Last Updated on July 22, 2019 by admin
रोग परिचय :
बच्चे की माँ के मिट्टी खाने से उसके बच्चे पर भी इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा करता है। कोई-कोई बच्चा तो मिट्टी तो क्या ईंट, मिट्टी, कपड़ा, कागज, कोयला, राख, बाल आदि तक खाते देखे गये हैं।
लक्षण :
1) मिट्टी आन्त्र में पचती नहीं है, स्रोतों का तीव्र अवरोध करके पाचक रस का शोषण कर रूक्षता उत्पन्न कर देती है, इसलिए बच्चों को अपच हो जाया करता है।
2) बच्चे का रंग, चर्म और आँखे पीली हो जाती हैं। रक्ताल्पता के कारण बच्चों का शरीर बरसाती मेढ़क जैसा हो जाता है, उसका पेट फूल जाता है, पेट पर नीली और पीली शिराऐं उभर आती हैं |
3) जीभ मैल से ढंकी हुई, जीभ पर चिकनी मिट्टी की परत सी जमी हुई, शरीर दुर्बल और कृश, भौंह-प्रदेश सूजे हुए, मुख पीला और उभरा हुआ सा |
4) पाखाना अनियमित, कभी दस्त कभी कब्ज, कभी-कभी मल में भी मिट्टी, अजीर्ण, रतौन्धी, आन्त्र में केचुऐं-चुरने आदि कृमि, जो यदा-कदा पाखाना से निकलते रहते हैं |
5) बच्चा का सोते-सोते नींद में अचनाक चौंक पड़ना तथा स्वभाव में चिड़चिड़ापन, आँखे, गाल, भौंह, पैर, नाभि एवं गुप्तेन्द्रिय में सूजन आ जाया करती है।
बच्चों के मिट्टी खाने की आदत दूर करने के घरेलु उपाय : baccho ki mitti khane ka ilaj
1) पका केला मधु में भलीभाँति मिलाकर बच्चे को उसकी पाचन शक्ति के अनुसार खिलायें तो मल त्याग द्वारा मिट्टी पेट से बाहर निकल जायेगी। ( और पढ़ें – केला खाने के 80 बड़े फायदे )
2) केशर, मुलहठी, छोटी पिप्पली, सफेद निशोथ प्रत्येक औषधि समभाग जौकुट करके काढ़ा बनाकर तथा इसी काढ़े में चिकनी मिट्टी का ढेला डुबो, भिगोकर सुखा लें । इस प्रकार मिट्टी के ढेले को डुबौना की 5 बार क्रिया करें तथा प्रत्येक बार सुखा लें बाद में इस मिट्टी को बालक को खिलायें तो इस प्रयोग से बच्चे के द्वारा खाई गई मिट्टी पाखाना से बाहर निकल आयेगी तथा बच्चे को मिट्टी खाने से घृणा होकर, उसका मिट्टी खाना भी छूट जायेगा। ( और पढ़ें – मुलेठी के फायदे व चमत्कारिक औषधीय प्रयोग )
3 ) सोया 30 ग्राम, मुर्दासंग 20 ग्राम, शुद्ध गन्धक 20 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 10 ग्राम सभी को पीसकर व कपड़छन कर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। यह हल्का विरेचन का चूर्ण तैयार हो गया। बच्चों को 120 मि.ग्रा. से 480 मि.ग्रा. तक गाय के गरम दूध से 3 बार प्रतिदिन मात्र 5 दिनों तक खिलाने से आमाशय एवं आन्त्र की शुद्धि हो जाती है।
4) लौह धात्री 500 मि.ग्रा. से 1 ग्राम तक की मात्रा में असमान मात्रा में घी तथा शहद के साथ एवं मिश्री चूर्ण मिलाकर चटाना अत्यन्त लाभप्रद है। ( और पढ़ें –शहद खाने के 18 जबरदस्त फायदे )
नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।