शुबह खाली पेट भीगे हुए मुनक्का खाने के फायदे | Health Benefits Raisins in Hindi

Last Updated on December 4, 2021 by admin

मुनक्का क्या चीज होती है ? : Munakka in Hindi

मुनक्का दरअसल अंगूर का ही सूखा हुआ रूप है जो दाख, मुनक्का, द्राक्षा आदि के नाम से पुकारा जाता है। बड़े आकार के अंगूर सूखने पर दाख, द्राक्षा या मुनक्का कहलाते हैं। जबकि छोटे आकार वाले अंगूर सूख जाने पर किसमिस कहे जाते हैं।

वास्तव में अंगूर, दाख, द्राक्षा, मुनक्का, किसमिस सब एक ही जाति की लता से पैदा होने वाले फल हैं जो कच्चे, पके हुए बीजहीन, छोटे, बड़े, सूखे हुए आदि विभिन्न रूप और अवस्था के कारण ही अलग-अलग नामों से पुकारे जाते हैं।

अंगूर मूलतः फारस व अफगानिस्तान देशों की उपज है पर अब भारत में भी पैदा होता है फिर भी उत्तर पश्चिमी भारत में इसकी सर्वाधिक उपज होती है। इसके अलावा औरंगाबाद, दौलताबाद नासिक आदि स्थानों पर भी पैदा किया जाता है पर सीमा प्रान्त के अंगूर जैसा मधुर व गुणकारी नहीं होता और सबसे अच्छा अंगूर तो आज भी फारस व अफगानिस्तान का ही होता है।

यह मुख्यतः हरे और काले रंग का होता है। ताज़ा, मीठा, हरा अंगूर रक्त शुद्ध करने वाला, रुधिर को पतला रखने वाला, प्यास मिटाने वाला, हृदय को बल देने वाला, जल्दी पचने वाला और रक्तवर्द्धक होता है जबकि सूख कर मुनक्का (द्राक्षा) बन चुका अंगूर शान्तिदायक, दस्तावर, मृदु और पौष्टिक आहार बन जाता है तथा प्यास, शरीर की बढ़ी हुई गर्मी, कफ और क्षय रोग को नष्ट करने वाला हो जाता है।

मुनक्का का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Munakka in Different Languages

Munakka in –

  • संस्कृत (Sanskrit) – द्राक्षा
  • हिन्दी (Hindi) – दाख, मुनक्का, अंगूर
  • मराठी (Marathi) – द्राक्ष, अंगूर
  • गुजराती (Gujarati) – दराख
  • बंगला (Bengali) – मनेका, आंगुर
  • तेलगु (Telugu) – द्राक्षा
  • कन्नड़ (Kannada) – द्राक्षे
  • पंजाबी (Punjabi) – गोस्तनी
  • तामिल (Tamil) – कोडिमडि
  • फारसी (Farsi) – मवेज, अंगूर
  • इंगलिश (English) – ग्रेप (Grape)
  • लैटिन (Latin) – वाइटिस विनिफेरा लिन. (Vitis Vinifera Linn.)

मुनक्का के औषधीय गुण : Munakka ke Gun in Hindi

  • मुनक्का दस्तावर, शीतल, नेत्रों के लिए हितकारी होता है ।
  • यह पोषक, श्रमहर और तृप्तिदायक होता है ।
  • यह पचने में भारी, स्वर को उत्तम करने वाला स्निग्ध, मल मूत्र की प्रवृत्ति करने वाला होता है ।
  • मुनक्का कोष्ठ में वातकारक, वृष्य (टॉनिक), कफ-पुष्टि तथा रुचिकारक होता है।
  • यह प्यास, ज्वर, श्वास कष्ट, वात, वातरक्त, कामला, मूत्रकच्छ (पेशाब करने मे जलन या कष्ट) को दूर करता है।
  • यह रक्तपित्त, मोह, दाह शोष और मदात्यय रोग(शराब की लत) को दूर करता है।
  • कच्चा व खट्टा अंगूर हानिकारक होता है। बड़ा अंगूर सूख जाने पर जब द्राक्षा (मुनक्का) हो जाता है तब यह वीर्यवर्द्धक, भारी, क़ब्ज़नाशक, शीतवीर्य और कफ व पित्त का शमन करने वाला हो जाता है।

मुनक्का के उपयोग : Munakka Uses in Hindi

मुनक्का का उपयोग कब्ज का नाश करने, शरीर में बढ़ी हुई खुश्की व उष्णता दूर करने, तृषा का नाश करने, रोगी की निर्बलता दूर करने एवं पथ्य आहार के रूप में सेवन करने, अरुचि दूर करने आदि के लिए किया जाता है।

