Last Updated on May 26, 2020 by admin
नमक क्या है ? salt in hindi
हमारे जीवन में नमक का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बिना नमक के महँगे-से-महँगे मसाले भी रसहीन ठहरते हैं। यह सभी रसों का सिरमौर है, अतः इसे ‘सब रस’ भी कहा जाता है। नमक हमारे दैनिक जीवन का केंद्र है।
नमक के प्रकार : namak ke prakar hindi me
नमक कई प्रकार के हैं, परंतु आयुर्वेद में पाँच प्रकार के लवण (नमक) बताए हैं, इन्हें ‘पंच लवण’ कहा गया है, जो इस प्रकार हैं-
1. सेंधा नमक,
2. काला नमक,
3. बीड़ नमक,
4. सांभर नमक तथा
5. समुद्री नमक।
परंतु फलों और सब्जियों में भी लवण कुछ मात्रा में पाया जाता है। अब जब कभी मुली गाजर, टमाटर, अमरूद, शलजम, सेब इत्यादि खाएँ, तो इनमें नमक डालने की जरूरत नहीं है। दैनिक आहार में हम जो सफेद नमक सेवन करते हैं, वह समुद्र से प्राप्त होता है या यह समुद्री जल से बनाया जाता है। बाजार में मुख्यतः दो प्रकार का नमक मिलता है-एक रिफाइंड, आयोडीन सफेद नमक और दूसरा अनरिफाइंड कंकड़ नमक, जो डली के रूप में होता है।
नमक के गुण : namak ke gun in hindi
- निघंटुकारों की दृष्टि में सेंधा नमक पथ्य, त्रिदोषनाशक, अग्नि-प्रदीपक, पाचक, लघु, स्निग्ध, रुचिकर, शीतवीर्य, कामोत्तेजक, आँखों के लिए हितकर, मल-स्तंभक तथा हृदयरोगहर है।
- रोगी के परहेज काल में उसे अल्प मात्रा में सेंधा नमक देने की छूट रहती है।
- महर्षि चरक ने सेंधा नमक को ‘लवणोत्तम’ कहा है।
- kala namak ke aushadhi gun-काला नमक चट्टान यानी जमीन से प्राप्त होता है। यह रोचक, खारा, तीखा, अग्नि-प्रदीपक, मल-स्तभंक, गुल्म, ऊर्ध्ववात, अफरा एवं अरुचिनाशक बताया है।
- बीड़ नमक भी अग्नि-प्रदीपक, रूक्ष, लघु तथा उष्ण होता है। यह वायु, शूल, मधुमेह, गुल्म, अजीर्ण, कफ, दाह को नष्ट करनेवाला तथा विपाक में तीक्ष्ण कहा गया है।
- समुद्री नमक थोड़ा सा अग्नि-प्रदीपक, बल्य, रक्त-प्रसाधक, धातुवर्धक, दुर्गंधहर, अजीर्ण, उदरकृमि, कफ, आमवृद्धि और विकृत वायु का नाश करनेवाला होता है। घाव पर उपयोग करने पर यह कृमिनाशक, दुर्गंधहर एवं उग्रता पैदा करता है। इसमें 8 मिग्रा. पोटैशियम, 2 प्रतिशत कैल्सियम और 38.76 मिग्रा. सोडियम होता है।
- सुश्रुत की सम्मति में नमक भारी, गरम, पित्त को कुपित करनेवाला, मांस को फोड़नेवाला, कुष्ठ को गलाकर गिरानेवाला, इंद्रियों को दुर्बल बनाकर कामशक्ति का ह्रास करनेवाला, शरीर को बुड्ढा
बनानेवाला, बाल सफेद तथा गंजा कर देनेवाला है। अतः नमक अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए।
( और पढ़े –नमक के घरेलू नुस्खे )
नमक के सामान्य उपयोग : namak ke upyog in hindi
- सामान्यतया नमक का उपयोग भोजन को स्वादु बनाने के लिए किया जाता है। नमक के बिना खाद्य-पदार्थ बेस्वाद लगते हैं।
- नमक दाल, चपाती, खिचड़ी, दलिया, सब्जी, सूप, चटनी, अचार, चाट-पकौड़ी, पानी-पूरी आदि सभी पदार्थों में उपयोग किया जाता है।
- मट्टी, नमकपारे, नमकीन उद्योग, आइसक्रीम, कुल्फी तथा बिस्कुट उद्योग में भी इसकी बड़ी खपत है।
- यह लोहे के बरतनों से दाग-धब्बे मिटाने, कड़ाही में जले के दाग साफ करने, लोहे पर जंग हटाने, कप आदि पर से कॉफी-चाय के दाग मिटाने, फ्रीज साफ करने के अलावा फर्नीचर पर लगे धब्बों को साफ करने में बड़ा उपयोगी है।
