Last Updated on February 13, 2023 by admin
बच्चों के मुंह में घाव या छाले का होम्योपैथिक इलाज (Bacchon ke Muh mein Ghav ya Chhale ka Homeopathic Ilaj)
बच्चों के मुंह में घाव या छाले होने पर औषधियों का प्रयोग :-
1. वायोला-ट्राइकलर तथा रस-टक्स :- बच्चे के मुंह में छोटी-छोटी सफेद रंग की फुंसियां हो जाती हैं। मुंह में होने वाली फुंसियां पहले गाल पर होती हैं, फिर कपाल पर होती हैं और धीरे-धीरे पूरे शरीर पर हो जाती हैं। जब यह फुंसियां रगड़कर काली पड़ जाती हैं और फट जाती हैं तो फट जाने के बाद उस स्थान पर पीली पपड़ी बन जाती है। इस तरह त्वचा पर उत्पन्न फुंसियों को दूर करने के लिए बच्चे को वायोला-ट्राइकलर औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। इस रोग में रस-टॉक्स औषधि भी दी जा सकती है परन्तु इस औषधि के सेवन से कभी-कभी शरीर में जलन उत्पन्न होती है। अत: रस-टॉक्स औषधि का प्रयोग करने से शरीर में जलन होने पर रस-टक्स औषधि का सेवन कराना बंद कर देना चाहिए।
2. बोरैक्स :- मुंह के भीतर घाव या फुंसियां होने पर बोरेक्स औषधि की 3 शक्ति का चूर्ण सेवन करें और सुहागा के लावा को शहद में मिलाकर घाव पर लगाने से लाभ होता है।
3. आर्सेनिकम :- होंठ और मुंह में फुंसियां होने पर जीभ के पिछले भाग पर मैल की परत जम जाती है, जीभ के बीच भाग में लाल लकीरे बन जाती हैं, मुंह से बदबू आने लगती, बच्चा बेचैन रहने लगता है तथा बच्चे को हरे रंग के पतले दस्त आने लगते हैं। इस तरह के लक्षणों आर्सेनिकम औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग करना हितकारी होता है।
4. कैल्केरिया-कार्ब :- बच्चों में दांत निकलते समय विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- मुंह में घाव होना, मुंह और सिर पर पसीना आना, खाई हुई चीजें या दूध आदि ठीक से न पचना तथा पैर के तलवे ठण्डे हो जाना आदि। ऐसे लक्षणों में रोगी को कैल्केरिया-कार्ब औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ होता है। इसके प्रयोग से बच्चों के दांत निकलते समय होने वाले दर्द व अन्य रोग समाप्त होकर दांत आसानी से निकल आते हैं।
5. मर्क-सोल :- यदि जीभ फूल जाने के कारण उसमें जलन होती हो, दांत की जड़ में घाव हो गया हो, मसूढ़ों से खून आता हो, मुंह से सड़ी बदबूदार लार आती हो तथा श्लेष्मायुक्त पतले दस्त आते हो तो ऐसे लक्षणों में मर्क-सोल औषधि की 6 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
6. एसिड-नाई :- यदि चेहरे पर फुंसियां हो गई हो और चेहरे से बदबू आती हो तथा मुंह से ऐसे लार का स्राव होता हो जिससे मुंह में घाव पैदा हो सकता है। ऐसे लक्षणों में एसिड-नाई औषधि की 6 शक्ति की मात्रा उपयोग करना चाहिए।
7. सल्फर :- अगर जीभ पर सफेद रंग की परत जम गई हो, चेहरे पर बड़ी-बड़ी फुंसियां हो गई हो, मुंह से खून मिला हुआ लार आता हो, भीगे गोंद की तरह लसदार दस्त आता हो तथा गुदाद्वार के चारों ओर फुंसियां हो गई हो फुंसियों से पीव का निकलना बंद हो गया हो तो ऐसे लक्षणों में सल्फर औषधि की 30 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
8. सिकेलि :- यदि चेहरे पर पसीना आता है और पसीना काला व ठण्डा होकर बदबूदार हो जाए तो ऐसे लक्षणों में सिकेलि औषधि की 2 शक्ति का चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है। शुरू में शहद को बच्चे के मुंह में हुए जख्म पर लगाने से जख्म ठीक होता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)