किसी भी रोग का रोगी, जिसके लिए अन्य पदार्थ खाना वर्जित होता है, वह भी मुनक्का का सेवन पथ्य के रूप में कर सकता है। आयुर्वेदिक योग द्राक्षासव, द्राक्षारिष्ट, द्राक्षावलेह, द्राक्षाद्य घृत द्राक्षादि क्वाथ आदि मुनक्का यानी द्राक्षा से ही बनाये जाते हैं जो बाज़ार में मिलते हैं। इसके कुछ घरेलू प्रयोग प्रस्तुत हैं –

शुबह भीगे हुए मुनक्का खाने के फायदे : Benefits of Eating Soaked Raisins in The Morning in Hindi

पेशाब की रुकावट में भीगे हुए मुनक्का खाने के फायदे (Benefits of Soaked Raisins in Urinary Tract Obstruction Disease in Hindi)

पेशाब की रुकावट खोलने के लिए 10-15 मुनक्का एक कप पानी में रात को भिगो दें। सुबह इसी पानी में इसे मसल छान कर पी लें। पेशाब खुल कर आने लगेगा।

( और पढ़े – बंद पेशाब को खुलकर लाने के आयुर्वेदिक उपाय )

प्यास दूर करने में भीगे हुए मुनक्का खाना लाभदायक (Soaked Raisins Benefits to Treat Thirst problem in Hindi)

पित्त प्रकोप या बुखार के कारण लगने वाली प्यास को दूर करने के लिए मुनक्का सेन्धा नमक लगा कर खाने और पानी में भिगोई हुई मुनक्का मसल छान कर पीने से प्यास का शमन होता है और तरावट आती है।

( और पढ़े – अधिक प्यास लगने के 37 घरेलू उपचार )

सिर दर्द दूर करने में भीगे हुए मुनक्का के प्रयोग से लाभ (Benefits of Raisins in Headache Problem in Hindi)

  • धूप में घूमने, पित्त बढ़ने, अधिक गर्मी पड़ने आदि कारणों से सिरदर्द हो, अधिक मानसिक श्रम के कारण सिरदर्द हो तो अंगूर का रस या 20-25 मुनक्का एक कटोरी पानी में थोड़ी देर गला कर मसल छान कर पीने से आराम होता है।
  • आधा सीसी क दर्द को दूर करने के लिए 20-25 मुनक्का और 2 चम्मच धनिया एक कप पानी में उबाल कर ठण्डा करें व मसल छान कर पी लें। इससे आधा सीसी ठीक होती है।

( और पढ़े – सिर दर्द दूर करने के 41 घरेलू नुस्खे )

जलन दूर करने में भीगे हुए मुनक्का का उपयोग फायदेमंद (Benefits of Raisins in Cure Painful Urination in Hindi)

आमाशय में बढ़े हुए पित्त के कारण होने वाली जलन और पेशाब में होने वाली जलन को दूर करने के लिए 5-6 मुनक्का, पित्त पापड़ा और आंवला चूर्ण 1-1 चम्मच रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इसे मसल छान कर 2 चम्मच शक्कर डाल कर पी लें। बहुत गुणकारी योग है।

( और पढ़े – शरीर मे जलन के आयुर्वेदिक उपचार )

अम्लपित्त से राहत दिलातें है भीगे हुए मुनक्का (Benefits of Raisins in Acidity in Hindi)

अम्लपित्त बढ़ जाने को हायपरएसिडिटी कहते हैं। मुंह में खट्टा पानी आना, खट्टी डकारें आना, गले में डकार के साथ खट्टा व चरपरा पानी आना, छाती व पेट मे जलन होना, मुंह से गर्म बफारे निकलना, छाया में होने पर भी ऐसा लगना जैसे धूप में हों, मुंह में छाले होना इस व्याधि के लक्षण हैं। इसके लिए मुनक्का और सौंफ 20-20 ग्राम लेकर कूट लें और एक गिलास पानी में रात को भिगो कर रख दें। सुबह मसल छान कर एक चम्मच पिसी मिश्री डाल कर पीने से लाभ होता है।

( और पढ़े – एसिडिटी दूर करने के घरेलू नुस्खे )

गर्भावस्था के दौरान भीगे हुए मुनक्का खाने से होता है लाभ (Benefits of Raisins in Pregnancy in Hindi)

गर्भवती स्त्री को 10-10 मुनक्का एक कप पानी में रात को भिगो कर सुबह और सुबह भिगो कर रात को सोते समय, गर्भपाल रस की 2-2 गोली खा कर, पीना चाहिए। मुनक्का को पानी में मसल कर पीना चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु व गर्भवती को बहुत लाभ होता है।

