Last Updated on November 19, 2019 by admin
कालाजार (काला बुखार) क्या है : kala azar (black fever/ kala bukhar) kya hota hai
यह रोग उष्ण देशों में विशेषतः बंगाल, बिहार , आसाम और श्रीलंका आदि में अधिक होता है। यूरोप निवासियों को यह रोग बहुत कम होता है। इसके वास्तविक रोगोत्पादक जीवाणु को ‘लीश वेनिया डानोवानी’ (Leishmania Danovani) कहते हैं। यह जीवाणु ‘वायु मक्षिका (बालू मक्खी)’ द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति तक जाता है। यह मलेरिया हीमाग्लोबिन्युरिया के नाम से भी विख्यात है।
कालाजार (काला बुखार) के लक्षण :kala azar (kala bukhar) ke lakshan
रक्त परीक्षण करने पर रक्त में मलेरिया के कीटाणु पाये जाते हैं। इसमें बढ़ी हुई प्लीहा, कभी-कभी बढ़ा हुआ यकृत, कृशता, शरीर का रंग विशेषतः माथा काला सा, या मटमैला तथा अनियमित स्वल्प-विराम ज्वर, रक्त क्षय, रक्तचाप न्यून, बेचैनी, रोगी के टखनों एवं पलकों पर सूजन, कभी-कभी नाक और मसूढ़ों से खून बहना, बहुधा पेचिश, न्यूमोनिया, और अतिसार आदि लक्षण होते हैं।
रोगी को ज्वर पुनरार्वतक (Relapsing Fever) की तरह हो, जिगर, तिल्ली बढ़े हुए हो तथा पीलिया आदि लक्षण हो तो उसकी रक्त परीक्षा करवाकर रोग का निर्णय करना चाहिए।
हकीकत तो यह है कि काला आजार एक भयानक रोग है। यदि इसकी चिकित्सा समय पर आरम्भ न की जाये तो रोगी अवश्य ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। यह एक प्रकार के कीटाणु व खटमलों (जो कुत्तों और चूहों में पाये जाते हैं) से हो जाता है। सर्दी के मौसम में 20 वर्ष के मनुष्यों को यह अधिक होता है।
कालाजार (काला बुखार) का इलाज : kala azar (kala bukhar) ka ilaj
1- ताड़ से इलाज :
हल्के-हल्के बुखार के साथ प्लीहा की वृद्धि हो तो ताड़ के नये पुष्पित भाग को जलाकर बनी राख को लगभग 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम खाने से लाभ होता है।
2- पीपल से इलाज :
कालाजार होने के पहले दिन 3 पीपल के फांट को शहद में मिलाकर रोगी को दें, दूसरे दिन 6, तीसरे दिन 9 इसी तरह से इसके खाने में रोजाना 3 की संख्या बढ़ती जाती है। इसको इसी तरह से 10 दिन तक करें, तथा ग्यारहवें दिन 3 पीपल फांट कम करते रहना चाहिए। ऐसा करने से प्लीहा वृद्धि ठीक होकर कालाजार (kala bukhar) मिट जाता है।
3- हाऊबेर से इलाज :
लगभग 2 से 6 ग्राम की मात्रा में हाऊबेर के चूर्ण को खाने से प्लीहा सम्बंधी बुखार और जिगर का बढ़ना आदि खत्म हो जाते है।
4- गुरुच से इलाज :
लगभग एक चौथाई भाग से कम की मात्रा में गुरुच का रस रोगी को पिलाने से कालाजार ठीक हो जाता है।
5-आंवला से इलाज :
लगभग 1 चम्मच आंवले के चूर्ण को दिन में 2 बार शहद के साथ मिलाकर रोगी को देने से शरीर का खून बढ़ता है।
6-मूली से इलाज :
सुबह उठकर खाली पेट मूली के साथ सेंधानमक का सेवन करने से कालाजार बुखार दूर हो जाता है।
7- गुड़ से इलाज :
रोज़ाना दिन में 2 बार गुड के साथ लगभग 4 ग्राम सज्जीखार का 21 दिन तक सेवन करने से कालाजार का बुखार खत्म हो जाता है।
8-नौसादर से इलाज :
नौसादर और चूना को बराबर मात्रा में लेकर रात में ओस में रख देने पर जब इसको सुबह देखते हैं, तो ये हमें द्रव्य रूप में मिलता है। इसको शीशी में रख दें और इसकी एक बूंद बतासे पर डालकर रोजाना खाने से प्लीहा ठीक हो जाता है और कालाजार का बुखार ठीक हो जाता है।
9- झाऊसे इलाज :
लगभग 6 ग्राम झाऊ के सूखे पत्तों को पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद शक्कर के साथ इस चूर्ण को मिलाकर रोजाना लेने से कालाजार जड़ से खत्म हो जाता है।
10-प्याजसे इलाज :
प्याज से बनी माला को रोगी के गले में पहनाने से यकृत एवं प्लीहा का बढ़ना बन्द हो जाता है और कालाजार का बुखार मिट जाता है।
11-नागफली से इलाज :
नागफली की जड़ की माला रोगी के गले में पहनाने से प्लीहा का बढ़ना बन्द हो जाता है और कालाजार का बुखार दूर हो जाता है।
12-शरपुंखा (सरफोंका) से इलाज :
लगभग 20 ग्राम की मात्रा में शरपुंखा या सरफोंका के चूर्ण को छाछ या दही के साथ सुबह और शाम 21 दिनों तक सेवन करने से प्लीहा (तिल्ली) का बढ़ना बन्द हो जाता है और कालाजार का बुखार समाप्त हो जाता है।
13-छोटी माई से इलाज :
लगभग 2 से 4 ग्राम की मात्रा में छोटी माई के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से प्लीहा ठीक हो जाता है तथा इससे सम्बंधित सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
14-बड़ी माई से इलाज :
बड़ी माई की लकड़ी से बने बर्तन में रखे पानी को पीने से प्लीहा वृद्धि ठीक हो जाती है तथा कालाजार का बुखार मिट जाता है।
कालाजार (काला बुखार) की दवा : kala azar ki dawa
1. कालमेघासव : लगभग 20 से 25 ग्राम कालमेघासव को इतने ही पानी में सुबह और शाम मिलाकर रोगी को देने से कालाजार बुखार ठीक हो जाता है। ध्यान रहे कि रोगी को यह खाली पेट नहीं देना चाहिए।
2. कुमारीआसव : लगभग 20 से 25 ग्राम कुमारीआसव को इतने ही पानी में मिलाकर भोजन के बाद सुबह और शाम को लेने से कालाजार का बुखार दूर हो जाता है।
नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।