Last Updated on July 22, 2019 by admin
आध्यात्मिक अनुभव : Spiritual experience
★ मुझे सन १९८४ से हाई बी.पी. की बिमारी हो गयी थी । सुरत सिविल हॉस्पीटल के डाक्टरों ने कार्डियोग्राम देखखर कहा था कि तुम ‘एन्जोग्राफीङ्क कराओ । तुम्हें “बायपास सर्जरी” करानी होगी ।
★ १९८७ में मुझे चालू स्कुटर पर एटेक आया और तात्कालिक निदान के लिए सुरत की अशक्ताश्रम अस्पताल में १५ दिन रहा । घर आने के बाद दो दिन पश्चात् पुनः पीडा और चक्कर शुरू होते ही सुरत के न्यु सिविल हॉस्पीटल में दो मास तक इलाज कराया “इको कार्डियोग्राफी” करवाई । ऑपरेशन कराने का निर्देश मिला ।
★ ता. ६-२-१९९० के दिन हृदयरोग का गंभीर हमला हुआ । मुझे बेभान अवस्था में सुरत के महावीर अस्पताल में दाखिल किया गया । मुझे होश में लाकर तात्कालिक बम्बई अस्पताल में दाखिल हो जाने के लिए जताया । बम्बई में एन्जोग्राफी कराकर बायपास सर्जरी करानी होगी, ऐसा डॉक्टरों ने बताया था । डॉक्टरों की रिपोर्ट थी कि हृदय को रक्त देने वाली दो मुख्य नसें १०० % बंद हैं । दूसरी एक ७०% तथा एक ५०% बंद है । अगर जीवित रहना हो तो सप्ताह में ही बायपास सर्जरी करा लो ।
★ उस समय गुरुदेव सूरत आश्रम में विराजमान थे । मेरी पत्नी मुझे वहाँ ले गयी । मुझे दो तीन व्यक्ति पकड कर रिक्शा में से पूज्य बापू के समक्ष लाये । मेरी पत्नी हंसा ने रोते रोते विगत बताकर कहा कि बायपास सर्जरी कराना यह हमारी शक्ति से बाहर की बात है । गुरुदेव ने मुझसे सभी बातें पूछ कर प्रभु स्मरण करने तथा गुरुगीता एवं योगयात्रा पुस्तकों को पढने की आज्ञा की । मेरे लिए तो यह प्रत्यक्ष आशीर्वाद था । पूज्य बापू ने कहा : ‘‘तुम्हें बायपास सर्जरी नहीं करानी होगी । सुबह एक कली का लहसुन और तुलसी के पाँच पत्ते खाओ ?
★ इतना कहने के साथ क्या शक्ति दी, इसका वर्णन मैं किस तरह करूँ ? ‘नजरों से वे निहाल हो जाते हैं जो नजरों में आ जाते हैं । पूज्य बापू की दृष्टि अमृतवर्षा है । मेरे मृत्यु की ओर तीव्र गति से धँसने वाले शरीर को उस दृष्टि से जीवनदान दिया है । अब तो मुझे बहुत ही अच्छा है । डॉक्टरों की रिपोर्ट नोर्मल है । हम दोनों पति-पत्नी ने पूज्य बापू से मंत्र दीक्षा लेकर जीवन को धन्य बनाया है ।
★ मेरी पत्नी ने सवा मन शक्कर एवं २१ श्रीफलों की बाधा पूर्ण की । हम नित्य रविवार को वट बादशाह की प्रदक्षिणा करते हैं । यदि पूज्य बापू की शरण न मिली होती तो आज मैं इस दुनिया में न होता और मेरा परिवार भी अपार दुःख में घसीटा गया होता । मुझ पर गुरुदेव की असीम कृपा है । हमारे जीवनदाता को हमारे लाख लाख प्रणाम ।
-मणीशंकरजी पाठक
सेलटेक्स ऑफीसर, अहमदाबाद ।
श्रोत – ऋषि प्रसाद मासिक पत्रिका (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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