भागोत्तर गुटिका के फायदे और नुकसान

Last Updated on October 2, 2021 by admin

भागोत्तर गुटिका क्या है ? (What is Bhagotar Gutika in Hindi)

भागोत्तर गुटिका टेबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इस आयुर्वेदिक दवा का मुख्य उपयोग खांसी के उपचार में किया जाता है।

घटक और उनकी मात्रा :

  • पारद – 10 ग्राम,
  • गंधक – 20 ग्राम,
  • पिप्पली – 30 ग्राम,
  • हरीतकी (हरड़) – 40 ग्राम,
  • बहेड़ा (विभीतिक) – 50 ग्राम,
  • वासा पत्र – 60 ग्राम,
  • भारंगी – 70 ग्राम,
  • बबूल छाल – आवश्यकतानुसार,
  • शहद (मधु) – 30 ग्राम।

प्रमुख घटकों के विशेष गुण :

  1. पारद + गंधक (कजली) : योगवाही, जन्तुघ्न (जंतु नाशक), रसायन ।
  2. पिप्पली : दीपक, पाचक, आम नाशक, वात-कफ नाशक, रसायन।
  3. हरड़ : दीपक, सारक, कुष्ठघ्न, रसायन।
  4. बहेड़ा : चाक्षुष्य, केश्य (बाल बढ़ानेवाला), कासघ्न ।
  5. वासा : कासघ्न, रक्तपित्त नाशक, श्वासघ्न, शीतल ।
  6. भारंगी : वात कफनाशक, कासघ्न, श्वासघ्न, ज्वरघ्न (ज्वर का अंत करने वाला) ।
  7. बबूल : कषाय, शीतल, कुष्टघ्न, कासघ्न, प्रमेह हर।

भागोत्तर गुटिका बनाने की विधि :

यूं तो यह योग बना–बनाया बाज़ार में मिल जाता तथापि नुस्खे और निर्माण विधि को जानने की इच्छा एवं रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यहां इस योग के घटक द्रव्य और निर्माण करने के ढंग के विषय में आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।

निर्माण विधि –

शुद्ध पारद एवं शुद्ध गन्धक की निश्चन्द्र कजली करके उसमें काष्टौषधियों का वस्त्र पूत चूर्ण मिलाकर बबूल की आंतरिक छाल के क्वाथ की इक्कीस भावनाएँ दें । अन्त में मधु मिलाकर खरल करें और 250 मि.ग्रा. की वटिकाएँ बनवा लें।

भागोत्तर गुटिका की खुराक (Dosage of Bhagotar Gutika)

दो से चार वटिकाएं (गोली) प्रातः सायं या दो-दो वटिकाएँ दिन में तीन से चार बार।

अनुपान : कण्टकारी क्वाथ, पिप्पली चूर्ण मिलाकर । गुनगुना पानी, मधु-अद्रक रस, मधु-तुलसी स्वरस, अथवा केवल मधु ।

भागोत्तर गुटिका के फायदे और उपयोग (Benefits & Uses of Bhagotar Gutika in Hindi)

1). खांसी श्वास रोग में लाभकारी है भागोत्तर गुटिका का प्रयोग

भागोत्तर गुटिका कफज कास (कफ युक्त खांसी) की विशेष औषधि है। यह कफ की उत्पत्ती को बाधित करती है, और संचित कफ को नष्ट करती है। कास में यदि रक्त मिश्रित कफ आता है तब भी यह लाभदायक है। विशेष रूप से जीर्ण कास एवं श्वास युक्त कास में इस औषधि से अधिक लाभ मिलता है। परन्तु वातज (शुष्क) कास में इस औषधि का उपयोग नहीं होता । श्वास की विरामावस्था में इस औषधि के प्रयोग से श्वास के आक्रमण का समय बढ़ जाता है यथा पूर्वक सेवन करने में धीरे-धीरे श्वास से छुटकारा मिल जाता है।

सहायक औषधियों में – अग्नि कुमार रस कण्टकार्यावलेह, श्वास कुठार रस इत्यादि का प्रयोग करवाना चाहिए।
समयावधि चालीस दिन, आवश्यकता पड़ने पर अधिक समय तक भी प्रयोग करवा सकते हैं।

