Last Updated on February 8, 2023 by admin
रेटिना (आंखों का पर्दा) क्या है ? :
जिस प्रकार से कैमरे में बाहर एक शीशा लगा होता है जिसमें से रोशनी जाकर पीछे लगे प्लेट पर पहुंचती और उस प्लेट पर बाहर की वस्तु का चित्र बन जाता है वैसे ही आंखें भी कैमरे की तरह का अंग है। इसमें बाहर की तस्वीर आंख के अन्दर लगे कांच के लेन्स में से होकर आंखों के पर्दे पर पड़ती है। इसी पर्दे को अंग्रेजी में रेटिना तथा हिन्दी में आंखों का पर्दा (चित्र-पट) के नाम से जाना जाता है।
आंख की रेटिना में खून जमा होना :
आंखों के पर्दे में खून जमा होने पर औषधियों के द्वारा उपचार :-
ऐकोनाइट :
यदि ठण्डे पानी या ठण्डी हवा के कारण चित्र-पट में खून जमा हुआ हो तो उसका उपचार करने के लिए इस ऐकोनाइट औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
सैन्टोनीन :
अगर चित्र-पट में खून जमा होने पर अधिक परेशानी हो रही हो तथा बोझ पड़ने पर, आंख से ज्यादा बारीक काम करने के कारण देखने में भी परेशानी हो रही हो तो इस सैन्टोनीन औषधि की 3X मात्रा तथा 30 शक्ति का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
कैक्टस :
इस औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग चित्र-पट में खून जमा होने के रोग को ठीक करने के लिए करें तो यह रोग जल्दी ही ठीक हो जायेगा। इस कैक्टस औषधि का उपयोग हृदय रोग को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
पल्सेटिला :
यदि स्त्रियों को मासिकधर्म में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने के कारण उनके चित्र-पट में खून जमा हुआ है तो उसे ठीक करने के लिए इस पल्सेटिला औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
डियुबांयसिया :
यदि दृष्टि-क्षेत्र में लाल धब्बे उड़ते हुए दिखाई दे रहे हो तो इस डियुबांयसिया औषधि की 30 या 12 शक्ति का उपयोग करके इस रोग को ठीक किया जा सकता है।
आंख की रेटिना में सूजन :
आंखों के पर्दे में सूजन होने पर विभिन्न औषधियों के द्वारा उपचार :-
बेलाडोना :
यदि चित्र-पट में हाल ही में सूजन हुई हो तो उसे ठीक करने के लिए इस औषधि का उपयोग लाभदायक होता है। आंख के चित्र-पट में सूजन होने के साथ ही आंखें फूली और बाहर की ओर निकली हुई महसूस हो रही हो, घूरती हुई लग रही हो, आंखों में अधिक चमक दिखाई दे रही हो और आंखों में तीर गड़ने जैसी चुभन हो रही हो तो उसे ठीक करने के लिए इस बेलाडोना औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
मर्क कौर :
किसी पुराने रोग के कारण आंख के चित्र-पट में सूजन हो गई हो तथा इसके साथ ही रोशनी सहन न हो रही हो और रात के समय में कष्ट अधिक हो रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए मर्क सौल की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे ही लक्षणों को ठीक करने के लिए मर्क कौर की 30 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
फॉस्फोरस :
आंख के चित्र-पट में सूजन हो गई हो तथा रोशनी अच्छी नहीं लग रही हो और आंखें चौंधियां रही हो, सुबह तथा शाम के समय में कुछ आराम मिल रहा हो, जलती मोमबत्ती के चारों ओर हरे रंग का चक्र दिखाई दे रहा हो और अक्षर लाल दिखाई दे रहे हो तो ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
कैलि आयोडाइड :
यदि आंख के चित्र-पट में सूजन होने का कारण उपदंश रोग हो तो उस रोग को ठीक करने के लिए 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
एपिस :