- यदि कड़ाही में सब्जी आदि जल गई है, तो उसमें थोड़ा सा नमक डालकर रगड़ दें, कड़ाही की जलन साफ होकर दाग-धब्बे भी मिट जाते हैं।
( और पढ़े – सेंधा नमक के फायदे )
नमक के फायदे और उपयोग : namak ke fayde hindi me
अनेक रोगों में नमक असरकारक है। घरेलू चिकित्सा में अनेक छोटी-बड़ी बीमारियों में इसका खूब उपयोग होता है। चोट-मोच में यह बेहद मुफीद है।
1-निम्न रक्तचाप :
जिनका बी.पी. लो यानी रक्तचाप मंद हो जाता है, वे अपने भोजन में नमक की मात्रा बढ़ा दें या नमक की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें, तो इस शिकायत से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।
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2-उच्च रक्तचाप :
जिन लोगों का बी.पी. बढ़ जाता है या जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं या बारबार गुस्सा आता है, वे अपने भोजन में नमक की मात्रा न्यून कर दें तथा तले खाद्य-पदार्थों से बचें तो काफी हद तक बी.पी. नियंत्रण में रहेगा।
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3-जलने पर :
दूध, चाय या पानी से जलने पर तुरंत सरसों का तेल लगाकर नमक बुरक दें तो इससे छाले नहीं पड़ेंगे और न जलन ही होगी। यह तरल पदार्थों से जलने पर आजमाया हुआ नुस्खा है।
4-विषनाश :
विषैले जीव के काटने पर दंश स्थान पर नमक लगा दें या एक गिलास गरम पानी में 2-3 चम्मच नमक घोलकर इससे सिंकाई करें। इससे दर्द में आराम मिलता है तथा सूजन उतर जाती है।
5-चोट-मोच :
हाथ या पैर में चोट लगने या मोच आने पर सूजन आ जाती है और अंग के अकड़ने से पीड़ा होती है, तब एक लीटर पानी में तीन चम्मच नमक डालकर उबालें, फिर गुनगुना होने पर चोट स्थान पर पतली धार से पानी ढालें, चाहे तो उस स्थान पर कोई रूमाल या कपड़ा रख लें।
6-गले में खराश :
गले में खिचखिच हो, जुकाम से गला बैठ गया हो तो गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से बड़ी राहत मिलती है।
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7-त्वचा के दाग-धब्बे :
धूप के कारण त्वचा काली पड़ गई हो या दाग-धब्बे उभर आए हों तो आधा कप कच्चे दूध में एक चम्मच नमक मिलाकर मालिश करने से त्वचा निखर जाती है तथा ये निशान मिट जाते हैं।
8-मिरगी :
मिरगी का रोगी रोजाना एक गिलास पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर पिए तो मिरगी के दौरों की आवृत्ति कम हो जाती है।
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9-खाँसी :
रात्रि के समय खाँसी बार-बार उठती हो तो नमक की डली मुँह में रखकर चूसने से खाँसी का दौरा कम हो जाता है।
10-जोड़ों का दर्द :
गठिया या जोड़ों के दर्द में तिल के तेल में नमक भूनकर उससे जोड़ों की मालिश करें। इससे दर्द तथा सोज में आराम मिलेगा।
11-पेटदर्द :
अजवाइन को आधी चम्मच की मात्रा में लेकर हथेली से रगड़ें, उसमें बराबर मात्रा में नमक मिलाकर गुनगुने पानी से फंकी करें।
12-जुकाम :
तुलसी के रस में नमक मिलाकर एक-एक बूंद दोनों नथुनों में टपकाएँ, इससे जुकाम में आराम मिलता है। साथ ही घी में नमक मिलाकर सोने की मालिश करें तो कफ आसानी से बाहर निकल जाता है।
13-दंत पीडा :
