Last Updated on February 14, 2022 by admin
जावित्री क्या है ? (Javitri in Hindi)
जतिफाला के नाम से जानी जाने वाली जावित्री मसाले के रूप में उपयोग की जाती है। गर्म मसाले में सम्मिलित खाने के स्वाद और खुशबू को बेहतर बनाने वाली जावित्री सेहत को दुरुस्त करने में भी काफी मदद करती है।
जावित्री का वृक्ष कैसा होता है :
जावित्री और जायफल एक ही पेड़ में पैदा होते हैं। जायफल की फसल कटने के बाद जो लाल रंग की पत्ती निकलती है। वही जावित्री कहलाती है।
- रंग : जावित्री का रंग लाल व पीला होता है।
- स्वाद : जावित्री का स्वाद तीखा और खुशबूदार होता है।
- स्वभाव : जावित्री गर्म होती है।
- तुलना : जावित्री की तुलना जायफल से कर सकते हैं।
सेवन की मात्रा :
मात्रा – 3 ग्राम।
जावित्री के औषधीय गुण (Javitri ke Gun in Hindi)
- यह मन को प्रसन्न करती है,
- जिगर को बलवान करती है,
- बल को बढ़ाती है,
- पथरी को तोड़ती है,
जावित्री के फायदे और उपयोग (Benefits & Uses of Javitri in Hindi)
1. पेशाब का बार बार आना :
- जावित्री 10 ग्राम पीसकर इसमें खांड (कच्ची चीनी) 10 ग्राम मिला लें। एक-एक ग्राम सुबह-शाम पानी से लें। इससे पेशाब बार-बार आना बंद हो जाता है।
- ज्यादा पेशाब आने पर 1 ग्राम जावित्री और थोड़ी-सी मिश्री दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
2. श्वास या दमे का रोग :
- जावित्री को पान में रखकर खाने से श्वास-रोग और दमा ठीक हो जाता है।
- श्वास रोग में जावित्री के दो-तीन पत्ते ताम्बूल (पान) में रखकर खाने से लाभ मिलता है।
3. दस्त : जावित्री को छाछ के साथ पीने से बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
4. आंव रक्त (पेचिश) : 2 ग्राम जावित्री का चूर्ण छाछ (लस्सी) या दही के साथ खाने से 7 दिनों में ही रोगी को लाभ होता है।
5. गठिया रोग : 2 ग्राम जावित्री तथा आधा चम्मच सोंठ दोनों को एक साथ गर्म पानी से लेने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
6. हृदय रोग : जावित्री 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम, अकरकरा 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करें।
7. शीतला (मसूरिका) : जावित्री को बिल्कुल बारीक पीसकर 120 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार पानी के साथ रोगी को खिलाने से अन्दर दबी हुई चेचक (माता) बाहर आ जाती है।
8. दांतों का दर्द : दांतों व मसूढ़ों में हो रहे दर्द में जावित्री, माजूफल तथा कुटकी को मिलाकर काढ़ा बना लें। उस काढे़ को मुंह में थोड़ी देर रखकर कुल्ला करें।
जावित्री के अन्य लाभ :
1. पाचन : जावित्री को मसाले के रूप में सेवन करने से – गैस, पेट फूलना, कब्ज इत्यादि परेशानियां नहीं होती है और पेट सेहतमंद बना रहता है।
2. भूख बढ़ाएं : रोजाना जावित्री का सेवन भूख को बढाता है ।
3. किडनी स्टोन : जावित्री किडनी इंफेक्शन और किडनी से जुड़ी अन्य समस्याओं से शरीर की रक्षा करती है।
4. लिवर : जावित्री लिवर को डिटॉक्स करने में शरीर की मदद करती है जिससे लिवर संबंधी दिक्कतें होने की संभावना काफी कम हो जाती हैं ।
5. सर्दी-जुकाम : जावित्री की तासीर गर्म है । यह एंटी-एलर्जिक और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होने के कारण सर्दी-जुकाम से शरीर की रक्षा करती है ।
6. डायबिटीज : जावित्री में एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद होने से यह डायबिटीज होने के खतरे को काफी मात्रा मे कम करती है ।
7. दांतों की समस्या : जावित्री में एंटी-बैक्टीरियल व एंटी-कैरियोजेनिक (दंत रोगों से रक्षा करने वाले) गुण पाए जाते है जो दांतों के लिए लाभदायक है ।
8. कैंसर : जावित्री में पाया जाने वालें एंटीऑक्सीडेंट, फ्री रेडिकल से शरीर की रक्षा कर कैंसर के खतरे को कम करते है ।
जावित्री के दुष्प्रभाव (Javitri ke Nuksan in Hindi)
जावित्री का अधिक मात्रा में उपयोग करने से सिर में दर्द पैदा होता है।
दोषों को दूर करने के लिए : इसके दोषों को दूर करने के लिए – चन्दन का उपयोग लाभप्रद है ।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)