Last Updated on July 22, 2019 by admin
पित्त और वात के, ऊपर आ कर, तालुए को दूषित करने से प्यास पैदा होती है। तृष्णा-रोग सात प्रकार का होता है। जब प्यास का जोर होता है, तब गला, होंठ, मुँह और तालू सूखने लगते हैं और इससे मोह, भ्रम दाह, सन्ताप और बकवाद-ये लक्षण बहुधा होते हैं। सभी लक्षण हमेशा नहीं होते, कभी कम और कभी सभी लक्षण होते हैं।
बार बार प्यास लगने (तृष्णा नाशक) के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय :
(१) बड़ की जटा, महुआ, धान की खील, कूट और कमल गट्टे की गिरीइन को बराबर-बराबर ले कर चूर्ण कर लो। पीछे छान कर शहद में गोली बना लो। इन गोलियों के मुँह में रखने से प्यास शान्त होती है। कोई-कोई महुए की जगह “आमला” लेते हैं। प्यास नाश करने के लिए यह नुसखा उत्तम और परीक्षित है।
(२) बिजौरा, कैथ, अनार, लोध और बेर–इनको बराबर-बराबर ले कर और जल में पीस कर, मस्तक पर लेप करने से दाह और शोष-सहित प्यास आराम होती
(३) जीभ, तालू और कण्ठ सूखते हों और प्यास बहुत ही हो, तो बिजौरे नीबू के रस को घी और सैंधे नमक के साथ पीस कर, मस्तक पर लगाने से तत्काल शान्ति होगी।
(४) नागरमोथा, पित्तपापड़ा, सुगन्धबाला, धनिया, खस और सफेद चन्दन इनको बराबर-बराबर ले कर हाँडी में औटाओ। जब आधा पानी रह जाय, उतार लो। पीछे छान कर शीतल कर लो। इस ‘षडङ्ग पानीय” के पीने से प्यास, दाह और ज्वर शान्त हो जाते हैं।
नोट-इस नुसखे में कुछ आमले भी डाल दो, तो और भी उत्तम हो।
(५) अगर प्यास बहुत ही बढ़ी हो तो पीपल का काढ़ा पिला कर अथवा शीतल जल में शहद मिला कर, गले तक पिला कर और उँगली डाल कर कृय करा दो। कफ़ की प्यास में नीम का काढ़ा पिला कर वमन करा देना अच्छा है। तत्काल फायदा होगा।
नोट-जब प्यास का जोर तो घटे नहीं और पानी पीते-पीते पेट फूल जाय–अफारा हो जाय, तब इन उपायों से काम लेना चाहिये।
(६) आमले, कमल, मीठा कूट, धान की खीलें और बड़ के अंकुर–इन सबको बराबर-बराबर ले कर और एक जगह पीस कर, शहद में गोली बना कर मुँह में रखने से महा उग्र प्यास और दारुण शोष फौरन आराम होते हैं।
(७) सोने, चाँदी या मिट्टी के ढेले को आग में लाल करके, पानी में बुझा देने से और वही पानी रोगी को पिलाते रहने से बादी की प्यास शान्त हो जाती है। इस जल को सुहाता-सुहाता पिलाने से बहुत लाभ देखा गया है।
(८) कुम्भेर, चन्दन, खस, धनिया, दाख और मुलेठी–इनके काढ़े में मिश्री मिला कर पिलाने से पित्त की प्यास दूर होती है।
(९) चावलों को साफ करके, जल में भिगो दो। एक घण्टे बाद मल कर पानी निकाल लो। इस चावलों के जल में शहद मिला कर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से पित्त की प्यास नाश होती है। परीक्षित है।
(१०) शहद को मुँह में कुछ देर, रखने और कुल्ला कर देने से प्यास और दाह शान्त हो जाते तथा मुँह के छाले भी मिट जाते हैं।
(११) औटा कर शीतल किये हुए जल में, कपड़े की पोटली में सौंफ बाँध कर छोड़ दो और वही जल रोगी को पिलाओ। अथवा सौंफ और पोदीने का अर्क थोड़ा-थोड़ा दो। अथवा पानी में भिगोई हुई सौंफ की पोटली बारम्बार रोगी को चुसाओ।
(१२) कुछ शीतल मिर्च कूट कर रख लो। उसमें से जरा-जरा सा चूर्ण रोगी को खिला कर पानी पिला दो। इससे प्यास निश्चय ही कम हो जाती है। हमने इसे प्लेग-ज्वर तक में दे कर लाभ उठाया है।
(१३) धान की खील २ तोले, बड़ की जटा १ तोले और कमलगट्टे की गिरी आधा तोले—इनको रोगी के पानी में पोटली में रख कर डाल दो। प्यास लगने पर यही जल पिलाओ, प्यास कम हो जायेगी।
(१४) आलू-बुखारा चूसने को दो, इससे भी प्यास कम हो जाती है।
(१५) बिजौरा नीबू, जम्भीरी नीबू, अनार, बेर और चूका–इनको एकत्र पीस कर मुख पर लगाने से प्यास शान्त हो जाती है। परीक्षित है।
(१६) मुख के भीतर अरुषे के पत्तों की गोली रखने से प्यास शान्त हो जाती है। परीक्षित है।
(१७) शीतल दूध में शहद मिला कर गले तक पी लो, फिर उँगली डाल कर वमन कर दो। इस तरह कई दफा करने से प्यास शान्त हो जाती है। परीक्षित है।
(१८) शहद, बड़ का अग्रभाग और खील—इनको पीस कर और गोली-सी बना कर मुँह में रखने से प्यास शान्त हो जाती है।
(१९) पोदीना एक तोले, बड़ी इलायची के दाने ६ माशे, लौंग ५ दाने और कालीमिर्च ९ दाने-सबको अढाई पाव जल में पका कर शीतल कर लो और छान | कर रख लो। रोगी को थोड़ा-थोड़ा जल इसमें से पिलाओ। इससे वमन बन्द हो जाती है और प्यास में भी तस्कीन होती है।
नोट :- ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।