द्वारा वह चैतन्य ही तो उल्लसित हो रहा है। बच्चों में भी गहराई में परमात्मा की भावना करो, फिर बोलो-
जागो मोहन प्यारे, जागो नंददुलारे।
जागो गोविंद प्यारे, जागो हरि के दुलारे।।
जागो लाला प्यारे, लाली दुलारी…..
राम-रमैया जागो, गोविंद गोपी जागो।
बच्चे बच्चियाँ उस परमात्मा की स्मृति से मधुमय हो जायेंगे तो तुम्हारे लिए भी सुखद होंगे और समाज के लिए भी।
★ सामूहिक रूप से लोगों को जगाना हो तो कहें-
जागो लोगो ! मत सुओ, न करो नींद से प्यार।
जैसा सपना रैन का, वैसा ये संसार।।
श्रीराम जय राम जय जय राम।
गोविंद हरे गोपाल हरे, जय जय प्रभु दीनदयाल हरे।
सुखधाम हरे आत्माराम हरे, जय जय प्रभु दीनदयाल हरे।।
हरि ॐ, प्रभु ॐ, प्यारे ॐ, शांति ॐ, आनंद ॐ…. मंगल प्रभात, शुभ प्रभात….
प्रेरणादायी प्रभु की सुखदायी सुबह आयी, जागो भाई ! प्यारे-प्यारे भाई !”
नींद खुलते ही तुरंत मत उठो :
★ प्रातः जागरण जैसा होता है, वैसा पूरा दिन गुजरता है। जागरण के समय को भगवन्मय बना लिया तो पूरा दिन आनंदमय बन जायेगा। शरीर को स्वस्थ, मन को प्रसन्न तथा जीवन को रसमय, आनंदमय बनाकर परमात्मप्राप्ति की सुंदर युक्ति पूज्य बापू जी ने बतायी है-
★ “नींद पूरी होती है, उस समय विश्रांति में होते हैं। स्फुरण नहीं होता। फिर धीरे से रसमय स्फुरण होता है, प्रगाढ़ स्फुरण होता है, फिर संकल्प होता है और संसार की दौड़-धूप में हम लगते हैं। अतः सुबह नींद में से चटाक् से मत उठो, पटाक् से घड़ी मत देखो। नींद खुल गयी, आँख न खुले, आँख खुल जाये तो तुरंत बंद कर दो, थोड़ी देर पड़े रहो। फिर जहाँ से हमारी मनः वृत्ति स्फुरित होती है, उस चैतन्यस्वरूप परमात्मा में, उस निःसंकल्प स्थिति में शांत हो जाओ। एक से दो मिनट कोई संकल्प नहीं। फिर जैसे बच्चा माँ की गोद में से उठता है, कैसा शांत ! ऐसे हम परमात्मा की गोद से बाहर आयें- ‘ॐ शांति…. प्रभु की गोद में से मैं बाहर आ रहा हूँ। मेरा मन बाहर आये उससे पहले मैं फिर से मन सहित प्रभु के शांतस्वरूप, आनंदस्वरूप में जा रहा हूँ, ॐ शांति, ॐ आनंद…..’ ऐसा मन से दोहराओ। आपका हृदय बहुत पवित्र होगा।
आत्मशक्ति से शरीर, मन, बुद्धि को पुष्ट करो :
★ फिर लेटे-लेटे शरीर को खींचो। 2 मिनट खूब खींच-खींच के 2 मिनट ढीला छोड़ो ताकि आत्मा की शक्ति तुम्हारे शरीर, मन और बुद्धि में ज्यादा से ज्यादा आये। बूढ़े शरीर खींचेंगे तो बुढ़ापे की कमजोरी ज्यादा नहीं रहेगी और बच्चे खींचेंगे तो जीवन उत्साह एवं स्फूर्ति से भर जायेगा।
★ तत्पश्चात बिस्तर में शांत बैठकर आत्मचिंतन करो- “मैं पाँच भूतों से बना हुआ शरीर नहीं हूँ। जो सत् है, चित् है, आनंदस्वरूप है और मेरे हृदय में स्फुरित हो रहा है, जो सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार का कारण है और मेरे शरीर की उत्पत्ति, स्थिति और लय का कारण है, उस सच्चिदानंद का मैं हूँ और वे मेरे हैं। ॐ शांति, ॐ आनंद…..’ 2-5 मिनट इस प्रकार तुम नींद में से उठ के शांत रहोगे तो मैं कहूँगा कि 2 दिन की तपस्या से वे 2 मिनट ज्यादा फायदा करेंगे, पक्की बात है !
★ अथवा आप यदि अपने जीवन में उन्नति चाहते हो तो सुबह नींद से उठकर शांत हो के बैठ जाओ। ‘भगवान मैं तुम्हारा हूँ, तुम मेरे हो’ ऐसा करके 5-7 मिनट बिस्तर पर ही बैठो। कुछ नहीं करना, सिर्फ इस बात को पकड़ के बैठ जाओ कि मैं भगवान का हूँ और भगवान मेरे हैं। ? शांति, ॐ आनंद…..”
महान बनने की मधुमय युक्ति :
★ महान बनने की मधुमय युक्ति बताते हुए पूज्य बापू जी कहते हैं- “सुबह जब नींद खुले तो संकल्प करें कि ‘आज का दिन तो आनंद में जायेगा। मुझे आत्मविद्या पानी है, योगविद्या सीखनी है।’ खुद का नाम लेना। समझ लो मेरा नाम मोहन है। सवेरे उठकर खुद को कहनाः ‘मोहन !’
बोलेः “हाँ बापू जी !’ मान लो बापू जी अपने साथ बात कर रहे हैं।
‘तुझे क्या चाहिए ?’
‘मुझे तो आत्मविद्या, योगविद्या और लौकिक विद्या – तीनों को पाना है।’ शांति, आनंद…. कुछ न करें। फिर संकल्प करें- ‘ॐ …. हरि ॐॐॐ….. हरि ॐ…. शक्ति, भक्ति, योग्यता…. हरि ॐ…. हरि ॐ…. हरि ॐ….’ फिर थोड़ा ध्यान करके हथेलियों को देखकर बिस्तर छोड़ें। इससे तीनों विद्याओं में प्रगति होगी।
श्रोत – जीवन जीने की कला (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
मुफ्त हिंदी PDF डाउनलोड करें – Free Hindi PDF Download