बच्चों में किडनी रोग (गुर्दे की बीमारी) उनके लक्षण, बचाव और उपचार – Baccho me Kidney rog, Lakshan aur Upchar

Last Updated on April 27, 2023 by admin

बच्चों में गुर्दे से संबंधित बीमारियाँ : 

बहुत-से लोग सोचते हैं कि गुर्दे से संबंधित बीमारियाँ केवल बड़ों को ही होती हैं, लेकिन एक सर्वेक्षण के अनुसार, 10 फीसदी बच्चे 18 वर्ष की उम्र तक गुर्दे या मूत्र प्रणाली की किसी बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। ये बीमारियाँ संक्रमण के कारण पैदा होती हैं। कई बार बीमारी जन्मजात भी हो सकती है। गुर्दे और मूत्र प्रणाली से संबंधित जो बीमारियाँ बच्चों को होने की आशंका काफी रहती हैं, उनमें – नेफ्रोटिक सिंड्रोम, मूत्र प्रणाली में संक्रमण, पोस्ट स्ट्रेप्टोकोकल ग्लोमेरुलो नेफ्राइटिस और गुर्दे की पथरी प्रमुख हैं।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम : 

लक्षण – चेहरे पर सूजन के बाद पूरे शरीर पर फैल सकती है, बच्चे द्वारा पेशाब कम करना, रक्तचाप बढ़ना, फेफड़े व पेट आदि में पानी जमा होने से पैदा लक्षण ।

उम्र – सामान्यः दो से छह वर्ष में बच्चों को ।

प्रभाव – शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमी, जिसके चलते संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

कारण – स्वतः या कोई संक्रमण, जैसे – खाँसी, जुकाम, दस्त, बुखार आदि में गुर्दे का जन्मजात दोष उत्तेजित हो जाता है।

सावधानी – उचित इलाज कराने वाले 70 फीसदी बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, जबकि बाकी 30 फीसदी को छह माह से साल भर के बीच यह बीमारी दोबारा हो सकती है। लिहाजा साल – भर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है, जिससे दोबारा संक्रमण नहीं हो।

संभावित अनिष्ट – उचित इलाज नहीं होने या बार-बार यह बीमारी होने पर गुर्दे काम करना बंद कर सकते है।

मूत्र प्रणाली का संक्रमण : 

लक्षण – बच्चे की भूख कम होना जाना, पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब में खून आना, पेट में नाभि के निचले हिस्से में हलका दर्द रहना, हलका या कभी-कभी तेज बुखार आना, शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाना ।

सावधानी – अभिभावकों द्वारा ठीक तरह से देखभाल करने और गंभीरता से इलाज कराने पर यह बीमारी परी तरह ठीक हो जाती है। लेकिन इसमें चूक होने पर शल्य चिकित्सा की नौबत आ सकती है।

संभावित अनिष्ट – पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, खासकर लड़कों में यह संक्रमण होने पर उचित इलाज के बावजूद मूत्र – प्रणाली में विकार आ सकता है। इन विकारों का समय पर इलाज नहीं हो तो यह गुर्दा खराब होने का कारण बन सकता है।

पोस्ट स्ट्रेप्टोकोकल नैफ्राइटिस : 

लक्षण – बुखार, खाँसी, नाक बहना या फोड़ा-फुंसी आदि होना, खाँसी- जुकाम आदि ठीक होने पर भी बुखार का बने रहना, भूख कम होना, चेहरे पर सूजन, पेशाब में हलका खून आना, रक्तचाप बढ़ने से सिरदर्द, बेहोशी व दौरे पड़ना ।

संभावित अनिष्ट – गुर्दे खराब हो सकते हैं, रक्तचाप ज्यादा बढ़ने पर दिमाग की नस फट सकती है।

गुर्दे की पथरी : 

लक्षण – पेट के ऊपरी व बाहरी हिस्से में और कभी-कभी जाँघ की तरफ दर्द, पेशाब करते समय दर्द, पेशाब करते समय जननांग को हाथ से खींचना ।

शुरुआती उपचार – बच्चे को खूब पानी पिलाएँ, छोटी पथरी पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाएगी।

संभावित अनिष्ट – उचित इलाज नहीं होने पर गुर्दा खराब हो सकता है।

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