Last Updated on October 21, 2023 by admin
अर्श कुठार रस क्या है ? : Arsh Kuthar Ras in Hindi
अर्श कुठार रस (Arsh Kuthar Ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है। इस औषधि का उपयोग बवासीर,कब्ज आदि के उपचार में किया जाता है ।
अर्श कुठार रस के घटक द्रव्य :
- शुद्ध पारा
- शुद्ध गन्धक
- लोहभस्म
- अभ्रकभस्म
- बेलगिरी
- चित्रकमूल
- कलिहारी
- सोंठ
- मिर्च
- पीपल
- पित्तपापड़ा
- दन्तीमूल
- सोहागे का फूला
- जवाखार,
- सैंधानमक
- थूहर
अर्श कुठार रस बनाने की विधि :
शुद्ध पारा १ भाग, शुद्ध गन्धक २ भाग, लोहभस्म और अभ्रकभस्म ३-३ भाग, बेलगिरी, चित्रकमूल; कलिहारी, सोंठ, मिर्च, पीपल, पित्तपापड़ा और दन्तीमूल १-१ भाग, सोहागे का फूला, जवाखार, सैंधानमक ५-५ भाग सबको मिला खरल करके ३२ भाग गोमूत्र में पाचन करें। फिर थूहर का दूध ३२ भाग डाल मन्दाग्नि पर पकाकर १-१ रत्ती की गोलियाँ बनावें।
(यो.र.)
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
अर्श कुठार रस सेवन विधि और अनुपान :
- १ से २ गोली २१ दिन तक सुबह कुटजावलेह, गुलकन्द अथवा जल के साथ देवें।
- रक्तार्श होने पर अनुपान कुटजावलेह और तक्र देना चाहिये।
- मलावरोध होने पर गुलकन्द, मुनक्का, हरड़ का मुरब्बा या ताजा मट्ठा हितावह है।
- रोग जीर्ण होने पर यदि विशेष लक्षण प्रतीत न हों तो केवल मट्ठा या जल के साथ अर्शः कुठार रस दिया जाता है।
अर्श कुठार रस के फायदे और उपयोग : Arsh Kuthar Ras ke Fayde in Hindi
1. यह रस सब प्रकार की बवासीर-रक्तार्श, वातार्श आदि को छेदन करने में कुल्हाड़ी के समान है।
अर्श(बवासीर) में इसके सेवन से अच्छा लाभ होता है। यदि बवासीर ज्यादा दिन का न हो, तो मस्से सूख जाते हैं, बवासीर में -प्रायः कब्ज की शिकायत रहने से साफ दस्त होने में बहुत तकलीफ होती है, परन्तु इसके सेवन से कब्ज नहीं होने पाता, दस्त साफ होने लगता है।( और पढ़े – बवासीर के 52 देसी नुस्खे)
2. अर्श (बवासीर)खुनी और बादी भेद से दो प्रकार का होता है। खूनी में तो मस्सों द्वारा खून निकलता रहता है और बादी में खून नहीं निकलता। मस्सों में वायु भर जाने से मस्से फूल जाते हैं और उनमें से सुई चुभोने-सी पीड़ा होती रहती है। इसमें रोगी की परेशानी अधिक बढ़ जाती है, परन्तु दस्त कब्ज दोनों में हो जाता है, अत:जब तक दस्त साफ होता रहता है, बवासीर वाले कों तब तक किसी प्रकार की विशेष तकलीफ नहीं होती, किन्तु दस्त कब्ज होते ही तकलीफ होने लग जाती है। इस कब्जियत को दूर करने के लिये ही अर्शकुठार रस का प्रयोग किया जाता है।
3. इसके सेवन से कोष्ठ, शुद्ध होकर मल-संचय दूर हो जाता है तथा प्रकुपित वायु भी शांत हो जाती है, परन्तु यह जितना जल्दी गुण कफ या वात प्रधान अर्श में करता है, उतना रक्तज में नहीं ।
यदि रक्तार्श नवीन हो तो उसमें भी यह गुण करता है । रक्तातिसार में इसको कुटजावलेह या कुटज छाल के क्वाथ से देने से लाभ होता है।
बादी बवासीर में- गर्म जल के साथ या गुलकंद के साथ देने से लाभ होता है इससे दस्त साफ होता है तथा वायु का प्रकोष भी कम हो जाता है, जिससे मस्से में दर्द नहीं होता है।
4. इसके सेवन से मलशुद्धि बराबर होती रहती है, पाचनशक्ति सबल बनती है और सेवन के आरम्भ से दाह का शमन होता है।
