Last Updated on February 17, 2023 by admin
बच्चा पैदा होने पर यदि उसकी हालत मरे हुए बच्चे की तरह हो और उसकी सांस नहीं चल रही हो तो ऐसे में बच्चे के मुंह में मुंह डालकर या अन्य विधि से उसके अंदर फेफड़ों में हवा पहुंचाना चाहिए। इस तरह बच्चे के फेफड़ों में हवा पहुंचाने से उसकी धड़कने चल सकती हैं और वह जीवित हो सकता है।
जन्म के समय शिशु मुर्दे जैसा होने पर होम्योपैथिक इलाज :
रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
- अधिक समय तक प्रसव का दर्द (बच्चे के जन्म देते समय होने वाला दर्द) होने पर या बच्चे के जन्म देने के समय स्त्री को जरायु की बीमारी रहने पर बच्चा मुर्दे जैसा पैदा होता है। ऐसे में खून का बहाव व शरीर की आंतरिक क्रिया रुकने से बच्चे के सांस में रुकावट आ जाती है जिसके कारण बच्चा रो नहीं पाता। बच्चे के जन्म के समय ऐसी अवस्था उत्पन्न हो तो विभिन्न उपाय करें – बच्चे के जन्म के समय यदि उसके गले में नाल लिपटी हुई हो तो पहले जल्दी से उस नाल को गले से हटाएं। अगर नाभि की नाड़ी चलती हो तो बच्चे की नाभि को न काटे और बच्चे के मुंह और गले में भरे हुए बलगम को जल्दी से साफ करें। यदि नाड़ी न चल रही हो तो तुरन्त बच्चे की नाल बांध दें। इसके बाद बच्चे की नाक को अंगुलियों से पकड़कर उसके मुंह में फूंक मारकर बच्चे के फेफड़ो में हवा भरें और उसके छाती पर आराम से इस तरह दबाव डाले की उसके अंदर भरी हुई हवा बाहर निकल जाए। इस तरह इस क्रिया को लगभग 14-15 बार करें। इस क्रिया को करने के 10 मिनट बाद ही बच्चे की सांस चलने लगेगी। यदि इस क्रिया को करने के 10 मिनट बाद भी बच्चे की सांस न चलती हो तो दूसरा प्रयोग करना चाहिए। इस क्रिया में बच्चे के छाती पर पहले हल्के गर्म पानी से एक बार छींटा मारे और फिर दूसरी बार ठण्डे पानी का छींटा मारे तथा सूखे हाथों से बच्चे के हाथ-पैर और पीठ की हल्की-हल्की मालिश करते रहें। इस क्रिया को करते समय विशेष ध्यान रखें कि बच्चे के मुंह पर हवा लगने में किसी प्रकार की रुकावट न हो। यह काम बहुत ही सावधानी व आराम से करना चाहिए। इस क्रिया द्वारा मुर्दे की अवस्था में पैदा हुए कुछ बच्चे तुरन्त ही सांस लेने लगते हैं। कभी-कभी इस क्रिया के बाद बच्चे में लगभग 3 घंटे बाद सांस चलती है।
- जन्म के समय बच्चा मुर्दे की तरह हो तथा उसमें किसी प्रकार की कोई हलचल न हो और उसका सिर गर्म हो, उसके ब्रह्मण्ड पर गर्म मैदा या नमक का सेंक देने से धीरे-धीरे उसकी सांस चलने लगती है। इस क्रिया को सावधानी से करना चाहिए।
जन्म के समय बच्चा मुर्दे की तरह हो और उसमें जीवित होने के कोई लक्षण न दिखाई पड़ रहे हो तो बच्चे के जीभ के अगले भाग पर ओपियम औषधि की 30 शक्ति या ऐण्टिम-टार्ट औषधि की 30 शक्ति की 1 से 2 मात्रा लगा देनी चाहिए। ऐण्टिम-टार्ट औषधि के प्रयोग से लाभ न मिले और इसके प्रयोग से बच्चे की हालत खराब हो गई हो और बच्चा मुर्दे जैसा हो गया हो तो बच्चे के जीभ के अगले भाग पर आर्निका औषधि की 6 या 30 शक्ति की 2 से 3 मात्रा देनी चाहिए।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)