स्मृतिसागर रस के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान | Smriti Sagar Ras Benefits in Hindi

Last Updated on October 14, 2019 by admin

स्मरणशक्ति बढ़ाने वाला रसायन स्मृतिसागर रस :

आज के दौर की तेज़ रफ़्तार जिन्दगी, दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सुख सुविधा के साधन जुटाने का दुष्प्रभाव मनुष्य के शरीर से ज़्यादा मन-मस्तिष्क पर पड़ रहा है। आहार-विहार तो अनुचित हैं ही साथ ही प्रतिस्पर्धा की दौड़ में बने रहने तथा पिछड़ न जाने के भय से आचार-विचार भी गलत होते जा रहे हैं। यही कारण है कि जिन्हें मानसिक दोष या विकार माना जाता था आज वे ही सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक गुण मान लिये गए हैं।

छात्र-छात्राएं हों या व्यवसायी सभी में आगे रहने और दूसरे को पछाड़ने की होड़ मची हुई है, परिणाम स्वरूप स्मरणशक्ति का जो ह्रास, आयु के प्रभाव से, वृद्धावस्था में हुआ करता था वह आजकल युवाओं में दिखाई देने लगा है।

एकाग्रता की कमी, भुल्लकड़पन, ज़रूरी चीजें भी याद न रहना, ज़रा सी विपरीत परिस्थिति में मानसिक सन्तुलन बिगड़ जाना, आदि समस्याओं के पीछे मन्द बुद्धि, दिमाग में रक्तसंचार की कमी के कारण दिमाग कमज़ोर होना तथा अपनी ही समस्या में उलझे रहना आदि कारण हैं। यहां तक कि तनाव, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाना आम बात होती जा रही है।

यहां हम एक ऐसे आयुर्वेदिक योग स्मृतिसागर रस का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं जो स्मरणशक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ विभिन्न मानसिक रोगों में उत्तम औषधि का कार्य भी करता है।

परम्परा के अनुसार किसी भी योग का परिचय प्रस्तुत करते हुए हम योग के घटक द्रव्य (Formula) एवं निर्माण-विधि की जानकारी भी प्रस्तुत करते हैं ताकि जिज्ञासु, गुणग्राही और ज्ञान पिपासु पाठक-गणों को योग के विषय में पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो सके। लेकिन यहां यह कह देना भी हम उचित और ज़रूरी समझते हैं कि ऐसे योगों को कुशलतापूर्वक और सही विधि-विधान से बना लेना हर किसी के वश की बात नहीं होती है अतः हमारा यह अनुरोध है कि इस योग को किसी कुशल वैद्य से बनवा कर अथवा किसी अच्छी और प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक कम्पनी द्वारा निर्मित इस योग को बाज़ार से खरीद कर, उपयोग में लाना निरापद होगा।

स्मृतिसागर रस क्या है ? : Smriti Sagar Ras in Hindi

स्मृति सागर रास एक आयुर्वेदिक दवा है जो टेबलेट के रूप में उपलब्ध है। इसका उपयोग स्मरणशक्ति को बढ़ाने ,बेहोशी, उन्माद (पागलपन), मिर्गी ,स्नायविक दुर्बलता आदी रोगों के उपचार में किया जाता है।

स्मृतिसागर रस के घटक द्रव्य : Smriti Sagar Ras Ingredients in Hindi

✦ कज्जली (शुद्ध पारा एवं गन्धक) – 50 ग्राम
✦ शुद्ध हरताल – 50 ग्राम
✦ शुद्ध मेनसिल – 50 ग्राम
✦ ताम्रभस्म – 50 ग्राम
✦ स्वर्णमाक्षिक भस्म – 50 ग्राम
✦ बच – 250 ग्राम
✦ ब्राह्मी – 250 ग्राम
✦ मालकांगनी तेल – 25 ग्राम

स्मृतिसागर रस बनाने की विधि :

सर्व प्रथम उपरोक्त वर्णित सभी द्रव्यों को (बच, ब्राह्मी और माल कांगनी तैल छोड़कर) खरल में बारीक घोंट लें। फिर उसमें मालकांगनी तेल डालकर अच्छी तरह घुटाई करें। बच और ब्राह्मी को जौकूट कर उसका काढ़ा तैयार करें और – घुटाई किये गये द्रव्यों को इस काढे की 21 भावना दें। इसके बाद 1-1 रत्ती को गोलियां बना कर छाया में सुखा लें।
( माप : 1 रत्ती = 0.1215 ग्राम )

