Last Updated on December 13, 2021 by admin
क्या है लेरिच सिंड्रोम ? (What is Leriche syndrome)
पैरों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में रुकावट आने के कारण होने वाले कमर एवं पैरों के दर्द को लेरिच सिंड्रोम कहा जाता है।
लेरिच सिंड्रोम के लक्षण (Leriche syndrome Symptoms in Hindi)
लेरिच सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं ?
- लेरिच सिंड्रोम बीमारी में दोनों पैरों में शुद्ध रक्त की आपूर्ति करने वाली पेट में स्थित धमनियाँ सिकुड़ जाती हैं या उनमें चरबी जमा हो जाती है, जिससे पैर को जाने वाली शुद्ध रक्त की सप्लाई कम हो जाती है।
- इसके साथ ही कमर और कमर में स्थित अंगों को मिलने वाले शुद्ध रक्त की मात्रा भी कम हो जाती है, जिसके फलस्वरूप मरीज को कमर दर्द की शिकायत बनी रहती है।
- धीरे-धीरे जाँघों में दर्द शुरू हो जाता है और कुछ समय बाद पैरों में दर्द शुरू हो जाता है।
- धीरे-धीरे दर्द बढ़ता जाता है और असहनीय हो जाता है।
- चलने या व्यायाम करने पर पैरों व नितंबों में ऐंठन का होना।
- पैरों का सुन्न होना।
अगर सही समय पर इसका इलाज कार्डियोवैस्कुलर सर्जन की निगरानी में नहीं कराया गया तो पैर की उँगलियाँ सूजन के साथ-साथ काली पड़ने लगती हैं और पैरों में गैंगरीन हो जाती है। अंत में मरीज को अपने पैरों से हाथ धोना पड़ता है।
लेरिच सिंड्रोम के कारण (Leriche syndrome Causes in Hindi)
लेरिच सिंड्रोम क्यों होता है ?
लेरिच सिंड्रोम का प्रमुख कारण है धमनियों का सख्त होना। यह रोग कई कारणों से सकता है जिसमे प्रमुख है –
- व्यायाम की कमी
- अनुचित आहार-विहार
- वंशानुगत
- मोटापा
- धूम्रपान
- मधुमेह
- उच्च रक्तचाप
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- वृद्धावस्था
लेरिच सिंड्रोम की जांच (Diagnosis of Leriche syndrome in Hindi)
लेरिच सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है ?
- लेरिच सिंड्रोम की जाँच के लिए डॉप्लर स्टडी की जाती है। डॉप्लर की रिपोर्ट के आधार पर ही डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी या कन्वेंशनल एंजियोग्राफी की योजना बनाई जाती है।
- धमनियों में कितनी और कहाँ तक रुकावट है, इसका सही-सही आकलन एंजियोग्राफी से ही होता है। इससे पैरों और टाँगों में जानेवाली शुद्ध रक्त की मात्रा और सप्लाई का सही अंदाजा मिलता है।
इन सब जाँचों के बाद ही इलाज की सही तरकीब का निर्धारण किया जाता है और पैरों में रक्त का दौड़ान और सप्लाई बढ़ाने की तरकीब की जाती है, ताकि पैरों को बचाया जा सके, साथ-ही-साथ इस जान लेवा कमर दर्द से छुटकारा भी दिलाया जा सके।
लेरिच सिंड्रोम का उपचार (Leriche syndrome Treatment in Hindi )
लेरिच सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है ?
- लेरिच सिंड्रोम का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि स्थिति कितना गंभीर है। रोग के प्रारंभिक चरणों में लेरिच सिंड्रोम का उपचार जीवनशैली में बदलाव के साथ किया जाता है, जैसे –
- धूम्रपान छोड़ना,
- उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना,
- कोलेस्ट्रॉल को कम करना,
- मधुमेह को नियंत्रित करना,
- नियमित व्यायाम,
- कम वसा युक्त आहार का सेवन व उच्च फाइबर युक्त आहार का सेवन करना ,
लेरिच सिंड्रोम के अधिक गंभीर मामलों में शल्य चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है। कुछ समय पहले तक इस तरह के मरीजों के लिए एकमात्र उपाय पैर या जाँघ कटवाना ही था, लेकिन बाईपास सर्जरी विकसित होने से पैरों को कटने से बचाया जाना संभव हो गया है। बाईपास सर्जरी के लिए या तो मरीज की ही शिराओं (वेन) का इस्तेमाल किया जाता है या विशेष किस्म की कृत्रिम नली का इस्तेमाल किया जाता है। ये कृत्रिम नलियाँ अमेरिका और जर्मनी से आयात की जाती हैं।
लेरिच सिंड्रोम के जोखिम और जटिलताएं (Leriche syndrome Risks & Complications in Hindi)
लेरिच सिंड्रोम में क्या जटिलताएं होती हैं ?
लेरिच सिंड्रोम के गंभीर मामले कई जटिलताओं व लक्षणों को जन्म दे सकते हैं, जैसे –
- रोगी के पैरों पर लंबी अवधि तक ठीक न होने वाले घाव हो सकते हैं।
- घाव के संक्रमित होने का जोखिम होता है।
- यदि घाव का उपचार न किया जाय तो गैंग्रीन आपके पैर को नुकसान पहुंचा सकता है।
लेरिच सिंड्रोम से बचाव (Prevention of Leriche syndrome in Hindi)
लेरिच सिंड्रोम की रोकथाम कैसे करें ?
आप एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर लेरिके सिंड्रोम के जोखिम को कम कर सकते हैं, जिसमें शामिल कुछ उपाय निम्नलिखित हैं –
- नियमित व्यायाम,
- फल, सब्जियां और साबुत अनाज से भरपूर आहार,
- मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करके,
- संतुलित वजन बनाए रखकर,
- धूम्रपान न करना,
- भले ही रोगी को पहले से ही लेरिच सिंड्रोम है, लेकिन इन जीवनशैली युक्तियों का पालन करने से बीमारी को और खराब होने से रोका जा सकता है।