आंख के चित्र-पट में सूजन होने के कारण से मूत्र में ऐलब्यूमिन आ रही हो तथा आंख के पपोटे में सूजन हो, शरीर में यहां-वहां सूजन दिखाई दे रही हो, प्यास कम लग रही हो और चित्र-पट के नीचे पानी पड़ जाए तब इस एपिस औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
आर्सेनिक ऐल्बम :
आंख के चित्र-पट में सूजन होने के साथ ही पेशाब में ऐलब्यूमिन आती है, रोगी बेचैन होता है, आधी रात के समय में बेचैनी बढ़ जाती है, वह घूंट-घूंट पानी पीता है और प्यास लगती है। ऐसे रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए इस आर्सेनिक ऐल्बम औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभदायक है।
जेल्सीमियम :
इस रोग के होने के साथ ही गर्भावस्था में ऐलब्यूमिन आती है। रेटिना के पट पर रक्त निकल आता है, सफेद दाग पड़ जाते हैं। इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 30 या 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। इस औषधि का सेवन प्रति सप्ताह दो महीने तक करना चाहिए फिर 1M का प्रयोग हर 15 दिन पर करना चाहिए।
आंख की रेटिना से रक्त-स्राव होना :
आंखों के पर्दे से रक्त-स्राव होने पर विभिन्न औषधियों के द्वारा उपचार :-
आर्निका :
यदि किसी प्रकार से आंखों पर चोट लगने के कारण रेटिना से रक्तस्राव हो रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए इस आर्निका औषधि की 1x की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
हैमैमेलिस :
यदि आंख से अधिक रक्त-स्राव हो रहा हो तो इस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है। बवासीर के रोग को ठीक करने के लिए भी हैमैमेलिस का उपयोग किया जाता है।
फॉस्फोरस :
यदि आंखों के कई जगह से रक्त-स्राव हो रहा हो तो उसे ठीक करने के लिए इस फॉस्फोरस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
लैकेसिस :
चित्र-पट में रक्त-स्राव होने पर इस औषधि का उपयोग अधिक लाभदायक है। इसके उपयोग से रक्त-स्राव बंद हो जाता है तथा सूजन भी नहीं रहती है। आंख की नर्व तथा रेटिना की सूजन, रक्त-संचय तथा रक्त-स्राव ये तीनों प्रकार के रोग में लाभकारी औषधि मानी गई है।
कौटेलस :
यह कौटेलस औषधि लैकेसिस औषधि की तरह ही सर्प का विष है। अक्षिगोलक के आन्तरिक-भाग में रक्तस्राव, रेटिना के रक्त-स्राव को सुखा देने में उपयोगी है।
आंख की रेटिना का उखड़ जाना :
(रेटिना का अपने स्थान से हट जाना)
एपिस :
अगर हाल ही में आंख का चित्र-पट उखड़ गया हो तथा आंख में डंक लगने जैसा दर्द हो रहा हो, पलकों में सूजन हो तो इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
जेल्सीमियम :
यदि किसी प्रकार से चोट लगने के कारण आंख का चित्र-पट उखड़ जाए तो इस औषधि की 1 शक्ति का उपयोग करने के बाद ऑरम म्यूर औषधि की 6 शक्ति का हर दूसरे घंटे में प्रयोग करना चाहिए। पहले दो महीने तक जेल्सीमियम प्रति सप्ताह 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए फिर हर 15 दिन के बाद 1M शक्ति की मात्रा दो महीने तक लेनी चाहिए।
ऑरम मेट :
रेटिना के अपने पटल से हट जाने में इस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग लाभदायक होता है। आंख के ऊपर के भाग से तो कुछ दिखाई नहीं देता, ऐसा लगता है कि ऊपर के हिस्से पर काला पर्दा पड़ा हुआ है, नीचे के आधे हिस्से से दिखाई देता है। रेटिना सूज जाती है तथा उसमें दाग पड़ जाते हैं। इस प्रकार के लक्षणों का उपचार करने के लिए ऑरम मेट औषधि का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका :
चोट लगने से रेटिना यदि अपने स्थान से हट जाए तो उसे ठीक करने के लिए इस औषधि आर्निका की 1M का सेवन करना चाहिए।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)