5. अर्श रोग में विशेषत: अग्नि मन्द हो जाती है, उदर में वायु की उत्पत्ति होती है, सरलता से शौच शुद्धि नहीं होती या मलावरोध बना रहता है। यकृत् निर्बल हो जाने से पित्ताशय में से पित्तस्राव कम होता है तथा अरुचि, व्याकुलता और निर्बलता आदि लक्षण भी न्यूनाधिक अंश में प्रायः सभी अर्श रोगियों को होते हैं। इनके अतिरिक्त वातज अर्श में कष्ट या शूलसह दस्त होना, पित्तज अर्श में गुदपाक, दाह, तृषा और रक्तस्रावसह दस्त होना और कफज अर्श में उबाक, मस्तिष्क में भारीपन, निस्तेजमुख मण्डल, आम और कफवृद्धि, मांस के धोवन सदृश मल गिरना आदि लक्षण भी उपस्थित होते हैं। रक्तज अर्श होने पर गुदस्थान पर तीव्र पीड़ा होती है और मल शुष्क हो जाने पर गरम-गरम रक्तस्राव होता है। इनके अतिरिक्त मिश्रित प्रकोपज अर्श में मिश्रित लक्षण भासते हैं। इन सब प्रकारों पर अर्शकुठार रस लाभ पहुँचाता है।
6. इस प्रयोग में पारद, गन्धक योगवाही और कीटाणुनाशक है।
7. लोह भस्म रक्त के रक्ताणुओं को रक्त के भीतर रहे हुए लाल कण (Heamoblogbin) को बढ़ाता है तथा शक्ति प्रदान करता है।( और पढ़े –लौह भस्म के फायदे )
8. अभ्रक भस्म हृदय पौष्टिक और मस्तिष्क पौष्टिक है।( और पढ़े – अभ्रक भस्म के फायदे)
9. त्रिकटु और चित्रकमूल यकृत् के बल को बढ़ाने वाले और अग्निप्रदीपक है।( और पढ़े –त्रिकटु चूर्ण के फायदे गुण और उपयोग )
10. कलिहारी आमपाचक, कीटाणुनाशक और अन्त्र-बलवर्द्धक है, बेलगिरी सारक, शिथिल होने पर अन्त्र का आकुञ्चन (बलवर्द्धक) और दाहशामक है।
11. पित्तपापड़ा आमपाचक, विषहर और कीटाणुनाशक है।
12. दन्तीमूल, थूहर का दूध और गोमूत्र विषहर, आमपाचक, दीपन और मल शुद्धिकर है।
13. सोहागे का फूला, जवाखार और सैंधानमक आमविषोत्पत्तिरोधक और आमपाचक है।
अर्श कुठार रस के नुकसान : Arsh Kuthar Ras ke Nuksan
- अर्श कुठार रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- अर्श कुठार रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
Here are a few key points to consider when taking arsh kuthar ras regularly for 3-4 months:
Arsh kuthar ras is an Ayurvedic herbal preparation that contains ingredients like giloy, manjishtha, neem, kutki, chitrak, triphala, trikatu, etc. It has cleansing and rejuvenating properties.
<> When taken regularly for 3-4 months, arsh kuthar ras may help improve digestion, absorption and elimination. Its detoxifying action can help remove toxins (ama) from the body.
<>It can pacify pitta and kapha doshas. By balancing doshas, it may provide relief from conditions like acidity, bloating, constipation, skin issues etc caused by dosha imbalances.
<> Arsh kuthar ras helps purify the blood (rakta shodhana) which in turn can improve skin health and complexion. Its blood purifying effect makes it useful in skin diseases.
<> Due to its anti-inflammatory and wound healing properties, arsh kuthar ras may help reduce piles swelling and facilitate healing of fissures and fistula. It improves anorectal health.
<> Proper digestion and absorption promoted by arsh kuthar ras ensures improved nutrient availability to cells and tissues. This rejuvenates the body and boosts immunity over time.
However, arsh kuthar ras contains herbs that are hot in nature. Prolonged use may increase pitta in some people. Hence it is best to take under an Ayurvedic doctor’s guidance. Dosage and duration should be as prescribed.
In summary, arsh kuthar ras taken regularly for 3-4 months may provide cleansing, detoxification and rejuvenation effects along with benefits for digestion, skin, immunity and anorectal health. But prolonged use should be monitored by an Ayurvedic doctor.
If I take arsh kuthar ras for 3-4months regularly then what happened