2). जीर्ण प्रतिश्याय (साइनस) में भागोत्तर गुटिका के इस्तेमाल से लाभ

जीर्ण प्रतिश्याय अथवा जिन रोगियों को प्रतिश्याय के पुनः पुन: आक्रमण होते हैं, को भागोत्तर दो गुडिकाऐं प्रातः सायं उष्णोदक से देने से प्रतिश्याय की पुनरोत्पत्ति बाधित हो जाती है। जिन लोगों को कफाधिक्य नाक से स्राव एवं आँखों से भी स्राव होता हो उन को इस औषधि का प्रयोग अवश्य करवाना चाहिए। इसके प्रयोग से तीन दिन के भीतर कफ और स्राव नियंत्रित हो जाते हैं। पूर्ण लाभ के लिए तीन सप्ताह तक प्रयोग करवाएँ।

सहायक औषधियों में – स्वर्ण वसन्त मालती रस, च्यवन प्राश अवलेह, कण्टकार्य वलेह, द्राक्षारिष्ट, बलारिष्ट का प्रयोग करवाएं।

3). क्षयज कास (खांसी) में भागोत्तर गुटिका फायदेमंद

राजयक्ष्मा के रोगियों की कास में भागोत्तर गुटिका अत्यन्त लाभदायक औषधि है । कफ को नियन्त्रित करने के साथ वह अग्निवर्धक होने के कारण धात्वाग्नि वर्धन करके क्षय की सप्राप्ति भंग करने में सहायक होती है ।

सहायक औषधियों से – मृगांक रस, जय मंगल रस, च्यवन प्राश अवलेह, वासा कण्टकार्यावलेह, अभ्रक भस्म सहस्र पुटी, बलरिष्ट इत्यादि औषधियों का प्रयोग करवाना चाहिए।

4). मोटापा (स्थौल्य) दूर करती है भागोत्तर गुटिका

अपने अग्निवर्धक आमपाचक, कफ नाशक, प्रभाव के कारण स्थौल्य में भागोत्तर गुटिका का प्रयोग होता है। यदि कण्टकारी क्वाथ के साथ सेवन करवाया जाए तो, यह एक मास में अपना प्रभाव दिखाती है। पथ्य पूर्वक सेवन से स्थौल्य से मुक्ति मिलती है।

सहायक औषधियों में – नवक गुग्गुलु, व्योषाध वटी, आरोग्य वर्धिनी वटी, विडंगाद्य लोह आदी औषधियों का प्रयोग भी करवाना चाहिए।

आयुर्वेद ग्रंथ में भागोत्तर गुटिका के बारे में उल्लेख (Bhagotar Gutika in Ayurveda Book)

रस भागो भवेदैको गंधकं द्विगुणं भवेत्।
त्रिभागा पिप्पली पथ्या चतुर्भागा विभीतकी॥
पञ्च भागा तथा वासा षडगुणा सप्त भागिका।
भाी सर्वमिदं चूर्ण भाव्यं वव्वूलजै द्रवे॥
एक विंशति वारांश्च मधुना गुड़िका कृता।
माषमेक प्रमाणेन प्रातरे कान्तु भक्षयेत् ।
कासं श्वासं हरेत् क्षुद्रा क्वाथ स्तदनु कृष्णया॥

-भैषज्यरत्नावली (कासरोगाधिकार 153-155)

भागोत्तर गुटिका के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ (Bhagotar Gutika Side Effects in Hindi)

  • भागोत्तर गुटिका लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
  • भागोत्तर गुटिका को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
  • भागोत्तर गुटिका एक खनिज धातुओं युक्त रसौषधि है। अतः रसौषधियों में लिए जाने वाले पूर्वोपायों का पालन इसके सेवन काल में भी आवश्यक हैं।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

1 thought on “भागोत्तर गुटिका के फायदे और नुकसान”

  1. आपके लेख पढ़ें अच्छे लगे धन्यवाद

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