Last Updated on February 17, 2023 by admin
बच्चों में आंखों के रोगों के लक्षण :
जन्म के बाद कभी-कभी बच्चे की आंखें उठ जाती है। इस तरह आंखें उठ जाने के बाद जल्दी ठीक न होने पर कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं जैसे- आंखें फूल जाती है, लाल हो जाती है, फूले हुए स्थान से पीब आने लगती है, आंखें बंद हो जाती है और कभी-कभी आंखों में घाव भी हो जाते हैं। ऐसे में अधिक दिनों तक आंखों में घाव बने रहने पर आंखें खराब हो सकती है। इस तरह के लक्षण कई कारणों से उत्पन्न होते हैं जैसे- ठण्डे घर में रहने, घर में ठण्डी हवा आने, आंखों पर रोशनी या धुंआं लगने, बच्चा जन्म के बाद जिस घर में 6-7 दिनों तक रहता है उस घर में गर्मी के अधिक बढ़ जाने तथा माता-पिता में किसी प्रकार के धातु रोग आदि।
बच्चों के आंखों के रोगों का होम्योपैथिक इलाज (bacchon ke aankhon ke rog ka Homeopathic Ilaj)
आंखों के रोग के विभिन्न लक्षणों में विभिन्न औषधियों का प्रयोग-
1. आर्ज-नाई- यदि बच्चे की आंख उठ गई हो और उसकी आंखों में जलन हो तो बच्चे को आर्ज-नाई औषधि की 3 शक्ति की मात्रा दें।
2. एकोनाइट- यदि सर्दी, ओस या आंखों पर रोशनी पड़ने के कारण बच्चे की आंख उठ गई हो और साथ ही बच्चे में अन्य लक्षण जैसे- बुखार होना, बेचैनी, नींद न आना, आंखों से पानी गिरना, आंखों की पुतलियों का लाल होना तथा आंखों में जलन होना आदि। ऐसे लक्षणों में बच्चे को तुरन्त लाभ के लिए एकोनाइट औषधि की 3x औषधि का सेवन कराना लाभकारी होता है।
3. एपिस– यदि बच्चे को चेचक रोग होने के बाद आंख उठने या फूल जाने की बीमारी हो तो ऐसे में बच्चे को एपिस औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना लाभदायक होता है।
4. आर्निका– आंखों पर चोट लगने के कारण यदि आंखों की प्रदाह अर्थात आंख उठ गई हो तो आर्निका औषधि की 3 शक्ति की मात्रा अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होती है।
5. बेलेडोना– यदि आंख फूल गई हो, पलकें सूज गई हो, आंखों में लाली आ गई हो और कभी-कभी पलकों के फूले हुए स्थान से खून आता हो तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को बेलेडोना औषधि की 6 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
6. मर्क-सोल- पलकें फूली हुई और पलकों के जड़ में पीबयुक्त फुंसियां होने पर बच्चे को मर्क-सोल औषधि की 6 शक्ति की मात्रा प्रयोग करना चाहिए। इस तरह के आंखों के लक्षणों के बीच-बीच में कभी-कभी आर्ज-नाई 3 शक्ति और कैल्के-कार्ब 6 शक्ति आदि की भी आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त गर्म पानी में साफ कपड़े को भिगोकर अच्छी तरह निचोड़कर धीरे-धीरे आंखों को साफ करना चाहिए। ऐसे रोग में जब दोनों पलकें आपस में चिपक जाए तो उसे जोर लगाकर अलग करने की कोशिश न करें। ऐसे में पलकों पर साफ पानी के हल्के छींटें देने से पलकें अपने आप अलग हो जाती हैं। आंख साफ करने के बाद आर्जेण्टम नाइट्रम की 2x या 3x को 1-1 बूंद दोनों आंखों में डाल दें।
7. थूजा, मर्क-सोल, सल्फर, आरम-म्यूर, एसिड-नाइट्रिक- माता-पिता में धातु दोष होने के कारण बच्चे की आंख उठ गई हो तो ऐसे में बच्चे को थूजा 30 शक्ति, मर्क-सोल 6 शक्ति, सल्फर 30 शक्ति, आरम-म्यूर 200 शक्ति या एसिड-नाइट्रिक 3 या 200 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए।
8. पल्स, हिपर, स्टेफिसेग्रिया- जब आंखों की पलकों पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती है तो उसे अंजनी या गुहेरी कहते हैं। पलकों पर फुसियां उत्पन्न होने पर कभी-कभी यह ठीक न होने पर इसमें पीब बन जाते हैं। ऐसे में रोग को ठीक करने के लिए इन औषधियों का सेवन करें- पल्स की 3 शक्ति, हिपर की 3 शक्ति और स्टेफिसेग्रिया की 3 शक्ति आदि।
9. सल्फर, थूजा- जिस बच्चे के शरीर में आयरन की मात्रा अधिक होती है उस बच्चे में यदि यह रोग उत्पन्न हो जाए तो आसानी से समाप्त नहीं होता। ऐसे में बच्चे के रोग को ठीक करने के लिए सल्फर की 3 शक्ति या थूजा की 30 शक्ति देने से लाभ होता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)