Last Updated on July 22, 2019 by admin
पूजा में दीपक क्यों जलाया जाता है ?
1) भारतीय संस्कृति में हर धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में दीपक जलाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि अग्नि देव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में किए काम जरूर सफल होते हैं। हमारे शरीर की रचना में सहायक पांच तत्वों में से अग्नि भी एक है। दूसरा अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है। इसलिए किसी भी देवी- देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केंद्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
2) हम ईश्वर को प्रकाश के रूप में मानते हैं इसलिए दीपक जलाकर उसकी ज्योति के रूप में ईश्वर को स्थापित करते हैं | दीपक से एकाग्रता और उर्जा दोनों प्राप्त होती है | अलग-अलग मुखी दीपक जलाकर अलग मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं | आमतौर पर एकमुखी दीपक जलाना सबसे उत्तम होता है | ( और पढ़ें – यज्ञ चिकित्सा से रोग निवारण | )
3) दीपक का जो असाधाण महत्व बताया गया है, उसके पीछे कारण यह है कि प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। परमात्मा प्रकाश और ज्ञान रूप में ही सब जगह व्याप्त है। ज्ञान प्राप्त करने से अज्ञान रूपी मनोविकार दूर होते हैं और सासारिक शूल मिटते हैं। इसलिए प्रकाश की पूजा को ही परमात्मा की पूजा कहा गया है। मंदिर में आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि प्रभु हमारा मन प्रकाश की ओर ले चलें। मौत से अमरता की ओर हमें ले चलें। दीपक के प्रकाश से की गई प्रार्थना का उल्लेख ऋगवेद में यूं मिलता है ।
अयं कविकविषु प्रचेता मत्र्येप्वाग्निरमृतो नि धायि।
समानो अत्र जुहुर: स्हस्व: सदा त्व्सुमनस: स्याम।।
अर्थ : हे प्रकाश रूप परमात्मन। तुम अकवियों में कवि होकर, मृत्यों में अमृत बनकर निवास करते हो। हे प्रकाश स्वरूप तुमसे हमारा यह जीवन दुख न पाए हम हमेशा सुखी बने रहें।
4) दीपक जलाने के संबंध में कहा जाता है कि सम संख्या में जलाने से ऊर्जा संवहन निष्क्रिय हो जाता है, जबकि विषम संख्या में जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। दीपक की लौ के संबंध में यह मान्यता है कि इससे आयु में वृद्धि होती है। ( और पढ़ें – प्रकाश की गति ऋग्वेद में )
5) अखंड रामायण पाठ में 24 घंटे, नवरात्र में पूरे नौ दिन और कई मंदिरों में भगवान् के सम्मुख अखंड दीपक जलाए जाते हैं, जिसका उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठान को सफल बनाना और अपने आराध्य देव की कृपा प्राप्त करना होता है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि जब तक दीपक जलता रहता है, तब तक भगवान स्वयं उस स्थान पर उपस्थिति रहते हैं, इसलिए वहां पर मांगी गई मन्नतें शीघ्र पूरी होती हैं। ।
6) दीपक से हमें जीवन के उद्धर्वगामी होने, ऊंचा उठने और अंधकार को मिटा डालने की भी प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा दीप ज्योति से पाप खत्म होते है। शत्रु का शमन होता है और आयु, आरोग्य, पुण्यमय, सुखमय जीवन में बढ़ोत्तरी होती है। ( और पढ़ें – भारतीय काल गणना की वैज्ञानिक पद्धति )
7) दीपक जलाने के धार्मिक कारण : भारतीय संस्कृति में कोई भी नियम या परंपरा खोखली नहीं है। हमारे मनीषी ऋषियों ने गहन शोध के बाद ही हर उस नियम को जीवन से जोड़ा है |दीपक को ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है इसी लिये दीपक को पूजा पाठ में विशेष महत्व दिया जाता है। विषम संख्या में आमतौर पर दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूजन के समय हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है। घी के दीपक से आरती करने पर घर में सुख समृद्धि आती है। घी के दीपक से आरती करने से घर में लक्ष्मी जी का स्थाई रूप से निवास होता है।
8) दीपक जलाने के वैज्ञानिक कारण :गाय के दूध से बनाये गये घी में रोगाणुओं को दूर करने की क्षमता अधिक मात्रा में होती है। यह गाय का घी जब भी दीपक में अग्नि के संपर्क से पूरे वातावरण को पवित्र बना देता है एवं प्रदूषण को दूर करता है।
9) दीप प्रज्वलित करने का मंत्र :
“दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।”
10) दीपक जलाने के नियम |
1) पूर्व दिशा की तरफ़ दीपक की लौ रखने से आयु में वृद्धि होती है।
2) उत्तर दिशा की तरफ़ दीपक की लौ रखने से धन लाभ होता है।
3) कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ़ दीपक की लौ को ना रखें यह सुभ फलदायी नहीं माना जाता है |