Last Updated on December 4, 2022 by admin
एनल फिशर (गुदा चिरना) क्या है ? (Anal Fissure in Hindi)
यह रोग मलद्वार के छोर पर छोटे दाने निकल आने के कारण, दाने वाले जगह पर गुदा चिर जाने से उत्पन्न होता है। इसे गुदा चिर जाने का रोग कहते हैं। इस रोग के होने पर रोगी मल (पैखाना) त्याग करने से डरता रहता है। जिससे रोगी को कब्ज हो जाता है। इस रोग में रोगी को ऐसा भोजन करना चाहिए जिससे मल त्याग करने में आसानी हो एवं कब्ज न बनें। रोगी को नियमित आहार लेना चाहिए।
एनल फिशर के लक्षण (Anal Fissure ke Lakshan)
गुदा के छोर पर चने जितना दाने (व्रण) निकल आते हैं और दाने फूट जाने पर दाने वाले जगह पर गुदा आधा से 3 सेमी तक चिर जाता है। मल त्याग करते समय गुदा चिर जाने से तेज दर्द होता है जिससे रोगी मल (पैखाना) त्याग करने से डरता है और मल न त्यागने के कारण उसे कब्ज हो जाता है।
एनल फिशर का घरेलू उपचार (Anal Fissure ka Gharelu Upchar)
1. अंजीर : सूखा अंजीर 350 ग्राम, पीपल का फल 170 ग्राम, निशोथ, सौंफ, कुटकी और पुनर्नवा 100-100 ग्राम। इन सब को मिलाकर कूट लें और कूटे हुए मिश्रण के कुल वजन का तीन गुने पानी के साथ उबालें। एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें 720 ग्राम चीनी डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे एनल फिशर रोग दूर होता है।
2. आंवला : मीठा आंवला 60 ग्राम, मुलहठी 60 ग्राम और कच्ची हरड़ 60 ग्राम को कूट-पीस व छानकर पाउडर बना लें। मुनक्का 450 ग्राम, बादाम 650 ग्राम और गुलकन्द 680 ग्राम बीजों को पीस लें और उसमें पाउडर डालकर पुन: अच्छी तरह से पीसें। यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध या पानी के साथ रात को सोते समय पियें। इससे एनल फिशर ठीक होता है।
3. हरड़ : पीली हरड़ 35 ग्राम को सरसों के तेल में तल लें और भूरे रंग का होने पर पीसकर पाउडर बना लें। उस पाउडर को एरण्ड के 140 मिलीलीटर तेल में मिला लें। रात को सोते समय एनल फिशर (गुदा चिरन) पर लगायें। इससे एनल फिशर रोग दूर होता है।
4. भांगरा : भांगरा की जड़ और हल्दी के चूर्ण को पीसकर लेप करने से गुदाभ्रंश व एनल फिशर में लाभ होता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)