Last Updated on March 22, 2022 by admin
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कफकर्तरी रस क्या है ? (What is Kafkartari Ras in Hindi)
कफकर्तरी रस पाउडर व टेबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इस आयुर्वेदिक औषधि का विशेष उपयोग – खांसी, हिक्का (हिचकी), श्वास तथा सर्दी जुकाम आदि रोगों को दूर करने हेतू किया जाता है।
घटक और उनकी मात्रा :
- जावित्री – 2 तोला,
- इलायची – 2 तोला,
- पुराना वॉस – 4 तोला,
- पुनर्नवा मूल – 4 तोला,
- कटेरी फल – 2 तोला,
- तम्बाकू के डण्थलों की अन्तर्धूम राख – 2 तोला,
- सुहागा – आवश्यकता अनुसार
- शुद्ध पारद – आवश्यकता अनुसार
- शुद्ध गन्धक – आवश्यकता अनुसार
बनाने की विधि :
यूं तो यह योग बना–बनाया बाज़ार में मिल जाता तथापि नुस्खे और निर्माण विधि को जानने की इच्छा एवं रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यहां इस योग के घटक द्रव्य और निर्माण करने के ढंग के विषय में आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
विधि –
- प्रथम सूखे अपामार्ग का पंचांग 1 सेर लेकर लोहे की एक बड़ी कड़ाही में डालें और ऊपर से उपरोक्त दवायें – जावित्री, इलायची, पुराना वॉस, पुनर्नवा मूल, कटेरी फल, तम्बाकू के डण्थलों की अन्तर्धूम राख डाल कर उन पर 1 सेर सूखा अपामार्ग पंचांग और डालकर अग्नि लगा दें।
- पश्चात् बाँस के डण्डे से इधर-उधर करके अच्छी प्रकार से जला दें, ताकि अच्छी तरह राख हो जावे, कोयला न रहने पावे। यदि कोई औषधि ठीक से न जलने पावे तो और अपामार्ग पंचांग डालकर जला लें और राख करके सूक्ष्म कपड़छन पीसकर रख लें।
- इसके पश्चात जितना इस तैयार औषध का वजन हो, उस वजन से आठवाँ भाग भुना सुहागा और सोलहवाँ भाग शुद्ध पारद और शुद्ध गन्धक की कज्जली को अच्छी प्रकार मिला, दृढ़ मर्दन करके सुरक्षित रखें।
– आरोग्य-प्रकाश से किंचित् परिवर्तित
कफकर्तरी रस की खुराक (Dosage of Kafkartari Ras)
2-2 रत्ती दिन में 2-3 बार नागर बेल के पान में रखकर दें।
कफकर्तरी रस के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Kafkartari Ras in Hindi)
- इस रसायन को पान में रख कर खाने के पश्चात् रोगी से धीरे-धीरे इसका रस चूसने को कहें और खाने के बाद इस औषधि से अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलता है।
- यह औषधि श्वास रोग में अत्यंत उपयोगी है। यहाँ तक कि दो या तीन मात्रा औषधि खाते ही दमा का वेग शमन हो जाता है। दमा का वेग शान्त हो जाने पर प्रतिदिन दो मात्रा औषधि रोगी को सेवन करावें। इसके सेवन से संचित दूषित कफ बिना कष्ट के सरलता के साथ थोड़ा खांसने से ही निकल जाता है। यह कफ पका और दिन-रात में करीब एक पाव से आधा सेर तक निकल जाता है। कफ निकल जाने से रोगी दुर्बल अवश्य हो जाता है। किन्तु इस औषधि के अपूर्व प्रभावशाली गुण के कारण श्वास (दमा) का वेग कई-कई वर्ष तक के लिये बन्द हो जाता है। यह औषधि कफ को काट-काट कर बाहर निकाल देती है, अतः इस औषधि का नाम कफकर्तरी रस यथार्थ ही रखा गया है।
कफकर्तरी रस के दुष्प्रभाव (Kafkartari Ras Side Effects in Hindi)
- कफकर्तरी रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
- कफकर्तरी रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)