एक गिलास पानी में एक चम्मच नमक डालकर उबालें, फिर इससे कल्ला करें। दाढ़ में कीड़ा लगा हो तो नमक की कंकड़ी दाढ़ से दबाकर लार बाहर निकाल दें, इससे दाँतों का दर्द शांत हो जाता है अथवा आधा गिलास गरम पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरमगरम ही मुँह में भरकर मसूड़ों की सिंकाई करें; दो-चार बार करने पर ही फूला हुआ मसूड़ा ठीक हो जाता है।
14-मसूढ़े फूलना :
मसूढ़ों में दर्द हो या मसूढ़े फूल गए हों तो आधा चम्मच नमक हथेली पर लेकर उसमें चार बूंद सरसों का तेल मिलाकर उँगली से हलकी-हलकी मालिश करें तथा लार बाहर गिरने दें। इससे दर्द तुरंत शांत होता है। अथवा आध गिलास गरम पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरम-गरम ही मुँह में भरकर मसूढ़ों की सिंकाई करें; दो-चार बार करने पर ही फूला हुआ मसूढ़ा ठीक हो जाता है।
15-बदहज्मी :
कब्ज या बदहजमी की शिकायत होने पर आधा चम्मच काला नमक एक गिलास पानी में आधा नीबू निचोड़कर पी जाएँ। इससे पेट हलका हो जाएगा तथा गैस नहीं बनेगी।
16-पेट के कीड़े :
प्रात:काल एक चम्मच काला या सेंधा नमक गाय या भैंस की छाछ से नित्य प्रातः सेवन करने से पेट-कृमि मर जाते हैं।
17-तृषा शांति :
गरमी में बार-बार प्यास लग रही हो, पानी पीने पर भी प्यास शांत न हो, तो एक गिलास पानी में तेज नमक तथा एक नीबू का रस मिलाकर पीने से तृषा शांत हो जाती है, शरीर की बेचैनी दूर होती है।
18-थकान, पैरों की सूजन :
अधिक पैदल चलने से या दौड़ने से पैर सूज गए हों और थकान सता रही हो तो एक बड़े भगोना पानी में चार चम्मच नमक डालकर उबालें, गुनगुना होने पर उसमें पैर रखकर बैठ जाएँ। थकान गायब हो जाती है।
19-मुंह के छाले :
मुँह तथा जीभ पर छाले हैं तो सफेद सरसों और नमक पीसकर जीभ के छालों पर लगाएँ, लार नीचे टपकाते रहें। इससे मुँह तथा जीभ के छाले शांत होते हैं।
नमक के नुकसान व सेवन में सावधानियाँ : namak khane me savdhaniya
- अल्प मात्रा में अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने पर नमक फायदा करता है, परंतु जरूरत से अधिक सेवन करने पर जठर और आँतों की श्लैष्मिकता को नुकसान पहुँचता है।
- ज्यादा नमक खाने से बुढ़ापा भी जल्दी आता है, बाल गिरने लगते हैं।
- नमक बिल्कुल न खाने पर दमा और खाँसी जैसे रोग मिट जाते हैं।
- अधिक मात्रा में नमक लेने से पाचन-क्रिया, रक्त, मांस, मेद आदि धातुओं एवं नाडियों को हानि पहुँचती है।
- आमाशय का प्रदाह तथा अन्य दाह उत्पन्न हो जाते हैं।
- सूजन के रोगी, चेचक, ज्वर के रोगी, खाज-खुजली, कोढ़ जैसे त्वचा रोग और रक्त विकारवाले रोगी को नमक नहीं खाना चाहिए।
- उच्च रक्तचाप में नमक की अल्प मात्रा लें तथा न्यून रक्तचाप वाले रोगी थोड़ा ज्यादा नमक खाने से स्वस्थ रहते हैं।
- जो फल एवं सब्जियाँ हम लोग दैनिक आहार में लेते हैं, इनमें नमक प्राकृतिक रूप से विद्यमान रहता है। हमारे शरीर को जितने नमक की जरूरत होती है, वह इन फल-सब्जियों में रहनेवाले नमक से पूरी हो जाती है। अत: गाजर, मूली, टमाटर, पालक, अमरूद, सेब आदि में नमक नहीं डालना चाहिए।
- सुश्रुत ने बताया है कि जो लोग आवश्यकता से अधिक नमक सेवन करते हैं, उनका शरीर जल्दी बुड्ढा हो जाता है; कामशक्ति क्षीण हो जाती हे, बाल समय से पूर्व सफेद हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं। अतः नमक के सेवन में सावधानी बरतें, आवश्यकता से अधिक नमक बिल्कुल न खाएँ।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)