अचार खाने के फायदे और नुकसान

Last Updated on March 8, 2022 by admin

रसोई में मिलने वाले तरह तरह के अचार का नाम सुनते ही मुँह में पानी आने लगता है। कोई भी ऐसा घर नहीं मिलेगा जिसकी रसोई में अचार नहीं हो। मौसम के अनुसार हर घर में बदल-बदल कर अचार तैयार किए जाते हैं। इन अचार को तैयार करने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के मसाले प्रयोग किये जाते है। आपको ये जानकर बहुत ही हैरानी होगी की ये मसाले सिर्फ टेस्ट के लिए नहीं प्रयोग किये जाते है बल्कि इनमें बहुत से औषधीय गुण होते है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते है।

अचार खाने के फायदे (Health Benefits of Pickle)

अचार में पड़ने वाले मसाले मुख्य रूप से दीपन और पाचन का काम करते है तथा भोजन के प्रति रुचि को बढ़ाते है। अचार में प्रमुख रूप से निम्न मसालों का प्रयोग किया जाता है।

  1. मेथी दाना
  2. हल्दी पाउडर
  3. हींग
  4. राई
  5. सौंफ
  6. जीरा
  7. अजवाइन

मेथी के गुण :

  • आयुर्वेदिक मतानुसार मेथी स्वाद में कटु, गुण में भारी, स्निग्ध, होता है।
  • वीर्य में उष्ण, विपांक में कटु होता है।
  • वात कफ नाशक, ज्वर नाशक, गर्भाशय संकोचक, स्तन एवं जनन पीड़ा, शोथहर, दीपन, पाचक, अग्निवर्धक, दाह नाशक होती है।
  • यह कृमि, अजीर्ण, भूख न लगना, कामशक्ति की कमजोरी, सूजन, गठिया, मधुमेह, बाल रोग, कब्ज़, वात रोग, अनिद्रा, मोटापा,में गुणकारी है।

अजवाइन के गुण :

  • आयुर्वेद के मतानुसार अजवाइन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गर्म, चटपटी, हल्की, दीपन, कड़वी, पित्त वर्धक होती है।
  • इसके विषय में एक कहावत है – ‘एकाजवानी शतमन्ना पचिका‘ अर्थात अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को पचाने वाली होती है।
  • अपने इन्हीं गुणों के कारण अजवाइन कफ, वायु, पेट का दर्द, वायु गोला, आफरा तथा कृमि रोग को नष्ट करने में समक्ष है।

सौंफ के गुण :

  • यह क्षुधावर्धक, अग्निदीपक, अम्लपित्त नाशक, पाचक, अनुलोमक, होता है।
  • सौंफ का प्रयोग न केवल भोजन में बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसके कई विशेष गुणों का वर्णन किया गया है।
  • इसे फेंनेल सीड (Fennel Seeds) कहा जाता है।
  • सौंफ़ सुगंधित और स्वादिष्ट सूखे बीज होते हैं और अक्सर खाना पकाने में उपयोग किया जाता है।
  • लोग आमतौर पर, भारत में भोजन के बाद सौंफ खाते है।
  • यह भोजन को पचाने में मदद करता है और पेट में गैस के गठन को रोकता है।
  • यह अम्लपित्त, जलन आदि रोगों के इलाज के लिए उत्तम औषधि है।
  • यह एक सुगन्धित द्रव्य होने के कारण यह मुख की दुर्गन्ध दूर करता है।
  • सौंफ में मौजूद तत्व पाचन क्रिया को ठीक रखने में सहायक होने है और श्वसन संबंधी समस्याएँ को दूर करने में उपयोगी सिद्ध हुए है।

हींग के गुण :

  • पेट से सम्बंधित बीमारियों के लिए हींग बहुत गुणकारी है।
  • आयुर्वेदिक में हींग को हिंगु नाम से जाना जाता है।
  • हींग वायु दोष को दूर करता है तथा सभी प्रकार के पेट रोग में गुणकारी है।
  • हींग का पुराने जमाने से ही पेट की बीमारियों को ठीक रखने के लिए प्रयोग किया जाता रहा हैं।
  • यह गैस से राहत देता हैं और पाचन तंत्र को ठीक रखता हैं, इसके नियमित सेवन से खाना आसानी से और प्राकृतिक तरीके से पच जाता हैं।
  • इसके अलावा यह अम्लता, पेट का भारीपन और पेट की संबंधित अन्य रोगों को भी दूर करने में सहायक हैं।
  • इसका प्रयोग पुरानी कब्ज और पेट में दर्द में भी किया जाता है।

राई के गुण :

  • राई अग्निदीपक, पाचक, उत्तेजक, एवं पसीना लाने वाली बड़ी गुणकारी औषधि हैं।
  • राई के सेवन से वायु एवं कब्ज की अधिकांश बीमारियां नष्ट हो जाती है।
  • यह अफारा, पेट दर्द व शरीर के दर्द को भी नष्ट करती है।
  • इसमे तेल अधिक मात्रा में होने से शरीर में स्निग्धता को बढ़ाती है।

जीरा के गुण :

  • यह उष्ण, वातानुलोमक, दीपन और पाचन होता है।
  • ये मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।
  • एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा शरीर मे वसा का अवशोषण कम करता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करने में मदद मिलती है।

हल्दी के गुण :

  • हल्दी में पाए जाने वाले अनेक प्रकार के तत्व हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
  • आयुर्वेद के अनुसार हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक,शोथनाशक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है।
  • हल्दी की तासीर गर्म होती हैं ।
  • यह कफ पित्त नाशक, त्वचा रोग नाशक, वर्ण्य, कामला पांडु नाशक होता है।
  • यह मधुमेह में भी लाभ पहुंचता है।
  • हल्दी के सेवन से पेट में छिपे जीवाणु नष्ट होते हैं।
  • इसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो हमारे शरीर की के दर्द और सूजन को कम करते हैं और कैंसर से हमारा बचाव करते हैं।
  • एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हल्दी हमें फेफड़ों और मस्तिष्क आदि रोगों से बचाने में भी मदद करती हैं।

अचार खाने के नुकसान (Side Effects of Achar)

इतने गुणों के बावजूद अचार का अत्यधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अचार में काफी मात्रा में सोडियम क्लोराइड यानी नमक होता है जो हाइपरटेंशन , एवं हार्ट की बीमारी से परेशान लोगों के लिए ठीक साबित नहीं होता है।

अचार को घर में ही बनाकर प्रयोग करना चाहिए क्योंकि बाजार में मिलने वाले अचार में प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। किसी किसी आचार में बहुत ज्यादा तेल, नमक और सिरके का इस्तेमाल होता है जिससे अधिक मात्रा में यह सेहत के लिए नुकसान देय साबित हो सकता है। जिस अचार में चीनी का इस्तेमाल भी किया जाता है, वह डायबिटीज के मरीजों के लिए ठीक नहीं होता है।

Leave a Comment

Share to...