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया बाज़ार में मिलता है।

मात्रा और सेवन विधि :

इसकी 1-1 गोली दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। ब्राह्मी घृत आधा चम्मच दूध में मिलाकर इस
दूध के साथ सुबह-शाम 1-1 गोली लेने से और अधिक लाभ होता है।

स्मृतिसागर रस के फायदे और गुण : Smriti Sagar Ras Benefits in Hindi

☛ यह स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला उत्तम रसायन है।

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☛ इसके सेवन से स्नायविक दुर्बलता दूर होती है जिससे कई प्रकार के मानसिक विकारों में लाभ मिलता है।

☛ मस्तिष्क की कमजोरी से उत्पन्न होने वाले रोग जैसे मूर्छा (बेहोशी), उन्माद (पागलपन), मिरगी, हिस्टीरिया आदि में इसका प्रयोग अति लाभदायक होता है।

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☛ ज्ञानवाहिनी नाड़ियों को इसके सेवन से बल और चेतना प्राप्त होती है।

☛ इस रसायन का विशेष उपयोग मानसिक रोगों में होता है।

☛ मनोविभ्रम के कारण होने वाले उन्माद रोग में यह बहुत काम करता है।

☛ उन्माद का यह प्रकार मानसिक चिन्ता, दुःख, शोक, भय, दिन-रात कार्य में लिप्त रहना, गांजा, भांग शराब आदि का अधिक सेवन करना, अति स्त्री प्रसंग, सिर पर चोट लगना तथा पुराने यौन रोग आदि कारणों से उत्पन्न होता है। इन कारणों से मानसिक विकृति या ज्ञान वाहिनी नाड़ी की शिथिलता (कमज़ोरी) उत्पन्न होती है।

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☛ इसी तरह पित्त की वृद्धि से रक्त में एकाएक गर्मी बढ़ जाती है, फिर यह गर्मी मस्तिष्क की
ओर जा कर वहां की नाड़ियों को कमज़ोर बना देती हैं जिससे दिमाग ठीक ढंग से काम नहीं करता, भूल पर भूल होती है, जरूरी काम भी याद नहीं रहता, चित्त अस्थिर रहता है, चंचलता के कारण किसी भी काम में मन नहीं लगता, आलस्य बना रहता है, नींद नहीं आती है और भूख कम लगती है, हर समय विशेष चिन्ता बनी रहती है। फिर कुछ लोगों की प्रकृति ही ऐसी होती है कि उन्हें जरा भी ऊंचा-नीचा व्यवहार सहन नहीं होता तथा असहनशीलता बहुत अधिक होती है जिससे उन्हें तीव्र क्रोध हो उठता है। चूंकि कोमल प्रकृति वालों को उन्माद और हिस्टीरिया जैसे रोग शीघ्र हो जाते हैं अतः स्त्रियां खासकर युवा स्त्रियां इन रोगों से शीघ्र ही आक्रान्त हो जाती हैं। उपरोक्त स्थिति में ‘स्मृतिसागर रस’ 2-3 माह तक सेवन करने से लाभ होता है।

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☛ किसी-किसी व्यक्ति की, स्वस्थ रहते हुए भी, स्मरण शक्ति बहुत कम हो जाती है। ऐसे लोगों में कफ-वृद्धि अवश्य रहती है क्योंकि स्मरण-शक्ति का नाश करने में कफ का सबसे बड़ा हाथ रहता है। कफ की अधिकता से चेतना शक्ति आच्छादित हो जाती है जिससे विचारने या किसी चीज को स्मरण करने की शक्ति लुप्त हो जाती है। इस शक्ति को सबल और सचेष्ट बनाने के लिए ‘स्मृतिसागर रस’ का उपयोग करना लाभदायक है। यह योग बना बनाया बाज़ार में मिलता है।

स्मृतिसागर रस के नुकसान : Smriti Sagar Ras Side Effects in Hindi

1- स्मृतिसागर रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें ।
2- गर्भावस्था में इस दवा के सेवन से बचना चाहिए।
3- अधिक खुराक से गंभीर जहरीले परिणाम उत्पन्न हो सकतें है।
4- स्मृतिसागर रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।

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