Last Updated on November 27, 2022 by admin
बरना के पेड़ कैसा होता है ? : Baruna (Varun) in Hindi
बरना के पेड़ बड़े-बड़े होते हैं इसके पत्ते बेल के समान एक-एक डण्डी में 3-3 लगते है। बरना के फल बेल के समान गोल और सुपारी की तरह लगते हैं। इसके फूल गुलतुर्रा के समान होते हैं।
बरना (वरुण) का विभिन्न भाषाओं में नाम (Name of Baruna in Different Languages)
Crataeva nurvala in –
- संस्कृत : वरुण, वर्ण, तक्षक, सेतु, अश्मरिघ्न, कुमारक
- हिंदी : बरुना, बरना
- बंगाली : वर्ने, बोरुन
- गुजराती : वायवर्णो, वरानो
- कन्नड़ : बिटुसी, होलेनेक्की, होलेथुम्बे, माविलंगा, माता मावु,
- कश्मीरी : कथ
- मलयालम : निर्मतालम, नीरमतलम, निर्वल
- मराठी : हरवर्ण, कारवन, कुमला, निर्वला, रमाला, वरुण, वायुवर्ण
- पंजाबी : बरना, बरनाही
- उड़िया : बैरिनो
- तमिल : माविलिंगम, नरवाला, वरणम, माविलंगम, मरलिंगम
- तेलुगु : उलिमिडी, बिल्वराम, चिन्नावुलीमिडी, मागलिंगम, मारेडू, पेद्दामागलिंगम,
- यूनानी : बराना
- लैटिन नाम : Crataeva nurvala
- अंग्रेजी : Threeleaved caper, Holy garlic pear
बरना (वरुण) के औषधीय गुण और प्रभाव (Baruna ke Gun in Hindi)
- बरना की तासीर गर्म है,
- यह स्वाद में चरपरा है,
- बरना पित्त को प्रकुपित करता है,
- यह वायु, कफ (बलगम) और फोड़ा-फुंसियों को खत्म करता है,
- यह पेशाब की बीमारी, पथरी, वात और खून की गंदगी को दूर करता है।
- बरना पेशाब में आने वाले धातु को रोकता है।
- बरना का फूल, मल को रोकता है,
- बरना का फल दस्तावर, भारी, मधुर और स्वादिष्ट है यह मल के चिकनेपन को खत्म करता है।
- रंग : बरना के पत्तों का रंग हरा होता है।
- स्वाद : इसका स्वाद कषैला होता है।
- स्वभाव : बरना गर्म स्वभाव का होता है।
सेवन की मात्रा :
- पेड़ की छाल का चूर्ण = 3 से 6 ग्राम
- पत्तों का स्वरस = 12 से 24 ग्राम
- क्वाथ बनाने के लिए छाल का चूर्ण = 20 से 30 ग्राम
बरना (वरुण) के फायदे और उपयोग (Baruna ke Fayde aur Upyog in Hindi)
1. अफारा (पेट में गैस का बनना) : 40 80 मिलीलीटर बरना के पत्तों का फांट सुबह और शाम पीने से पेट का दर्द और गैस कम हो जाती है।
2. वमन (उल्टी) : 40 से 80 मिलीलीटर बरना के पत्तों की फांट रोजाना 2 बार रोगी को देने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
3. जिगर की चर्बी : बरना के पत्तों की सब्जी नियमित रूप से खाने से यकृत (जिगर) की चर्बी मिट जाती है।
4. मोटापा बढ़ाने के लिए : बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापे में लाभ होता है।
5. गठिया रोग : जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए 5-5 ग्राम बरना की छाल, सोया, बच, सोंठ, गोखरू, पुनर्नवा, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को लेकर तथा पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
6. पथरी : बरना का काढ़ा बनाकर नित्य सुबह-शाम पीने से किडनी से पथरी टूट कर बाहर निकल जाती है। इस चमत्कारी वनस्पति का प्रयोग मूत्र के रोगों और किडनी तथा पेशाब नली में होने वाली पथरी को दूर करने के लिए किया जाता है।
बरना (वरुण) के दुष्प्रभाव (Baruna ke Nuksan in Hindi)
अधिक मात्रा में इसका सेवन पित्त को तेज करता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)