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सूखी खांसी में मुनक्का खाने के फायदे (Raisins Benefits to Cure Dry cough Disease in Hindi)

  • मुनक्का और मिश्री मुंह में रख कर चूसने से सूखी खांसी में आराम होता है।
  • मुनक्का, आंवला, खजूर, पीपल, काली मिर्च 50-50 ग्राम लेकर पीस लें। एक चम्मच मात्रा में इसे घी शक्कर के साथ सुबह शाम चाटने से सूखी खांसी ठीक होती है।

( और पढ़े – खांसी और कफ दूर करने के देसी उपाय )

ज्वर में मुनक्का के प्रयोग से लाभ (Benefits of Raisins in Cure Fever in Hindi)

ज्वर में मुनक्का और अंगूर का सेवन पथ्य है। इनके सेवन से दाह, प्यास, अरुचि, व्याकुलता, मलावरोध, सिरदर्द, खांसी आदि कष्ट दूर होते हैं और ज्वर से बढ़ी हुई खुश्की खत्म होती है। 8-10 मुनक्का पिसी काली मिर्च व सेंधा नमक लगा कर खाने से मुंह का सूखना बन्द होता है, अरुचि दूर होती है। पित्त ज्वर में अंगूर का रस पिलाने से शरीर की जलन, सिरदर्द, घबराहट आदि में लाभ होता है।

कब्ज में मुनक्का से फायदा (Benefits of Raisins in Cure Constipation in Hindi)

20-25 मुनक्का तवे पर थोड़ा घी डाल कर सेक लें और सेंधा नमक व काली मिर्च लगा कर रात को सोते समय खूब चबा-चबा कर खा लें। सुबह दस्त साफ होगा। यही प्रयोग बवासीर, अम्लपित्त (हायपरएसिडिटी), रक्त पित्त, जी मचलाना आदि के लिए भी लाभप्रद है।

घरेलू प्रयोगों का विवरण प्रस्तुत करने के बाद बाज़ार में बने बनाये मिलने वाले मुनक्का(द्राक्षा) के आयुर्वेदिक योगों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं।

मुनक्का से निर्मित आयुर्वेदिक दवा (योग):

1- द्राक्षासव – फायदे और गुण

यह आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध योग है। अपच, मन्दाग्नि, उदावृत, ग्रहणी, बवासीर, शिरोरोग, नेत्र रोग, आम, कामला, कृमि, व्रण आदि व्याधियों को नष्ट करने के लिए द्राक्षासव का सेवन गुणकारी है। इसके सेवन से पाचन सुधरता है, भूख लगती है पेट ठीक से साफ़ होता है, नींद अच्छी आती है। 2-2 चम्मच आधा कप पानी में, भोजन के बाद सेवन करना चाहिए।

2- द्राक्षारिष्ट – फायदे और गुण

यह श्वास, खांसी व दौर्बल्य दूर करने के लिए उत्तम योग है। यह छाती में जमे कफ को धीरे धीरे पतला करके निकाल देता है, रक्त बढ़ाता है, स्फूर्ति पैदा करता है, कब्ज का नाश करता है और शरीर को पुष्ट करता है। इसे भोजन के बाद सुबह शाम आधा कप पानी में डाल कर 2-2 चम्मच मात्रा में लेना चाहिए।

3- द्राक्षावलेह – फायदे और गुण

इसके सेवन से अम्लपित्त, पित्त प्रकोप, रक्त पित्त, जलन, पाण्ड़ रोग, कामला, तृष्णा, क्षय, शोथ, सिर दर्द, अरुचि, कोष्ठबद्धता, मन्दाग्नि, अपच, बवासीर, खूनी बवासीर आदि रोग नष्ट होते हैं। यह शरीर को बलपुष्टि देने वाला स्वादिष्ट योग है और बाल वृद्ध स्त्री-पुरुष सभी के लिए उपयोगी है।

4- द्राक्षादि चाटन – फायदे और गुण

यह योग भी अन्य योगों की तरह गुणकारी है। कोमल शरीर व स्वभाव की स्त्रियों, गर्भवती स्त्रियों और बच्चों को उदर शुद्धि और क़ब्ज़ दूर करने के लिए इसका प्रयोग निरापद रूप से गुणकारी होता है। उदर रोग और पुरानी कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को इस योग का प्रयोग तीन-चार माह तक सुबह शाम करना चाहिए।

इन योगों में से किसी भी एक योग का सेवन ज़रूरत के अनुसार करना चाहिए।

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