Last Updated on November 17, 2022 by admin
बड़हर क्या है ? (Barhar in Hindi)
बड़हर के पेड़ बहुत ऊंचे और लंबे होते हैं। इसके पेड़ बाग-बगीचों में होते हैं। इसके पत्ते पाखर के आकार के तथा इसके फलों में गांठे पायी जाती हैं। इसके फल गोल और कैथे के बराबर होते हैं। इसका फल कच्चा रहने की अवस्था में हरे रंग का तथा पक जाने पर पीले रंग का हो जाता है। इसके फल के अन्दर 10-12 सफेद रंग के बीज पाये जाते हैं। यह कटहल की ही जाति होती है। इसके फल को लकुच कहते हैं।
बड़हर का फल कैसा होता है ? :
- रंग : बड़हर का फल पीली लाली लिए हुए होता है तथा इसकी गिरी सफेद और लाल रंग की होती है।
- स्वाद : इसका स्वाद खट्टा होता है।
- स्वभाव : आयुर्वेद के अनुसार कच्चा बड़हर शरीर के लिए गर्म माना जाता है तथा पका हुआ बड़हर शरीर के लिए ठंडा माना जाता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार कच्चा बड़हर ठंडा होता है और पक्का बड़हर गर्म होता है।
बड़हर के गुण (Barhar ke Gun in Hindi)
- कच्चा बड़हर : आयुर्वेद के अनुसार कच्चा बड़हर शरीर के लिए गर्म होता है। यह शरीर में देर से पचता है तथा शरीर के वात, कफ, और पित्त के विकारों को दूर करता है। यह खून में विकार उत्पन्न करता है, आंखों की रोशनी के लिए हानिकारक होता है तथा शरीर के वीर्य और पाचनशक्ति को खत्म करता है।
- पका बड़हर : यह वात और पित्त को नष्ट करता है, कफ को बढ़ाता है, पाचनशक्ति तथा शरीर में वीर्य को बढ़ाता है।
बड़हर के फायदे और उपयोग : Barhar ke Fayde in Hindi
1. घाव : बड़हर के पेड़ की छाल के काढे़ से घाव धोकर यदि इसी के छाल का चूर्ण छिड़ककर घाव पर पट्टी बांधे तो घाव शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
2. अचार चटनी : रसोई में बड़हर का फल काम आता है । कच्चे फल का अचार डालते हैं । पके फलों की चटनी बनाते हैं । फल के कतरे काटकर सुखा लेते हैं, ये इमली की जगह काम आते हैं ।
3. कृमिनाशक : बड़हर के अन्तःकाष्ठ में आर्टोकार्पिन (artocarpin), नोराक्टोकार्पिन (norartocarpin), नोरसाइक्लोआर्टोकार्पिन (norcycloartocarpin), साइक्लोआर्टोकार्पिन (cycloartocarpin) रिसोर्सिनोल ( resorcinol) और ओक्सीरिसवेराट्रोल (oxyresveratrol) होते हैं । ओक्सीरिसवेराट्रोल काण्ड में भी मौजूद होता है। यह फीताकृमियों की चिकित्सा में कृमिनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
4. फोड़े-फुंसी : बड़हर की पिसी हुई छाल को पीप निकालने के लिए फोड़ों पर लगाया जाता है।
5. कुछ रोगों की चिकित्सा में इमली का सेवन वर्जित होता है तब बड़हर देते हैं।
6. असम में सुपारी के विकल्प रूप में बड़हर की छाल चबाई जाती है ।
7. दुधारू गाय-भैंसों को बड़हर के पत्ते खिलाते हैं ।
8. बड़हर की छाल से निकाले रेशों की रस्सी बनाते हैं।
9. बड़हर की छाल विलेय टैनिनों का अच्छा स्रोत है। यह टैनिंग के लिए उपयोग की जा सकती है ।
10. बड़हर की लकड़ी हलकी, सीधी रेशों वाली या अन्तः पाश रेशों वाली (interlockedgrained), बहुत खुरदरी होती है । ताजी लकड़ी का रंग पीला-भूरा होता है । खुली पड़ी रहने पर गूढी हो जाती है। यह अच्छी मजबूत होती है। अनुप्रस्थ बल (transeverse strength) और लचीलेपन में सागोन के सदृश है । यह सम्यक्तया संशुष्क होती है।
11. बड़हर लकड़ी की लुगदी को लम्बे रेशे वाली लुगदी के साथ मिलाकर काग़ज़ बनाने के काम में लाया जा सकता है।
12. इसकी लकड़ी टिकाऊ है। इसमें दीमक नहीं लगती। यह भलीभांति चीरी जा सकती है। गृह निर्माण के अनेक कार्यों में, फर्निचर और नौका बनाने के काम आती है।
अण्डेमन द्वीपों में यह बन्दरगाहों में, खम्भों में, डोगियों और बेड़ों में काम आती है। इससे समुद्री जलयान बनाए जाते हैं।
बड़हर के दुष्प्रभाव : Barhar ke Nuksan in Hindi
बड़हर का अधिक मात्रा में सेवन धातुओं के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : शिकज्वीन का उपयोग बड़हर के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)